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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : शुक्रवार, 2 दिसंबर 2022 (15:39 IST)

शिवराज के कॉमन सिविल कोड के कार्ड से मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में ध्रुवीकरण की सियासत का आगाज

शिवराज के कॉमन सिविल कोड के कार्ड से मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में ध्रुवीकरण की सियासत का आगाज - Shivraj common civil code card marks the beginning of polarisation politics in Madhya Pradesh
भोपाल। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले समान नागरिक संहिता का समर्थन कर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बड़ा दांव चल दिया है। चुनाव से ठीक पहले समान नागरिक संहिता को मध्यप्रदेश में लागू करने के लिए कमेटी बनाने के एलान से प्रदेश में सियासी पारा गर्मा गया है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कॉमन सिविल कोड को प्रदेश में लागू करने का इशार कर सूबे में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए चुनावी एजेंडा सेट कर दिया है।

कॉमन सिविल कोड पर मुख्यमंत्री ने क्या कहा?- मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सेंधवा में  मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आदिवासियों के सम्मेलन में खुलकर कॉमन सिविल कोड की वकालत कर दी है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि भारत में अब समय आ गया है एक समान नागरिक संहिता लागू होनी चाहिए। एक से ज्यादा शादी क्यों करे कोई, एक देश में दो विधान क्यों चले, एक ही होना चाहिए। मध्य प्रदेश में भी मैं कमेटी बना रहा हूं।

भाजपा ने कांग्रेस को ठहराया जिम्मेदार-प्रदेश में कॉमन सिविल कोड लागू करने की तैयारी के बीच भाजपा ने कांग्रेस को घेर लिया है। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कॉमन सिविल कोड पर कांग्रेस को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि राहुल गांधी आपके पूर्वजों ने तो बाबा साहब अंबेडकर की पुरजोर पैरवी के बाद भी समान नागरिक संहिता को  लागू नहीं होने दिया, लेकिन अब वक्त आ गया है जब एक राष्ट्र, एक विधान, एक संविधान और एक निशान की परिकल्पना मूर्त रूप लें। नरोत्तम मिश्रा ने आगे कहा कि कॉमन सिविल कोड पर राजनीतिक तुष्टीकरण की राजनीति करने वाले कुछ लोगों के पेट में दर्द जरूर हो सकता है, लेकिन कांग्रेस और कमलनाथ को अपना एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदेश की जनता के सामने रखना चाहिए।  

कांग्रेस ने बताया ध्रुवीकरण का एजेंडा-मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव में एक साल से कम का समय शेष बचा है ऐसे में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कॉमन सिविल कोड का समर्थन और प्रदेश में इससे लागू करने की तैयारी के बाद सूबे की मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने हमला बोला है। मध्यप्रदेश में भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हो रहे कांग्रेस के राष्ट्रीय कम्युनिकेशन हेड जयराम रमेश ने कॉमन सिविल कोड के बयान पर कहा कि भाजपा चुनाव के वक्त ऐसे मुद्दे उठाती है जो ध्रुवीकरण के बढ़ावा देती है।  

ध्रुवीकरण के कार्ड में कितने तीर?-ऐसे में जब मध्यप्रदेश में भाजपा ने विधानसभा चुनाव के लिए अपने चुनाव प्रचार अभियान का आगाज कर दिया है तब मुख्यमंत्री कॉमन सिविल कोड को लेकर अपनी सरकार के इरादे साफ कर दिए है। मुख्यमंत्री के कॉमन सिविल कोडर के बयान को सीधे वोटरों के ध्रुवीकरण से जोड़कर देखा जा रहा है। दरअसल मध्यप्रदेश में 2023 का विधानसभा चुनाव भाजपा हिंदुत्व के बलबूते पर लड़ने की तैयारी में है। उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसे मध्यप्रदेश सटे राज्यों में भाजपा ने जिस तरह विधानसभा चुनाव हिंदुत्व के मुद्दे को आगे रखकर चुनाव लड़ा उस पर ही अब मध्यप्रदेश में भाजपा आगे बढ़ रही है।

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के बाद मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार और उसके नेताओं ने हिंदुत्व के मुद्दें पर अक्रामक रूख अखितयार किया है, उसने चुनावी एजेंडे को बहुत कुछ साफ कर दिया है। बात चाहे खरगोन और बड़वानी में हुए दंगों के बाद बुलडोजर चलाने की हो या लव जिहाद को प्रदेश सरकार के बनाए गए कानून की सभी ने भाजपा के हिंदुत्व और ध्रुवीकरण के एजेंडे को ही आगे बढ़ाया है।

क्या है समान नागरिक संहिता?-देश में लंबे समय से समान नागरिक संहिता लागू करने की मांग उठ रही है। दरअसल समान नागरिक संहिता पूरे देश के लिए एक समान कानून के साथ ही सभी धार्मिक समुदायों के लिए विवाह, तलाक, संपत्ति, उत्तराधिकार, दत्तक ग्रहण कानूनों में भी एकरूपता प्रदान करने का प्रावधान करती है। समान नागरिक संहिता भाजपा के चुनावी एजेंडे में भी शामिल है और पिछले देश के गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि भाजपा समान नागरिक संहिता को लागू करने को लेकर प्रतिबद्ध है।

समान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड का अर्थ होता है भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून। चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो। समान नागरिक संहिता में शादी, तलाक और जमीन-जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होगा। यूनिफॉर्म सिविल कोड का अर्थ एक निष्पक्ष कानून है, जिसका किसी धर्म से कोई ताल्लुक नहीं है।

संविधान के आर्टिकल 36 से 51 के माध्यम से राज्य को कई मुद्दों पर सुझाव दिए गए हैं। इनमें से आर्टिकल 44 राज्य को सभी धर्मों के लिए समान नागरिक संहिता बनाने का निर्देश देता है। यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने से सभी धर्मों के लिए एक जैसा कानून आ जाएगा। वर्तमान में मुस्लिम और हिन्दू लॉ में तलाक और विवाह संबंधी कानून अलग-अलग हैं। संविधान के अनुच्छेद 44 के अनुसार पूरे भारत के नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करने की बात कही गई है। 
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