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Last Updated : शुक्रवार, 8 नवंबर 2024 (14:18 IST)

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने विजयपुर उपचुनाव से बनाई दूरी, गुटबाजी भाजपा पर पड़ेगी भारी!

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने विजयपुर उपचुनाव से बनाई दूरी, गुटबाजी भाजपा पर पड़ेगी भारी! - Jyotiraditya Scindia distanced himself from election campaign in Vijaypur by-election
मध्यप्रदेश में भाजपा की प्रतिष्ठा की लड़ाई वाली श्योपुर जिले के विजयपुर विधानसभा उपचुनाव से केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की दूरी सियासी गलियारों में चर्चा के केंद्र में आ गई है। विजयपुर विधानसभा उपचुनाव में अब चुनाव प्रचार के सिर्फ 3 दिन बचे है लेकिन विजयपुर के लिए भाजपा के स्टार प्रचारक बनाए गए ज्योतिरादित्य सिंधिया अब तक चुनाव प्रचार के लिए नहीं पहुंचे है। ऐसा तब है जब विजयपुर उपचुनाव भाजपा के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई होने के साथ खुद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के सियासी भविष्य के लिए बहुत अहम रखती है तब सिंधिया का चुनाव प्रचार के लिए नहीं पहुंचना एक बार फिर भाजपा की अंदरखाने की गुटबाजी को बयां कर रही है।

विजयपुर से सिंधिया ने क्यों बनाई दूरी!-विजयपुर उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी रामनिवास रावत एक समय ग्वालियर-चंबल की सियासत में ज्योतिरादित्य सिंधिया के कट्टर समर्थक माने जाते थे। मार्च 2020 में जब सिंधिया अपने समर्थकों  के साथ भाजपा में शामिल हुए थे तब रामनिवास रावत ने महाराज का साथ छोड़ दिया था और कांग्रेस में बने रहे। वहीं इस साल हुए लोकसभा चुनाव में चुनाव प्रचार के दौरान रामनिवास रावत ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी और बाद में वह मोहन यादव सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बने।

लोकसभा चुनाव के समय रामनिवास रावत के भाजपा में लाने के पीछे अहम भूमिका ग्वालियर-चंबल अंचल के बड़े नेता नरेंद्र सिंह तोमर की मानी जाती है और इसका सीधा फायदा भी लोकसभा चुनाव में भाजपा को हुआ और भाजपा ने मुरैना सीट पर जीत दर्ज की। मार्च 2020 से पहले सिंधिया समर्थक रामनिवास रावत की गिनती अब भाजपा में नरेंद्र सिंह तोमर के समर्थकों में होती है और यहीं कारण है कि उपचुनाव में रामनिवास रावत को जीत दर्ज कराने के लिए नरेंद्र सिंह तोमर ने पूरी चुनावी कमान अपने हाथों में संभाल ली है और लगातार चुनाव प्रचार कर रहे है। वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थक मंत्री और नेताओं ने विजयपुर उपचुनाव से दूरी बना ली है।

सिंधिया की एंट्री के बाद ग्वालियर-चंबल में भाजपा की गुटबाजी- दरअसल मार्च 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया की भाजपा में आने के बाद ग्वालियर-चंबल की राजनीति में असंतुलन की स्थिति बनी हुई है। ग्वालियर-चंबल की भाजपा नई और पुरानी भाजपा में बंट गई है। सिंधिया को भाजपा में शामिल हुए भले ही चार साल से अधिक समय हो गया हो लेकिन अब भी वह कांग्रेस से उनके साथ आए अपने समर्थकों को आगे बढ़ाने में लगे हुए है। बात चाहे ग्वालियर के प्रभारी मंत्री की हो तो वह सिंधिया समर्थक तुलसी सिलावट है। वहीं सिंधिया ने अपनी लोकसभा गुना-शिवपुरी में दोनों जिलों के प्रभारी मंत्री भी अपने समर्थकं को ही बनवाया है। सिंधिया के कट्टर समर्थक प्रदुयय्मन सिंह तोमर शिवपुरी जिले के प्रभारी मंत्री और तो सिंधिया समर्थनक गोविंद सिंह राजपूत गुना के प्रभारी मंत्री है।

वहीं गुना-शिवपुरी संसदीय सीट से सांसद होने के बाद भी ज्योतिरादित्य सिंधिया लगातार ग्वालियर की राजनीति में अपना दखल बनाने की कोशिश करते हुए दिखाई देते है। गुना-शिवपुरी से सांसद होने के बावजूद सिंधिया ग्वालियर के विकास कार्यों का श्रेय लेने की होड़ लेते हुए दिखाई देते है, यहीं कारण है कि उनका ग्वालियर से भाजपा सांसद भारत सिंह कुशवाह से सीधा टकराव भी देखने को मिल रहा है, जो नरेंद्र सिंह तोमर के खेमे के माने जाते है।

दरअसल भाजपा के वरिष्ठ नेता और विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर का ग्वालियर-चंबल अंचल में खासा दबदबा माना जाता है और सिंधिया के भाजपा में आने से पहले उनका अंचल में एकतरफा वर्चस्व हुआ करता था लेकिन जबसे ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने समर्थकों के साथ पार्टी में आए हैं, तबसे उनका कद प्रभावित हुआ है ऐसे में राजनीतिक विश्लेषक बताते है कि अगर रामनिवास रावत उपचुनाव में जीतेंगे तो नरेंद्र सिंह तोमर का वजन बढ़ेगा। यहीं कारण है कि सिंधिया और उनके समर्थक नेताओं ने विजयपुर उपचुनाव से दूरी बना ली है। 
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