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Written By सुरेश एस डुग्गर
Last Modified: सोमवार, 1 जून 2020 (12:43 IST)

चीन से तनातनी, 14वीं कोर के जवान और टी-72 टैंक तैनात

चीन से तनातनी, 14वीं कोर के जवान और टी-72 टैंक तैनात - 14th Corps personnel and T-72 tanks deployed
जम्मू। लद्दाख सेक्टर में चीन से सटी सीमा पर सैनिक गतिविधियां फिलहाल थमी नहीं हैं बल्कि इनमें तेजी आ चुकी है। लेह स्थित सेना की 14वीं कोर के सभी जवानों को चीन सीमा पर तैनात किया जा चुका है। तोपखाने अभ्यास में जुटे हुए हैं। तो हाल ही में खोली गई हवाई पट्टियों को एडवांस लैंडिंग ग्राउंड में बदलने की कवायद भी जारी है। 100 के करीब टी-72 टैंकों को चीन सीमा पर तैनात किया जा चुका है।
 
जानकारी के मुताबिक भारतीय सेना अपने तोपखानों और टैंकों को गर्म रखने की खातिर अभ्यास में जुट गई है। हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है।
 
यूं तो चीन सीमा पर ‘शांति’ का दावा किया जा रहा है। पर तनातनी का माहौल अभी भी गर्म है। अंतर इतना है कि भारतीय सेना ने अब इस मामले पर ‘मीडिया पाबंदी’ लगा दी है ताकि केंद्र सरकार के वे इरादे प्रभावित न हों, जिनके तहत वह चीन के साथ टकराव की स्थिति से बचने की कोशिशों में जुटी है।
 
पर इसे जरूर माना जा रहा है कि हजारों सैनिक चीन से सटी 646 किमी लंबी सीमा व वास्तिक नियंत्रण रेखा पर तैनात हैं, जहां अभी तक इक्का-दुक्का जवान ही नजर आता था। हालांकि सेना इनकी तैनाती को रक्षात्मक रणनीति का हिस्सा बता रही है, जबकि खबरें कहती हैं कि तनातनी वाले इलाकों में भारतीय तोपखानों ने टैंकों के साथ मिलकर अभ्यास भी किया है ताकि भयानक सर्दी में मौके पर वे दगा न दे जाएं।
 
चीन सीमा पर पैदा होते खतरे से निपटने के लिए सिर्फ जवानों की तैनाती और सैनिक साजोसामान ही नहीं है बल्कि सेना व वायुसेना चीन सीमा पर अधिक से अधिक हवाई पट्टियों और एयर बेसों को सक्रिय करने की कवायद में भी जुटे हैं। पहले ही दौलत बेग ओल्डी व फुकचे हवाई पट्टियों को खोला जा चुका है तथा खोली गई कुछेक स्थानीय हवाई पट्टियों को एडवांस लंडिंग ग्राउंड में बदलने का काम चल रहा है।
 
रक्षाधिकारियों के बकौल दोनों सेनाएं एक-दूसरे के सामने खड़ी हैं। कहीं पर दोनों के बीच फासला कुछ मीटर का है। भारतीय पक्ष इस बार रक्षात्मक के साथ साथ आक्रामक मूड भी दर्शा रहा है। हालांकि उच्च स्तर पर कोशिश टकराव टालने की हो रही है पर बावजूद इसके माहौल ठंडा होने का नाम नहीं ले रहा है, भारतीय सेना अपने तोपखानों को पीछे लाने को राजी नहीं है। वह नहीं चाहती कि उनकी वापसी का चीनी सेना लाभ उठाकर इलाके पर कब्जा जमा ले।
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