गिर अभयारण्य में शेरों की मौतों से गहराता रहस्य, 10 दिन में 13 शेरों की मौत
गुजरात के गिर के जंगल में दो और शेरों की मौत हो गई है। जंगल में शेरों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। मौत का यह आंकड़ा 13 तक पहुंच गया है। मरने वाले एक शेर की उम्र 3 से 4 साल के बीच है, जो लंबे वक्त से बीमार चल रहा था। 12 से 19 सितंबर के बीच 11 शेरों की मौत हुई थी। इसके बाद अब दो और शेरों की मौत हो गई है।
गिर अभयारण्य में एशियाई शेरों की मौत के कारणों पर सरकार की ओर से बरती जा रही गोपनीयता गुजरात के लोगों और वन्य जीव संरक्षण करने वालों के लिए चिंता और कौतूहल का कारण बनी हुई है। इन शेरों की मौत पर कई सवाल पैदा हो रहे हैं।
हाल में ही पूर्वी गिर जोन के डलखानिया और जसाधार फॉरेस्ट रेंज में छ: शावकों समेत 11 शेरों के अवशेष मिले थे। वन विभाग ने दावा किया कि मारे गए 13 शेरों में से छ: आपस में लड़े थे। बाकी शेर लड़ाई के दौरान हुए फेफड़ों और लीवर के रोगों की वजह से मारे गए।
वैसे वयस्कों समेत 13 शेरों की आपस में एक ही इलाके में लड़ाई होना बहुत ही असामान्य है, फिर भी वन विभाग अपने इस दावे पर कायम है कि शेर आपस में लड़ाई और फिर संक्रमण के कारण मारे गए हैं इससे भी बड़ी बात है कि शेरों के अवशेष बेहद खराब हालत में मिले।
यहां तक कि ये पहचान कर पाना भी मुश्किल था कि उनमें कौन शेर है, कौन शेरनी। मारे गए 13 में से 11 शेर डलखानिया और बाकी दो जसाधार फॉरेस्ट रेंज से मिले। इसी बीच सोमवार को चार साल का एक शेर डलखानिया फॉरेस्ट इलाके में मरा पाया गया और शनिवार को चार साल का एक शावक बीमार मिला, बाद में उसकी भी जसाधार इलाके में एनिमल केयर सेंटर में इलाज के दौरान मौत हो गई।
प्रमुख मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) अक्षय कुमार सक्सेना ने कहा, शेरों की मौत में कोई संदिग्ध बात नहीं है। सभी कुदरती कारणों से मरे हैं। हमने नमूने लिए हैं और उन्हें जांच के लिए पुणे के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ वाइरोलॉजी में भेज दिया है।
हम पूरे गिर इलाके की जांच कर रहे हैं और कहा गया है कि अगर शेरों में कोई असामान्य व्यवाहर दिखता है तो उसे रिपोर्ट किया जाए। सभी 13 शेरों की मौत 12 से 24 सितंबर के बीच गिर अभयारण्य के पूर्वी गिर डिवीजन में हुई है।
पिछले सप्ताह वन सुरक्षा फोर्स के मुखिया जीके सिन्हा ने कहा था, शेर इलाके बनाने वाला जीव है और उनके बीच लड़ाइयां होती हैं। जब भी कोई शेर बूढ़ा हो जाता है या फिर कोई शेर बीमार होता है तो उनके बीच लड़ाइयां होती हैं।
इस मामले में दो वयस्क शेर, तीन शेरनी और छह शावक मिले हैं। इन शेरों की मौत कोई असामान्य नहीं है। सिन्हा ने कहा था, शेरों की संख्या अच्छी खासी तरीके से बढ़ रही है। 2010 में 411 शेर थे, जबकि 2015 में की गई गिनती में यह संख्या बढ़कर 523 हो गई। गुजरात वन विभाग के अधिकारियों का ये भी कहना है कि शेर हर साल 210 शावक पैदा करते हैं। इनमें से 140 कुदरती और दूसरी वजहों से मर जाते हैं। इनमें से एक तिहाई ही वयस्क होने तक जी पाते हैं।