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Last Modified: शुक्रवार, 14 फ़रवरी 2025 (22:46 IST)

CM मोहन यादव की सिख समाज को बड़ी सौगात, ग्वालियर का नगर द्वार कहलाएगा 'दाता बंदी छोड़' द्वार

CM मोहन यादव की सिख समाज को बड़ी सौगात, ग्वालियर का नगर द्वार कहलाएगा 'दाता बंदी छोड़' द्वार - Chief Minister Dr Mohan Yadav gave a big gift to Sikh community
Gwalior Madhya Pradesh News : मुख्‍यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सिख समाज को बड़ी सौगात दी है। मुख्‍यमंत्री ने पवित्र सिख धर्म के छठवें गुरु हरगोविंद सिंह जी महाराज की स्मृति में ग्वालियर नगर द्वार का नाम रखा ‘दाता बंदी छोड़ द्वार’ करने का ऐलान किया है। गुरु हरगोविंद सिंह ग्वालियर के किले में बंदी के तौर पर रहे थे। गुरु हरगोविंद सिंह ने मुगल शासक जहांगीर के सामने 52 हिंदू राजाओं को रिहा करने की शर्त रखी थी।मुख्‍यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि ग्वालियर और चंबल संभाग में सिक्ख समुदाय का बड़ा प्राचीन गौरवशाली इतिहास रहा है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सिख समाज को एक बड़ी सौगात दी है। उन्होंने ऐलान किया कि ग्वालियर के मुरैना मार्ग स्थित नगर द्वार का नाम पवित्र सिख धर्म के छठवें गुरु हरगोविंद सिंह जी महाराज के नाम पर ‘दाता बंदी छोड़ द्वार’ किया जाएगा। सीएम डॉ. यादव ने कहा कि ग्वालियर और चंबल संभाग में सिक्ख समुदाय का बड़ा प्राचीन गौरवशाली इतिहास रहा है। यहां बड़ी संख्या में सिख समुदाय के लोग निवास करते हैं।

’दाता बंदी छोड़’ का इतिहास
सीएम डॉ. मोहन यादव ने ग्वालियर के साथ जुड़े गुरु हरगोविंद सिंह जी महाराज के इतिहास को स्मरण करते हुए बताया कि मुगल शासक जहांगीर ने उन्हें धोखे से कैद कर लिया व ग्वालियर के किले में बंदी बनाकर रखा। गुरु हरगोविंद सिंह जी के साथ वहां 52 हिंदू राजा भी बंदी बनाकर रखे गए थे। जब जहांगीर को गुरु हरगोविंद जी के अध्यात्म, शौर्य, पराक्रम और सिख गुरुओं के बलिदान की जानकारी मिली तो उसे अपनी भूल का एहसास हुआ।
इसके बाद जहांगीर ने गुरु साहिब को रिहा करने का आदेश दिया। लेकिन गुरु साहिब ने शर्त रखी कि वे तभी किले से बाहर आएंगे, जब वहां पहले से बंदी 52 हिंदू राजाओं को भी छोड़ा जाएगा। बंदी हिंदू राजाओं को मुक्त कराकर ही गुरु साहिब बाहर आए।
इसे बंदी छोड़ दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। इसी महान गाथा की स्मृति में ग्वालियर के नगर द्वार का नाम अब दाता बंदी छोड़ द्वार के रूप में पहचाना जाएगा। साथ ही सीएम डॉ. यादव ने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार और ग्वालियर स्मार्ट सिटी मिलकर इस गौरवशाली इतिहास को याद करते हुए इस द्वार के माध्यम से देश-दुनिया तक ये गाथा पहुंचा रहे हैं।
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