दलितों के मुद्दे फिर सोशल मीडिया पर
#माय हैशटैग सोशल मीडिया में इन दिनों दलितों की बहुत चर्चा है। पहले उज्जैन सिंहस्थ में दलित संतों का शाही स्नान, एक ट्रेनी आईएएस का अस्पताल में पलंग के हत्थे पर जूता पहनकर पांव रखकर बातचीत करना, यूपीएससी की चयन परीक्षा में दलित छात्रा का आईएएस टॉपर बनना और अब बीजेपी के सांसद तरुण विजय पर इसलिए हमला, कि वे चकराता के पोखुरी में शिलगुर देवता मंदिर में दलितों को प्रवेश दिलाने ले गए थे।
दलित संतों के नाम पर खासा विवाद हुआ था कि संत तो संत होते हैं। साधु-संतों की कोई जाति नहीं होती; होती है तो केवल मानवता! ट्रेनी आईएएस के बारे में भी खुलासा हुआ कि वह खुद मेडिकल प्रोफेशन से जुड़े रहे हैं और अस्पताल के मरीजों की चिकित्सा पर ख़ास ध्यान भी दे रहे हैं। आईएएस टॉपर टीना डाबी के मामले में भी अलग मोड़ आया और अब ताज़ा घटनाक्रम रहा बीजेपी सांसद तरुण विजय का। तरुण विजय आदिवासी कल्याण परिषद में कई साल काम कर चुके हैं और वे दलितों के मंदिर प्रवेश को लेकर खुद बहुत सक्रिय हैं। उनकी यह सक्रियता कुछ लोगों को रास नहीं आ रही थी, इसलिए उन पर पत्थरों से हमला किया गया।
तरुण विजय पर हुए हमले को लेकर सोशल मीडिया में तीखी बातें हुई हैं। कहा गया कि तरुण विजय बीजेपी के नेता हैं और भारत में दलितों के बारे में बात करने कॉपीराइट तो केवल वामपंथियों के पास है। यह भी विचार रखा गया कि अगर तरुण विजय उपेक्षित दलितों के लिए काम कर रहे हैं तो सभी पार्टियों को उनकी मदद करनी चाहिए। तरुण विजय पर केवल इसलिए हमला किया गया था क्योंकि वे दलितों के साथ मंदिर में प्रवेश लेने के लिए जा रहे थे।
तरुण विजय पर हमले के बाद मास मीडिया में उनकी खबरों की अनदेखी किए जाने पर कहा गया कि भारत में किसी बीजेपी सांसद का महत्व पुलिस विभाग के किसी घोड़े से भी काम होता है। इसीलिए शक्तिमान के बारे में जितनी खबरें प्रकाशित और प्रसारित की गई थीं, उसका दशांश भी तरुण विजय के लिए नहीं रखा गया। यह हमारे मीडिया की मानसिकता को दर्शाता है। तरुण विजय सांसद हैं, इसलिए उन्हें जाने से नहीं रोका जा सकता। जाति के आधार पर किसी को भी रोका जा सकता है।
तरुण विजय पर हमले के बाद आप पार्टी के नेता और कवि कुमार विश्वास ने उनके पक्ष में आवाज उठाई और लिखा कि आप (तरुण विजय) एक नेक काम कर रहे हैं और भगवान से प्रार्थना है कि वे आपको शक्ति प्रदान करें। समाचार एजेंसी एएनआई के संवाददाता ने कहा था कि तरुण विजय वास्तव में जख्मी हो गए है और अगर वे वहां से बचकर नहीं निकलते तो शायद जिन्दा नहीं बच पाते। तरुण विजय पर हुए मले मीडिया में पांच राज्यों के नतीजों के विश्लेषण में जुटे मीडिया ने कम ही तवज्जो दी थी।
सोशल मीडिया में तरुण विजय के प्रयासों की तारीफ़ हो रही है। तरुण विजय ने भी लिखा है कि भगवान को हम जाति में नहीं बांट सकते और अगर हमने बांटने की कोशिश भी की तो यह समाज के लिए विघटनकारी होगा। किसी को भी मंदिर में प्रवेश करने से रोकना सही नहीं कहा जा सकता। तरुण विजय के विरोध में बोलने वालों का कहना है कि उन्हें मंदिर में दलितों के प्रवेश पर आपत्ति नहीं थी। आपत्ति थी तो उस बात पर, जो तरुण विजय ने हरिद्वार प्रेस क्लब में कही थी; तरुण विजय ने जींस-टीशर्ट और धूप का चश्मा लगाकर मंदिर में पूजा करने वाले पुजारियों के व्यवहार के बारे में कहा था कि वे अपनी मर्यादाओं का ध्यान नहीं रख रहे हैं।