कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के समक्ष 5 बड़ी चुनौतियां, कैसे पाएंगे पार?
नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे बुधवार को पार्टी के नए अध्यक्ष निर्वाचित हो गए। उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी शशि थरूर को 6,825 मतों के अंतर से पराजित किया। कांग्रेस के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के प्रमुख मधुसूदन मिस्त्री ने मल्लिकार्जुन खड़गे को निर्वाचित घोषित किया। सीताराम केसरी के बाद खड़गे पहले गैर कांग्रेसी अध्यक्ष हैं। जानिए क्या होंगी खड़गे के समक्ष 5 बड़ी चुनौतियां...
1. मोदी और केजरीवाल की चुनौती : कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में पार्टी को कई राज्यों में विधानसभा चुनावों के साथ ही लोकसभा चुनाव भी लड़ना है। ऐसे में खड़गे सामने सबसे बड़ी चुनौती पीएम नरेंद्र मोदी और दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल हैं। दोनों ही अपनी आक्रामक रणनीति के लिए जाने जाते हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि वे इन दिग्गजों का सामना कैसे करते हैं। जल्द ही उन्हें गुजरात एवं हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव का भी सामना करना है।
2. संगठन को एकजुट रखने की चुनौती : फिलहाल कांग्रेस बिखरी-बिखरी सी नजर आ रही है। युवाओं और वरिष्ठ नेताओं में सामंजस्य का अभाव है। खड़गे को जल्द ही कांग्रेस के बिखरे संगठन को एकजुट करना होगा। अशोक गेहलोत, सचिन पायलट, शशि थरूर जैसे दिग्गज उनकी राह में मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं। वे किस तरह कांग्रेस कार्यकर्ताओं को एकजुट कर उनमें उत्साह का संचार करते हैं। इस पर सभी की नजरें लगी हुई हैं।
3. गांधी परिवार : कांग्रेस को 24 साल बाद गैर गांधी अध्यक्ष मिला है। ऐसे में उनके सामने अपनी छवि को बचाए रखने की चुनौती भी है। कई कांग्रेसी दिग्गज गांधी परिवार के सामने छटपटाहट महसूस करते हैं। बड़ी संख्या में लोग पार्टी छोड़कर पलायन कर रहे हैं। ऐसे में अगर खड़गे गांधी परिवार से सामंजस्य स्थापित करते हुए यह संदेश देने में सफल रहते हैं कि वे रबर स्टांप नहीं हैं तो इससे कांग्रेस कार्यकर्ताओं को नई ताकत मिलेगी।
4. भारत जोड़ो यात्रा : पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा केरल से तेलंगाना तक पहुंच गई है। इस यात्रा ने दक्षिण में कांग्रेस कार्यकर्ताओं में नई उर्जा का संचार किया है। अब यात्रा उत्तर भारत में प्रवेश करने वाली है। अगर खड़गे नई प्लानिंग के साथ भारत जोड़ो यात्रा के माध्यम से उत्तर भारत में कांग्रेस को एकजुट करने का प्रयास करते हैं तो राहुल की यह यात्रा कांग्रेस के लिए गेम चेंजर साबित हो सकती है।
5. अच्छे वक्ताओं की कमी : कांग्रेस को इस समय अच्छे और प्रभावी वक्ताओं की कमी भी खल रही है। भाजपा के पास जहां वक्ताओं की कतार लगी हुई है, कांग्रेस के पास भीड़ को आकर्षित करने वाले चेहरों का अभाव नजर आता है। खड़गे को इस दिशा में तेजी से काम करना होगा। पार्टी को अगले माह गुजरात और हिमाचल चुनाव में उतरना है। ऐसे में उन्हें उपलब्ध नेताओं को एकजुट करना और जल्द से जल्द नए नेताओं को तैयार करना होगा।