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गुरु हर गोविंद सिंह कौन थे।
गुरु हर गोविंद सिंह जी का जीवन दर्शन।
गुरु हर गोविंद सिंह महाराज के कार्य जानें।
Guru Har Govind Singh Jee : हर साल सिख समुदाय में छठवे गुरु, गुरु हर गोविंद साहिब जी का प्रकाश पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। वे एक परोपकारी एवं क्रांतिकारी योद्धा के रूप में जाने जाते हैं। उनका जीवन दर्शन जन-साधारण के कल्याण से जुड़ा हुआ था। उन्होंने सिख पंथ को योद्धा चरित्र प्रदान किया था। उन्होंने अपने जीवनकाल में कई महत्वपूर्ण कार्य किए।
आइए उनकी जयंती पर जानिए उनके जीवन के खास कार्य :
उल्लेखनीय कार्य :
- श्री गुरु हर गोविंद सिंह युद्ध में शामिल होने वाले पहले गुरु थे।
- गुरु हर गोविंद सिंह ने 'अकाल बुंगे' की स्थापना की। जो कि एक बड़ा भवन जिसके ऊपर गुंबज हो।
- गुरु हर गोविंद सिंह ने अकाल तख्त का निर्माण किया था।
- उन्होंने सिखों को युद्ध कलाएं सिखाने तथा सैन्य परीक्षण के लिए भी प्रेरित किया था।
- मीरी पीरी तथा कीरतपुर साहिब की स्थापनाएं की थीं।
- उन्होंने अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के सम्मुख अकाल तख्त/ ईश्वर का सिंहासन का निर्माण किया। जिसमें होने वाली गुप्त गोष्ठिययों में जो निर्णय होते थे उन्हें 'गुरुमतां' यानि 'गुरु का आदेश' मानकर युद्ध सम्बन्धी कार्य किए जाते थे।
- गुरु हर गोविंद जी ने मुगलों के अत्याचारों से पीड़ित अनुयायियों में इच्छाशक्ति और आत्मविश्वास जगाया और मुगलों के विरोध में सेना संगठित करके अपने शहरों की किलेबंदी की थीं।
- उन्होंने अमृतसर के निकट लौहगढ़ नामक एक किला भी बनवाया था।
- गुरु हर गोविंद सिंह ने कीरतपुर, रोहिला की लड़ाई, हरगोविंदपुर, करतारपुर, गुरुसर तथा अमृतसर की लड़ाइयों में प्रमुखता से भागीदारी निभाई थी।
हर गोविंद सिंह महाराज जी ने अमृतसर में अकाल तख्त (ईश्वर का सिंहासन, स्वर्ण मंदिर के सम्मुख) का निर्माण किया। इसी भवन में अकालियों की गुप्त गोष्ठियां होने लगीं। इनमें जो निर्णय होते थे उन्हें 'गुरुमतां' अर्थात् 'गुरु का आदेश' नाम दिया गया।
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