गांवों के स्तर पर बच्चों को हर प्रकार के शोषण से बचाने के ध्येय के साथ मध्य प्रदेश सरकार के महिला एवं बाल कल्याण विभाग ने कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन (केएससीएफ) के सफल प्रयोग बाल मित्र ग्राम को राज्य के कई गांवों में लागू करने का फैसला किया है।
बच्चों को औपचारिक शिक्षा से जोड़कर और उन्हें स्कूलों में बनाए रखते हुए गांवों के स्तर पर बच्चों के लिए शोषणमुक्त वातावरण का निर्माण इसका मुख्य लक्ष्य होगा।
इस संबंध में महिला एवं बाल कल्याण विभाग और केएससीएफ ने एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है, जिसके तहत मध्य प्रदेश के फिलहाल 10 जिलों के 100 गांवों को बाल मित्र ग्राम (बीएमजी) बनाया जाएगा।
इस कार्यक्रम के तहत गांवों को बाल श्रम और बच्चों को अन्य प्रकार के शोषण से मुक्त किया जाएगा और बच्चों तथा समुदायों की सामाजिक सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाएगी। बाल भागीदारी और बच्चों के बीच नेतृत्व क्षमता को बढ़ावा देना, इस हस्तक्षेप के मूल में होगा। बीएमजी बाल मित्र समाज बनाने की नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी की एक अभिनव पहल है।
बीएमजी ऐसे गांवों को कहते हैं जहां के बच्चे बाल मजदूरी नहीं करते हों और वे सभी स्कूल जाते हों। वहां एक चुनी हुई बाल पंचायत होती है, जिसे ग्राम पंचायत मान्यता देती है। ग्राम पंचायत के निर्णयों में बच्चों का प्रतिनिधित्व होता है। इसका निर्माण की एक सतत और समय आधारित प्रक्रिया है।
बच्चों के संरक्षण और बच्चों पर केंद्रित ग्रामीण विकास के लिए प्रतिबद्ध बाल मित्र ग्राम एक समग्र कार्यक्रम है जिसे हर बच्चे को सुरक्षित, स्वतंत्र, स्वस्थ और शिक्षित करने के उद्देश्य से डिजाइन किया गया है। बीएमजी कार्यक्रम के तहत केएससीएफ वर्तमान में प्रतिदिन 600 गांवों तक पहुंच रहा है और इसके माध्यम से 1.5 लाख बच्चों का संरक्षण हो रहा है।
साथ ही, इस कार्यक्रम के तहत मध्य प्रदेश सहित छह राज्यों के 75000 से अधिक बच्चों को स्कूलों में बनाए रखना सुनिश्चित किया है। इस कार्यक्रम के माध्यम से बाल श्रम में फंसे 12000 से अधिक बच्चों को कामकाज के बोझ से बाहर निकालने और 14,000 से अधिक बच्चों का स्कूलों में दाखिला कराने में मदद मिली है। इसके जरिए 14000 से अधिक परिवारों को भी विभिन्न सरकारी कल्याण और सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों से जोड़ा गया है।
केएससीएफ ने विदिशा जिले के गंज बसौदा, जो कि नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी का पैतृक जिला भी है, में 10 गावों को बाल मित्र ग्रामों में परिवर्तित किया है। गंजबसौदा के 20 अन्य गांवों को भी बाल मित्र ग्रामों में बदलने की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है।
यह प्रोजेक्ट ब्राजील के प्रसिद्ध संगीतकार और गीतकार आलोक की संस्था आलोक इंस्टीट्यूट ऑफ ब्राजील के सहयोग से शुरू किया गया है। कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन सीधे इस कार्यक्रम को 30 गांवों में लागू करेगा और 100 गांवों में इस मॉडल को दोहराने में सरकार का सहयोग करेगा।
इस अवसर पर कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकरी (सीईओ) एससी सिन्हा ने कहा, “हमें बाल मित्र ग्राम के अपने प्रभावी मॉडल को लागू कराने के लिए मध्य प्रदेश सरकार के साथ सहयोग करने में प्रसन्नता हो रही है।
बाल मित्र ग्राम, बाल संरक्षण और बाल केंद्रित ग्रामीण विकास का हमारा सतत और समग्र निवारक कार्यक्रम है ताकि हर बच्चा सुरक्षित, मुक्त, स्वस्थ और शिक्षित हो।
उन्होंने आशा जताई कि बाल मित्र ग्राम कार्यक्रम मध्य प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में परिवर्तन लाने के राज्य सरकार के प्रयासों में अपना महत्वपूर्ण योगदान देगा।