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Written By भाषा
Last Modified: गौचर , बुधवार, 26 जून 2013 (01:50 IST)

1000 को बाहर निकाला, 7000 अभी भी फंसे

1000 को बाहर निकाला, 7000 अभी भी फंसे -
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गौचर। उत्तराखंड में बारिश और भीषण बाढ़ में मारे गए सैकड़ों लोगों के सामूहिक अंतिम संस्कार में आज विलंब हो गया और शवों के खराब होने के बीच बीमारी फैसले की आशंका बढ़ गई है जबकि भारी बारिश के कारण आज दूसरे दिन भी बचाव अभियान पर असर पड़ा है।

उत्तराखंड के आपदाग्रस्त क्षेत्र में अभी भी 7000 लोग फंसे फंसे हुए हैं और 1000 लोगों को बाहर निकाल लिया गया है। इस क्षेत्र में फंसे 7000 लोगों में से 1500 स्थानीय है। ताजा भूस्खलन, बादल फटने और तेज बारिश के कारण बचाव अभियान प्रभावित हुआ है। केदारनाथ से 127 शवों समेत कुल 142 शव मिलने के बाद मृतकों की संख्या बढ़कर 822 हो गई।

मौसम खराब होने के कारण आज हेलीकाप्टरों ने कम उड़ानें भरीं और 500 लोगों को बाहर निकाला जिसमें बद्रीनाथ से 120 लोग शामिल हैं। इससे पहले 500 लोगों को सुरक्षित निकालकर सड़क मार्ग से जोशीमठ लाया गया।

मुख्य सचिव सुभाष कुमार ने देहरादून में कहा कि भारतीय वायुसेना के हेलीकाप्टरों ने बद्रीनाथ से 120 लोगों और हरसिल से 327 लोगों को बाहर निकाला। टिहरी जिले में भूस्खलन की ताज़ा घटनाएं हुई हैं जिनमें एक महिला और एक बच्चे की मौत हो गई। देवप्रयाग में बादल फटने की ताजा खबर है और रूद्रप्रयाग के अगस्त मुनि में भारी बारिश हुई है।

अधिकारियों ने कहा कि कल से अब तक केदारनाथ क्षेत्र में 127 शव और मिले हैं। वहीं उत्तरप्रदेश के मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर और बिजनौर में गंगा में 15 शव तैरते मिले हैं। इसके साथ ही त्रासदी में मरने वालों की संख्या बढ़कर 822 हो गई है।

देहरादून में सुबह कोहरा और बादल छाए रहने के कारण सहस्रधारा हेलीपैड और जॉली ग्रांट हवाई अड्डे से हेलीकॉप्टरों की उड़ान में देरी हो गई थी लेकिन मौसम में सुधार होते ही हवाई बचाव अभियानों में फिर से तेज़ी आ गई है।

अधिकारियों ने बताया कि चार हेलीकॉप्टरों ने आज बद्रीनाथ के लिए उड़ान भरी और 60 लोगों को बाहर निकाला। वायुसेना, सेना और उत्तराखंड प्रशासन ने आपदा में बुरी तरह प्रभावित केदारनाथ घाटी में मारे गए लोगों के अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी, ईघन जैसी सामग्री पहुंचाने के लिए वृहद अभियान शुरू किया है। राहत और बचाव कार्य में जुटी विभिन्न एजेंसियां शवों के सड़ने और बीमारियों के फैलने की आशंका से चिंतित है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ट्रकों पर भर कर देवदार की लकड़ियां और घी केदारनाथ भेजा जा रहा है और इस त्रासदी में मारे गए लोगों के सामूहिक अंतिम संस्कार के प्रयास किए जा रहे हैं। इससे पहले शवों की पहचान की जाएगी और फिर पोस्टमार्टम और डीएनए संरक्षित करने की औपचारिकताएं पूरी की जाएंगी।

