मंगलवार, 12 नवंबर 2024
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कुपवाड़ा में 5 आतंकवादी ढेर, सेना के लिए क्यों मुसीबत है मच्छेल?

कुपवाड़ा में 5 आतंकवादी ढेर, सेना के लिए क्यों मुसीबत  है मच्छेल? - 5 terrorists killed in Kupwara, why Machhel is a problem for the army
5 terrorists killed in Kupwara: भारतीय सेना ने कुपवाड़ा के मच्छेल सेक्टर में एलओसी पार करने का प्रयास कर रहे आतंकियों में से 5 को ढेर कर दिया है, जबकि कुछ अन्य पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर में भागने में सफल रहे। 5 दिनों के भीतर एलओसी पर घुसपैठ का यह दूसरा प्रयास है। इससे पहले दो आतंकियों को उड़ी में मार गिराया गया था। घना जंगल होने से आमतौर पर आतंकी मच्छेल इलाके से ही घुसपैठ करते हैं। 
 
सेना की चिनार कोर ने बताया कि कुपवाड़ा में एलओसी के पास सेना और पुलिस ने एक विशेष सूचना पर संयुक्त अभियान चलाया हुआ है। मुठभेड़ के बारे में डीजीपी दिलबाग सिंह ने कहा कि सेना और पुलिस की तरफ से ऑपरेशन जारी है। घुसपैठ के लिए इस क्षेत्र से बार-बार कोशिश की जाती है। उन्होंने कहा कि नियंत्रण रेखा के पार करीब 60 लान्चिंग पैड बनाए हैं। हालांकि पूरी सतर्कता बरती जा रही है। आतंकियों की तादाद दिन व दिन घटती जा रही है।
 
सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर अपडेट देते हुए, कश्मीर पुलिस जोन ने एडीजीपी कश्मीर के हवाले से लिखा गया है कि लश्कर के 3 और आतंकवादी मारे गए। कुल 5 मारे गए हैं। तलाशी अभियान जारी है। बीते पांच दिनों में कश्मीर में घुसपैठ की यह दूसरी घटना है, जिसे सुरक्षाबलों ने नाकाम कर दिया। 
 
सेना के लिए क्यों सिरदर्द बना मच्छेल : दरअसल, मच्छेल सेक्टर भारतीय सेना के लिए सिरदर्द की तरह है। एलओसी के पार से कुपवाड़ा जिले में घुसपैठ का आतंकियों के लिए यह एक आसान रास्ता है। इस सेक्टर में घने जंगल होने से आतंकी आसानी से इसमें छिप जाते हैं। कुपवाड़ा शहर से महज 50-80 किमी की दूरी पर भारत और पाकिस्तान के बंकर्स एक-दूसरे के काफी करीब हैं।
 
सूत्रों के मुताबिक, आतंकी कुपवाड़ा व लोलाब घाटी पहुंचने के लिए घुसपैठ के कई रास्तों का इस्तेमाल करते हैं। भारतीय सेना की ओर से की गई पहली सर्जिकल स्ट्राइक के बाद सीजफायर उल्लंघन के मामले में काफी बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2020 में 8 नवंबर को सेना के कैप्टन समेत 4 जवान इसी सेक्टर में शहीद हुए थे। उसके बाद भी इसी सेक्टर में घुसपैठ के कई प्रयास हो चुके हैं। 
 
3 साल में 100 बार घुसपैठ की कोशिश : वर्ष 2019 में सेना के जवान मनदीप सिंह के शव के साथ मच्छेल में ही पाकिस्तान से आए आतंकियों ने बर्बर व्यवहार किया था। नेशनल काउंटर टेररिज्म अथॉरिटी की ओर से जानकारी दी गई है कि पिछले 3 सालों में अकेले मच्छेल में आतंकियों ने 100 बार से अधिक घुसपैठ की कोशिशें की हैं। 
 
दिसंबर 2018 में मच्छेल में ही 41 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग आफिसर कर्नल संतोष महाडिक आतंकियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हो गए थे। अगस्त 2019 में भी बीएसएफ के तीन जवान इस इलाके में शहीद हो गए थे। भारत के आखिरी गांव से महज 6 किलोमीटर की दूरी पर एलओसी है और दूसरी तरफ केल है, जिसके बारे में अधिकारियों का कहना है कि वह आतंकियों का सबसे बड़ा लान्चपैड है।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala
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