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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : गुरुवार, 13 अक्टूबर 2022 (17:56 IST)

मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में कराने वाला देश का पहला राज्य बनेगा मध्यप्रदेश, डॉक्टर्स की ही जुबानी जानें क्यों है खास!

मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में कराने वाला देश का पहला राज्य बनेगा मध्यप्रदेश, डॉक्टर्स की ही जुबानी जानें क्यों है खास! - Madhya Pradesh will become the first state in the country to conduct medical studies in Hindi
भोपाल। मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में करने जा रहा मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य बनने जा रहा है। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह 16 अक्टूबर को भोपाल में देश में पहली बार हिन्दी में मेडिकल की पढ़ाई का भोपाल में शुभारंभ करेंगे। भोपाल के लाल परेड ग्राउण्ड पर एमबीबीएस प्रथम वर्ष की हिन्दी पुस्तकों का विमोचन होगा।

प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई  प्रारंभ करने का सपना अब साकार होने जा रहा है। उन्होंने कहा कि देश में पहली बार मध्यप्रदेश में हिंदी में भी मेडिकल की पढ़ाई का शुभारंभ होने से पिछले 6 महीने में पुस्तकों के हिंदी रूपांतरण के लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग का परिश्रम फलीभूत होने जा रहा है। 16 अक्टूबर को लाल परेड ग्राउंड में होने वाले कार्यक्रम में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह मेडिकल की पढ़ाई के प्रथम वर्ष की (एमबीबीएस) की तीन पुस्तकें एनाटॉमी, फिजियोलॉजी एवं बायो केमिस्ट्री का विमोचन करेंगे।

चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सांरग ने कहा कि हिंदी माध्यम से पढ़ाई करने के बाद छात्र कड़ी मेहनत कर नीट की परीक्षा में तो उत्तीर्ण हो जाते हैं लेकिन एमबीबीएस में अंग्रेजी भाषा होने से उन्हें कई कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। लेकिन अब हिंदी में पाठ्यक्रम होने से उनको आसानी होगी।

हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई से क्या होगा फायदा?-हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई के लिए एमबीबीएस के पहले साल में तीन किताबें तैयार की है। जिसमें एनाटॉमी, फिजियोलॉजी और बायोकेमिस्ट्री की हिंदी में किताबें तैयार की गई है। हिंदी में इन किताबों को तैयार करने में 97 एक्सपर्ट डॉक्टर्स की मदद ली गई है। इसके लिए देश के मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई जा रही किताबों का एक सर्वे कराया गया। मेडिकल का कोर्स हिंदी तैयार करने के लिए 14 सदस्यीय एक कमेटी बनाई गई। 

मध्यप्रदेश सरकार के चिकित्सा हिंदी प्रकोष्ठ के सदस्य और मशूहर मनोचिकित्सक डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि कि वह ऐसे बहुत से छात्रों के बारे में जानते है कि उन्होंने सिर्फ इस कारण एमबीबीएस की प्रवेश परीक्षा नहीं दी क्योंकि उन्हें इंग्लिश में पढ़ाई करनी होगी। इसके साथ मेडिकल की पढ़ाई के दौरान बहुत से स्टूडेंट्स हिंदी माध्यम का होने के कारण हताशा और कुंठा के शिकार होते है। डॉक्टर सत्यकांत सरकार के फैसले की तारीफ करते हुए हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई शुरू कर मध्यप्रदेश अन्य राज्यों के लिए एक रोल मॉडल बनेगा।

डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई में मेडिकल की भाषा के मूल शब्दों से छेड़छाड़ नहीं किया गया है, केवल उनको देवनागरी लिपि में लिखने का प्रयास किया गया है। उदाहरण के लिए स्पाइनल कॉर्ड को हिंदी में मेरूदंड होता है लेकिन इसके मेरूदंड नहीं लिखकर देवनागरी लिपी में स्पाइनल कॉर्ड लिखा गया है।

वह कहते हैं कि एक तरह से शब्दों का ट्रांसलेशन नहीं होकर ट्रांसफॉर्मेशन है। हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई का उद्देश्य पढ़ाई को कठिन नहीं ब्लकि आसान बनाना है। जिससे हिंदी माध्यम से पढ़ाई करने वाले छात्रों का आत्मविश्वास बढ़ सके और अपनी भाषा में जवाब दे सके।

वहीं ग्वालियर के गजराजा मेडिकल कॉलेज में मेडिकल की पीजी की पढ़ाई कर रहे रूपेश वर्मा अपने अनुभवों को शेयर करते हुए कहते है कि उनका शुरु से मीडियम हिंदी था, ऐसे में एमबीबीएस की पढ़ाई के दौरान उनको क्लास पढाए गए अग्रेजी के शब्द समझ नहीं आते थे और क्लास के बाद घर आकर घंटों डिक्शनरी में बैठकर उनक शब्दों को समझने की कोशिश करते थे। ऐसे में अब मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में होने से हिंदी माध्यम के छात्रों को बहुत फायदा होगा।
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