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Last Updated : सोमवार, 10 जनवरी 2022 (07:48 IST)

जनवरी माह का पहला बड़ा त्योहार मकर संक्रांति, बन रहे हैं खास संयोग, चमक जाएगी जिंदगी

जनवरी माह का पहला बड़ा त्योहार मकर संक्रांति, बन रहे हैं खास संयोग, चमक जाएगी जिंदगी - Makar Sankranti 2022
Makar Sankranti 2022: मकर संक्रांति हिन्दुओं का सबसे बड़ा त्योहार है। इसे भारत के हर क्षेत्र में अलग अलग तरीके से मनाया जाता है। इस दिन सूर्य उत्तरायण ( uttarayan 2022 ) होकर ऋतु परिवर्तन करता है। 14 जनवरी 2022 शुक्रवार को है मकर संक्रांति। हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार मकर संक्रांति से देवताओं का दिन आरंभ होता है, जो आषाढ़ मास तक रहता है। इस बार मकर संक्रांति पर बन रहे हैं खास संयोग करें ये 5 कार्य।
 
 
खास संयोग : पौष माह में मकर संक्रांति के दिन शुक्ल के बाद ब्रह्म योग रहेगा। साथ ही आनन्दादि योग में मनेगी मकर संक्रांति। इस दिन रोहिणी नक्षत्र रहेगा। इस बार मकर संक्रांति शुक्रवार युक्त होने के कारण मिश्रिता है।
 
ब्रह्म मुहूर्त : प्रात: 05:38 से 06:26 तक।
मकर संक्रांति का पुण्य काल मुहूर्त : दोपहर 02:12:26 से शाम 05:45:10 तक।
अभिजीत मुहूर्त : दोपहर 12:14 बजे से 12:57 तक।
विजय मुहूर्त : दोपहर 1:54 से 02:37 तक।
अमृत काल : शाम 04:40 से 06:29 तक।
गोधूलि मुहूर्त: शाम 05:18 से 05:42 तक।
1. स्नान : मकर संक्रांति या उत्तरायण काल में स्नान करने से तन और मन निर्मल होता है और मनुष्य पापमुक्त हो जाता है। कर्नाटक, केरल तथा आंध्र प्रदेश में इसे केवल संक्रांति ही कहते हैं। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने का, तिल-गुड़ खाने का तथा सूर्य को अर्घ्य देने का महत्व है। यह दिन दान और आराधना के लिए महत्वपूर्ण है। 
 
2. दान : इस दिन जो दान करता है, उसे ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है। दान में वस्त्र, धन और धान का दान भी किया जाता है। जो तपस्वियों को तिल दान करता है, वह नरक का दर्शन नहीं करता। इस दिन उड़द, चावल, तिल, चिवड़ा, गौ, स्वर्ण, ऊनी वस्त्र, कम्बल आदि दान करने का अपना महत्त्व है। महाराष्ट्र में भी इसे संक्रांति कहते हैं। इस दिन महाराष्ट्र में महिलाएं आपस में तिल, गुड़, रोली और हल्दी बांटती हैं।
 
3. विष्णु और सूर्य पूजा : इस दिन श्रीहिर के माधव रूप की पूजा और भगवान सूर्य की पूजा और व्रत आदि करने से उपासक को राजसूय यज्ञ का फल प्राप्त होता है।
 
4. तर्पण : मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिली थीं। महाराज भगीरथ ने अपने पूर्वजों के लिए इस दिन तर्पण किया था इसलिए मकर संक्रांति पर गंगासागर में मेला लगता है। इस दिन तर्पण करने से पितरों को मुक्ति मिलती है।
 
5. पतंग महोत्सव : गुजरात सहित कई राज्यों में यह पर्व 'पतंग महोत्सव' के नाम से भी जाना जाता है। पतंग उड़ाने के पीछे मुख्य कारण है कुछ घंटे सूर्य के प्रकाश में बिताना। यह समय सर्दी का होता है और इस मौसम में सुबह का सूर्य प्रकाश शरीर के लिए स्वास्थवर्द्धक और त्वचा व हड्डियों के लिए अत्यंत लाभदायक होता है। अत: उत्सव के साथ ही सेहत का भी लाभ मिलता है।
 
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