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Written By सुरेश एस डुग्गर
Last Modified: गुरुवार, 11 नवंबर 2021 (21:37 IST)

कश्मीर में 1990 जैसे हालात, 14 साल बाद BSF की तैनाती

कश्मीर में 1990 जैसे हालात, 14 साल बाद BSF की तैनाती - 1990-like situation in Kashmir, BSF deployment after 14 years
जम्मू। इससे कोई इंकार नहीं करता कि कश्मीर के हालात 1990 के दशक में पहुंच गए हैं, जब राह चलते लोगों को रोक कर तलाशी ली जाती थी और दुकानों को बंद करवा लोगों को एक लाइन में लगवाकर जामा तलाशी के साथ ही भेदियों से पहचान परेड करवाई जाती थी। यही नहीं कश्मीर में एक बार फिर 14 साल के बाद बीएसएफ की तैनाती कर उसे आंतरिक सुरक्षा का जिम्मा देने की आरंभ की गई कवायद ने स्पष्ट कर दिया है कि हालात हाथ से निकल चुके हैं।
 
इसे आधिकारिक तौर पर स्वीकार किया गया है कि कश्मीर की आंतरिक सुरक्षा व्वस्था को एक बार फिर 14 साल बाद सीमा सुरक्षा बल के हवाले किया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक आतंकियों के बढ़ते कदमों को रोक पाने में सरकार सीआरपीएफ और राज्य पुलिस को ‘नाकाम’ मानने लगी है। ऐसे में कश्मीर में उस बीएसएफ को तैनात किया जाने लगा है, जिसने 14 सालों तक, वर्ष 1993 से लेकर 2007 तक कश्मीर की आंतरिक सुरक्षा का जिम्मा संभाले रखा था।
 
अर्धसैनिक बलों की 55 कंपनियां तैनात : सूत्रों के अनुसार, पहले चरण में बीएसएफ की लगभग दो दर्जन कंपनियों को कश्मीर में तैनात किया जा रहा है। प्रत्येक कंपनी में सामान्य तौर पर 90 से 100 अधिकारी व जवान होते हैं। बीते एक माह में कश्मीर में अर्धसैनिक बलों की लगभग 55 कंपनियां तैनात की गई हैं। कश्मीर में हाल में आतंकी हिंसा और अफगानिस्तान में प्रशिक्षित आतंकियों की घुसपैठ की आशंका को रोकने के लिए यह बड़ा कदम है।
 
बीएसएफ को श्रीनगर, पुलवामा, शोपियां, अनंतनाग, गांदरबल, कुलगाम और बारामुल्ला में तैनात किया जा रहा है। इनमें से कुछ कंपनियां केरिपुब के जवानों का स्थान लेंगी। हटाए गए केरिपुब कर्मी कानून व्यवस्था की स्थिति को संभालने के लिए लगाए जाएंगे।
 
यही नहीं कश्मीर में लगातार हो रही टारगेट किलिंग को देखते हुए सुरक्षा बढ़ा दी गई है। आज श्रीनगर के सरायबल्ला इलाके में सुरक्षाबलों ने ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए सभी दुकानों को बंद करवाकर छापे मारे। इस बीच, दुकानदारों और वहां काम करने वाले लोगों की तलाशी ली गई। अचानक हुई इस कार्रवाई से इलाके में कुछ देर के लिए हलचल तेज हो गई।
दरअसल कश्मीर में एक सप्ताह के भीतर दो लोगों की हत्या और ग्रेनेड हमले हो चुके हैं। भीड़भाड़ वाले इलाकों में हुए हमलों के बाद सुरक्षा अचानक बढ़ा दी गई है। 
 
सोमवार को डाउनटाउन इलाके के बोरी कदल में कश्मीरी पंडित की दुकान पर काम करने वाले सेल्समैन बांदीपोरा निवासी निवासी मोहम्मद इब्राहिम खान की गोली मारकर हत्या कर दी थी। आतंकियों ने इब्राहिम को निशाना बनाकर करीब से फायरिंग की। गुरुवार को हुई तलाशी अभियान को भी इस घटना से जोड़कर देखा जा रहा है। रविवार को एसडी कालोनी इलाके में आतंकियों ने पुलिसकर्मी तौसीफ अहमद (29) की गोली मारकर हत्या कर दी थी। वह पुलिस कंट्रोल रूम (पीसीआर) में तैनात थे। 
 
दूसरी ओर घाटी में लगातार हो रही हत्याओं को देखते हुए केंद्र सरकार कश्मीर में केरिपुब की 5 और कंपनियां तैनात करने जा रही है। इससे पहले अर्धसैनिक बलों की अतिरिक्त 50 कंपनियां भेजी जा चुकी हैं। धरातल पर सुरक्षा बलों की मौजूदगी दिखाने की रणनीति के तहत अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती की जा रही है।
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