शवों का खराब होना शुरू होने के बाद हवा में दुर्गंध फैल रही है और प्रभावित क्षेत्र में महामारी फैलने की आशंका बढ़ गई है। राज्य के पुलिस महानिरीक्षक सत्यव्रत बंसल ने कहा कि अज्ञात शवों का डीएनए संरक्षित रखा जा रहा है और उम्मीद की जाती है कि कल मौसम साफ होने पर सामूहिक अंतिम संस्कार किया जाएगा।

केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने पटना में कहा कि उन्होंने उत्तराखंड सरकार से बाढ़ग्रस्त इलाके में किसी भी वीआईपी को आने की मंज़ूरी नहीं देने को कहा है ताकि राहत कार्यों में किसी भी प्रकार की बाधा उत्पन्न न हो।

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में स्थिति सुधर रही है और राहत कार्य तेजी से किया जा रहा है। कई श्रद्धालुओं को केदारनाथ और बद्रीनाथ से बाहर निकाल लिया गया है। बाढग्रस्त इलाकों में फंसे तीर्थयात्रियों को सुरक्षित निकालने के कार्य में 37 हेलीकॉप्टर लगे हुए हैं।

राज्य सरकार ने डीआईजी पुलिस मुख्यालय संजय गुंजयाल और गढ़वाल क्षेत्र के डीआईजी अमित सिन्हा को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि केदारनाथ में अंतिम संस्कार की प्रक्रिया आज शुरू किया जाना सुनिश्चित किया जाय जो बारिश के कारण कल शुरू नहीं हो पाई थी।

पुलिस सूत्रों ने बताया कि शवों का पोस्टमार्टम करने और उनके डीएनए संरक्षित रखने के लिए फोरेंसिक विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों का 42 सदस्यीय दल कल ही केदारनाथ रवाना हो गया था। बद्रीनाथ में सुबह बचाव कार्य बाधित होने के मद्देनज़र मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने वहां फंसे लोगों के संबंधियों से धैर्य रखने की अपील करते हुए कहा कि फंसे हुए लोगों के पास भोजन और दवाइयों की उचित मात्रा है और वे सुरक्षित हैं।

भारतीय वायुसेना ने केदारनाथ के प्रभावित इलाके में अपना पहला बड़ा हेलीकाप्टर उतारा और सामूहिक अंतिम संस्कार के लिए सामग्री उतारी। बहरहाल, अधिकारियों ने बताया कि केदारनाथ और आसपास के इलाकों में तलाशी एवं राहत अभियान लगभग पूरा हो गया है। सेना को कोई अन्य जीवित व्यक्ति नहीं मिला है और रक्षा एवं अर्धसैन्य बल के जवान अब अपना तलाशी एवं राहत कार्य समेट रहे हैं।

रद्रप्रयाग जिले में बचाव अभियानों के शीर्ष अधिकारी रविनाथ रमन ने गुप्तकाशी में कहा, केदारनाथ के आसपास के जंगलों में अब कोई जीवित व्यक्ति नहीं मिल रहा है। सभी जीवितों को बाहर निकाल लिया गया है।

बाढ़ग्रस्त उत्तराखंड के उपरी इलाकों में बचाव कार्यों के लंबा खिंचने के मद्देनज़र आईटीबीपी ने दिन रात राहत कार्य करने के कारण थक चुके अपने जवानों को वापस बुलाने और उनके स्थान पर अपनी सेना की नई टुकड़ियां यहां भेजने का निर्णय लिया है।

सूत्रों के अनुसार भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) ने केदारनाथ, बद्रीनाथ, हर्षिलऔर गौरीकुंड इलाकों से करीब 45 जवानों को वापस बुलाकर उनके स्थान पर इतने ही अन्य जवान तैनात करने का निर्णय लिया है।

हिमाचल प्रदेश में सांगला, हामगो, रिकांग पीयो एवं अन्य स्थानों से पर्यटकों एवं बीमार लोगों समेत 100 लोगों को बाहर निकाला गया है। कुछ बीमार लोगों समेत 60 लोगों को सांगला घाटी से रामपुर ले जाया गया जबकि हांगो से 9 बीमार लोगों को निकाला गया। रिकांग पीयो से करीब एक दर्जन लोगों को निकाला गया। (भाषा)