गुरुवार, 19 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. साहित्य
  3. मेरा ब्लॉग
  4. एक शहर के लिए कितना जरूरी है पहाड़ का होना?

अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस : पहाड़ पर बनाओ रास्ते, रास्ते के लिए पहाड़ मत काटो ...

City and Mountains
एक शहर के लिए कितना जरूरी है पहाड़ का होना?
बढ़ते शहरीकरण से कटते पेड़ और पहाड़ और घटता पशु, पक्षियों और इंसानों का जीवन। हिमालय, आरावली, सतपुड़ा, विंध्याचल, पश्चिमी घाट, पूर्वी घाट, नीलगिरि पर्वत, अनामलाई पर्वत, काडिमोम पहाड़ियां, गारोखासी पहाड़ियां, नागा पहाड़ियां आदि। इसके बिना भारत का कोई अस्तित्व नहीं। यदि हम भारत को माता कहते हैं तो यह जंगल, नदी, पहाड़ ही तो भारत हैं। बड़े दु:ख की बात है कि मालवा और निमाड़ के पहाड़ तो लगभग लुप्त होने के कगार पर है।
 
 
पहाड़ है तो शहर की आबोहवा है, शुद्ध हवा है : पहाड़ पर बनाओ रास्ते। रास्ते बनाने के लिए पहाड़ मत काटो। बायपास सड़क और रेती-गिट्टी के लिए कई छोटे शहरों के छोटे-मोटे पहाड़ों को काट दिया गया है और कइयों को अभी भी काटा जा रहा है। खनन ने पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। इससे जहां शहर की जलवायु बदल रही है वहीं बीमारियां भी तेजी से फैल रही हैं।
 
दरअसल, पहले किसी भी पहाड़ के उत्तर में गांव या शहर को बसाया जाता था ताकि दक्षिण से आने वाले तूफान और तेज हवाओं से शहर की रक्षा हो सके। इसके अलावा सूर्य का ताप सुबह 10 बजे से लेकर अपराह्न 4 बजे तक अधिक होता है। इस दौरान सूर्य दक्षिणावर्त ही रहता है। पहाड़ से दक्षिण से आने वाली हानिकारक अल्ट्रावॉयलेट किरणों से सुरक्षा होती है। अल्ट्रावॉयलेट से सन बर्न और सन एनर्जी की शिकायत के साथ ही कई तरह के रोग होते हैं इसीलिए मनुष्य के जीवन में पहाड़ महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यदि आपका दक्षिणमुखी मकान है तो आप समझ सकते हैं कि घर में ऑक्सिजन की कमी कैसे होती है और फिर इसके चलते सभी के दिमाग कैसे चिढ़चिढ़े हो जाते हैं।
 
शास्त्रों में लिखा है कि मनुष्य को वहां रहना चाहिए, जहां चारों ओर पहाड़ हों और एक नदी बह रही हो। पहाड़ों के कारण दौड़ती रहने वाली हवाएं जहां काबू में रहती हैं वहीं वह पहाड़ों से घिरकर शुद्ध भी हो जाती है। शहर और गांवों के जीवन के लिए शुद्ध जल के साथ शुद्ध वायु का होना सबसे जरूरी है। 
 
निरोगी रहने की शर्त पहाड़ : यदि किसी शहर के आसपास पहाड़ हैं, तो सबसे बेहतर वातावरण रहेगा। समय पर बारिश, सर्दी, गर्मी होगी और मौसम भी सुहाना होगा। बेहतर वातावरण के कारण लोगों का स्वास्थ्य भी बेहतर रहेगा।
 
हजारों वर्षों में बनते पहाड़ों को मिटा दिया जाता कुछ वर्षों में: पहाड़ों का बनना एक लंबी भूवैज्ञानिक प्रक्रिया है और यह प्रक्रिया हमेशा पहाड़ों के अंदर होती रहती है। यह प्रक्रिया पृथ्वी के अंदर मौजूद क्रस्ट में तरह-तरह की हलचल होने के कारण होती है। पहाड़ टेक्टॉनिक या ज्वालामुखी से बनते हैं। ये सारी चीजें मिलकर पहाड़ को 10,000 फीट तक ऊपर उठा देती हैं। उसके बाद नदियां, ग्लेशियर और मौसम इसे घटाकर कम कर देते हैं।
 
पहाड़ है तो पानी है : हजारों-हजार साल में गांव-शहर बसने का मूल आधार वहां पानी की उपलब्धता होता था। पहले नदियों के किनारे सभ्यता आई, फिर ताल-तलैयों के तट पर बस्तियां बसने लगीं। जरा गौर से किसी भी आंचलिक गांव को देखें, जहां नदी का तट नहीं है- वहां कुछ पहाड़, पहाड़ के निचले हिस्से में झील और उसको घेरकर बसी बस्तियां हैं। पहाड़ नहीं होगा तो शहर रेगिस्तान लगेगा। रेगिस्तान में पानी की तलाश व्यर्थ है।
 
पहाड़ पर हरियाली बादलों को बरसने का न्योता होती है, पहाड़ अपने करीब की बस्ती के तापमान को नियन्त्रित करते हैं और अपने भीतर वर्षा का संपूर्ण जल संवरक्षित कर लेते हैं। इससे आसपास की भूमि का जल स्तर बढ़ जाता है। कुएं, कुंडियों, तालाबों और नलकूपों में भरपूर पानी रहता है। किसी पहाड़ी कटने के बाद इलाके के भूजल स्तर पर असर पड़ने, कुछ झीलों, तालाबों आदि का पानी पाताल में चले जाने की घटनाओं पर कोई ध्यान नहीं देता। क्या किसी वैज्ञानिक ने इसकी जांच की है कि पहाड़ों के कटने से भूकंप की संभावनाएं भी बढ़ जाती है?
 
औषधियों का खजाना पहाड़ : झरने भी पहाड़ से ही गिरते हैं किसी मंजिल से नहीं। पहाड़ हवाएं शुद्ध करता है तो भूमि का जलस्तर भी बढ़ता है। पहाड़ के कारण आसपास चारागाह निर्मित होता है तो वन्य जीवों को भी प्रचूर मात्रा में भोजन मिलता है। पहाड़ है तो जंगल है, जंगल है तो जीवन है।
 
पहाड़ कई चमत्कृत करने वाली जड़ी बूटियों और औषधियों का खजाना है। संजीवनी बूटी किसी पहाड़ पर ही पाई जाती है तो भूलनजड़ी भी पहाड़ पर ही पाई जाती है। ऐसी कई जड़ी बूटियां और औषधियां हैं जो पहाड़ों पर ही उगती है। आयुर्वेद की सबसे महान खोज च्यवनप्राश को माना जाता है पर शायद ही कोई यह जानता होगा कि च्यवनप्राश जैसी आयुर्वेदिक दवा धोसी पहाड़ी की देन है। धोसी पहाड़ी हरियाणा और राजस्थान की सीमा पर स्थित है। उत्तराखंड, सिक्किम, हिमाचल, जम्मू, कश्मीर, लद्दाख, अरुणाचल, नगालैंड आदि मनोरम पहाड़ी क्षेत्रों में विश्‍व की कई दुर्लभ जड़ी बूटियों के साथ ही दुर्लभ वन्य जीव भी पाए जाते हैं।
ये भी पढ़ें
शर्मा जी का मस्त जोक : मसूर की दाल के 742 दाने