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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : शनिवार, 11 जून 2022 (15:21 IST)

मध्य प्रदेश पंचायत चुनाव में परिवारवाद हावी, दिग्गज BJP नेताओं का परिवार चुनावी मैदान में, जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर नजर

मध्यप्रदेश में बड़ी सख्या में भाजपा नेताओं के परिवार के सदस्य लड़ रहे जिला पंचायत सदस्य का चुनाव

मध्य प्रदेश पंचायत चुनाव में परिवारवाद हावी, दिग्गज BJP नेताओं का परिवार चुनावी मैदान में, जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर नजर - Madhya Pradesh: Sons and relatives of BJP leaders in the fray in Panchayat elections
भोपाल। मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर आज से आधिकारिक तौर पर चुनाव प्रचार शुरु हो गया है। शुक्रवार को नाम वापसी और उम्मीदवारों को चुनाव चिन्ह आवंटित होने के बाद अब उम्मीदवार पूरी ताकत के साथ चुनावी मैदान में उतर आए है। मध्यप्रदेश में सात साल बाद हो रहे पंचायत चुनाव खूब चर्चा में है। पंचायत चुनाव भले ही पार्टी सिंबल पर नहीं हो रहे है लेकिन पंचायत चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। 
 
अगर बात करें सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा की तो मध्यप्रदेश में भाजपा दिग्गजों के परिवार के सदस्य बड़ी संख्या में चुनावी मैदान में है। पॉलिटिकल बैकग्राउंड से आने वाले उम्मीदवार सबसे अधिक दावेदारी जिला पंचायत सदस्य पद के लिए कर रहे है और जिला पंचायत सदस्य में जीत दर्ज कर वह जिला पंचायत अध्यक्ष की दावेदारी पेश करने की तैयार कर रहे है। इस बार चर्चित मुद्दें में बात करें मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव में हावी परिवारवाद की। 
 
सागर में मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के भाई निर्विरोध जीते- मध्यप्रदेश की राजनीति में सागर जिले को अपना एक अलग स्थान है। पंचायत चुनाव में सागर में राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के बड़े भाई हीरा सिंह के वार्ड क्रंमाक-4 से निर्विरोध जिला पंचायत सदस्य चुने गए है। जिला पंचायत सदस्य जीतने के साथ हीरा सिंह का जिला पंचायत अध्यक्ष चुना जाना करीब-करीब तय हो गया है, इसकी वजह जिला पंचायत अध्यक्ष पद के अन्य दावेदारों का जिला पंचायत सदस्य से नाम वापस ले लेना है। 
 
गौरतलब है कि सागर में जिला पंचायत चुनाव के नामांकन के दौरान सबसे अधिक दिग्गज नेताओं के परिवार के सदस्य सक्रिय थे। एक समय कैबिनेट मंत्री भूपेंद्र सिंह के परिवार को अशोक बामोरा सहित हरवंश सिंह राठौर चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में थे लेकिन वह आखिरी समय पीछे हट गए थे। नाम वापसी के आखिरी दिन शुक्रवार को दोनों नेताओं ने नाम वापस ले लिए थे। 
पूर्व CM उमा भारती की बहू चुनावी मैदान में- मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के भतीजे और भाजपा के विधायक राहुल सिंह लोधी की पत्नी उमिता सिंह लोधी ने टीकमगढ़ जिले से जिला पंचायत सदस्य के लिए दावेदारी कर रही है। हलांकि उमिता सिंह लोधी के चुनाव लड़ने पर उमा भारती अपना पल्ला झाड़ते हुए कह चुकी है किक पार्टी उमिता की उम्मीदवारी के संबंध में अपने नियम के अनुसार फैसला लें।  
 
विस अध्यक्ष के बेटे चुनावी मैदान में-वहीं मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के बेटे राहुल गौतम ने रीवा जिला पंचायत के वार्ड 27 से नामांकन भरा है। इसके साथ विधानसभा अध्यक्ष के भतीजे पद्मेश गौतम भी चुनावी मैदान में है।
 
दिग्गज मंत्रियों के बेटे चुनावी मैदान में-पंचायत चुनाव में शिवराज सरकार के कई मंत्रियों के बेटे जिला पंचायत सदस्य के लिए चुनावी मैदान में है। वन मंत्री विजय शाह के पुत्र दिव्यादित्य शाह हरसूद विधानसभा क्षेत्र के जिला पंचायत की वार्ड नंबर 14 से चुनाव लड़ रहे है। हलांकि जिला पंचायत अध्यक्ष का पद अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित होने के चलते दिव्यादित्य शाह अध्यक्ष पद की दौड़ से बाहर है। 
 
वहीं शिवराज सरकार के अन्य मंत्रियों में बड़वानी से मंत्री प्रेम सिंह पटेल के बेटे बलवंत सिंह पटेल, राज्यमंत्री रामखेलावन पटेल की बहू तारा पटेल सतना जिले से जिला पंचायत सदस्य के लिए चुनाव मैदान में डटी हुई है। 
BJP विधायक भी पीछे नहीं- इसके साथ टीकमगढ़ के निवाड़ी के भाजपा विधायक अनिल जैन की पत्नी निरंजना जैन वार्ड नंबर 5 से जनपद सदस्य के लिए चुनाव लड़ रही है। वहीं टीकमगढ़ से भाजपा विधायक राकेश गिरी की दो बहन  जिला पंचायत सदस्य के लिए चुनावी मैदान में है। वहीं सतना जिले की रैगांव के पूर्व विधायक जुगल किशोर बागरी के बेटे पुष्पराज बागरी जिला पंचायत सदस्य के लिए चुनावी मैदान में है। 
परिवारवाद पर पार्टी गाइडलाइन की काट!-जिला पंचायत सदस्य के लिए भाजपा के दिग्गज नेताओं के बेटों और परिवार के अन्य की दावेदारी को सीधे तौर पर पार्टी की परिवारवाद की गाइडलाइन की काट माना जा रहा है। दरअसल पिछले दिनों भोपाल दौरे के दौरान पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा साफ कर चुके है कि पार्टी में अब पिता के बाद बेटे को टिकट नहीं दिया जाएगा।

नड्डा ने परिवारवाद पर गाइडलाइन साफ करते हुए कहा कि भाजपा ने देश की राजनीति में परिवारवाद की संस्कृति के खिलाफ आवाज उठाई है और हमारी कोशिश है कि पिता के बाद बेटा न आ जाए, इसको रोका जाए। पार्टी के आंतरिक लोकतंत्र का बरकरार रखना है और इसलिए पार्टी में परिवारवाद की कोई जगह नहीं है। नेता पुत्रों के राजनीति में सक्रिय होने पर सवाल पर जेपी नड्डा ने कहा कि वह पार्टी के लिए काम करें अच्छी बात है लेकिन जहां तक प्रतिनिधित्व की बात है तो पार्टी कार्यकर्ता को ही आगे बढ़ाएगी।