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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : गुरुवार, 13 अप्रैल 2023 (14:27 IST)

अंबेडकर जयंती के बहाने मध्यप्रदेश में दलितों को साधने की तैयारी

अंबेडकर जयंती के बहाने मध्यप्रदेश में दलितों को साधने की तैयारी - Efforts to help Dalits in Madhya Pradesh on Ambedkar Jayanti
भोपाल। संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की राजनीति के बहाने मध्यप्रदेश में दलित वोट बैंक को साधने की कवायद तेज हो गई है। शुक्रवार (14 अप्रैल) को अंबेडकर जयंती पर इंदौर के महू मे सियासी दलों के नेताओं का जमावड़ा लगने जा रहा है। वहीं विधानसभा चुनाव में दलित वर्ग को साधने  के लिए सियासी दलों ने खास तैयारी की है।

सत्तारूढ़ दल भाजपा अंबेडकर जयंती पर प्रदेश में सामाजिक न्याय सप्ताह मना रही है। 6 अप्रैल से 14 अप्रैल तक सामाजिक न्याय सप्ताह के अंतर्गत कल और आज स्वच्छता के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे है। इसके साथ 14 अप्रैल को पार्टी प्रत्येक बूथ पर कार्यक्रम आयोजित करेगी। इसमें पार्टी भीमराव अबेडकर के व्यक्तित्व और कृतित्व पर केन्द्रित सेमिनार आयोजित करने के साथ पार्टी के पदाधिकारी और कार्यकर्ता सेवा बस्तियों में केन्द्र और राज्य सरकार की उपलब्धियों पर चर्चा करेंगे। वहीं सरकार 16 अप्रैल को अंबेडकर महाकुंभ का आयोजन करने जा रही है। भाजपा अंबेडकर महाकुंभ के जरिए ग्वालियर-चंबल के 34 सीटों पर दलित वोटरों को साधने की कोशिश में है।

वहीं कांग्रेस की ओर से अंबेडकर जयंती पर पूरे प्रदेश में कार्यक्रम करने जा रही है। पार्टी मुख्यमंत्री के गृह क्षेत्र में अंबेडकर बचाओ सभा करेगी, जिसमें में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ सहित कांग्रेस के कई दिग्गज नेता इसमें शामिल होंगे। संविधान बचाओ सभा के जरिए कांग्रेस जनता को यह बताने की कोशिश करेगी कि भाजपा सरकारें किस तरह संविधान को खतरे में डाल रही है, इसको बताएगी। इसके साथ पार्टी जिले से लेकर मंडलम तक कार्यक्रम करने जा रही है।

वहीं मध्यप्रदेश में चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे भीमा आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर आजाद के साथ समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव भी शामिल होंगे। पिछले दिनों में भोपाल में एक कार्यक्रम के जरिए भीम आर्मी प्रमुख ने दलितों को साधने की कोशिश की थी।

दलितों को साधना क्यों जरूरी मजबूरी?-मध्यप्रदेश में चुनावी साल में दलितों का साधना सियासी दलों के एक जरूरी मजबूरी है। दरअसल  प्रदेश में 17 फीसदी वोट बैंक वाले दलित वोटर चुनाव में गेमचेंजर की भूमिका निभाता है। प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से 35 सीटें अनुसूचित जाति वर्ग (दलित) वर्ग के  लिए आरक्षित है। वहीं प्रदेश की कुल 230 विधानसभा सीटों में से 84 विधानसभा सीटों पर दलित वोटर जीत हार तय करते है।

मध्यप्रदेश में दलित राजनीति इस समय सबसे केंद्र में है। छिटकते दलित वोट बैंक को अपने साथ एक जुट रखने के लिए भाजपा लगातार दलित नेताओं को आगे बढ़ रही है। बात चाहे बड़े दलित चेहरे के तौर पर मध्यप्रदेश की राजनीति में पहचान रखने वाले सत्यनारायण जटिया को संसदीय बोर्ड और चुनाव समिति में शामिल करना हो या जबलपुर से सुमित्रा वाल्मीकि को राज्यसभा भेजना हो। भाजपा लगातार दलित वोटरों को सीधा मैसेज देने की कोशिश कर रही है।
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