विजयपुर उपचुनाव में कैबिनेट मंत्री रामनिवास रावत हारे, गुटबाजी और भितरघात भाजपा पर पड़ी भारी
भोपाल। विजयपुर उपचुनाव में कांग्रेस ने बड़ी जीत हासिल कर प्रदेश की सियासत बड़ा उलटफेर कर दिया। कांग्रेस उम्मीदवार मुकेश मल्होत्रा ने कैबिनेट मंत्री और भाजपा प्रत्याशी रामनिवास रावत को 7 हजार से अधिक वोटों से हार दिया। गौरतलब है कि रामनिवास रावत लोकसभा चुनाव के समय कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए थे। विजयपुर में कांग्रेस की जीत और भाजपा की हार के क्या कारण है इसको समझते है।
भाजपा की गुटबाजी और भितरघात हार की बड़ी वजह-विजयपुर उपचुनाव में कैबिनेट मंत्री रामनिवास रावत की हार का बड़ा कारण भाजपा की अंदरूनी गुटबाजी और स्थानीय स्तर पर भितरघात रहा। विजयपुर उपचुनाव के दौरान पूरी पार्टी दो धड़ों मे बंटी हुई दिखाई। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थकों ने जिस तरह से उपचुनाव से दूरी बनाई उसका असर सीधे चुनाव परिणाम पर देखने को मिला।
दरअसल विजयपुर उपचुनाव की कमान विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने अपने हाथों में संभाल रखी, यहीं कारण है कि सिंधिया गुट पूरे चुनाव से दूरी बना ली। भाजपा के स्टार प्रचारक होने के बाद भी सिंधिया का विजयपुर में एक भी चुनावी रैली नहीं करना भी सियासी गलियारों में काफी चर्चा में रहा। वहीं सिंधिया गुट का कोई भी बड़ा नेता विजयपुर में चुनाव प्रचार करने नहीं पहुंचा।
इसके साथ ही भाजपा के स्थानीय कार्यकर्ता कांग्रेस से भाजपा में आए रामनिवास रावत को स्वीकार नहीं कर पाए और पूरे चुनाव के दौरान भाजपा के कोर कार्यकर्ता सक्रिया नजर नहीं आए, यह भाजपा की हार का बड़ा कारण बना। वहीं कांग्रेस उम्मीदवार मुकेश मल्होत्रा जो 2023 के विधानसभा चुनाव के समय टिकट नहीं मिलने से भाजपा छोड़ दी थी उनको भी अपने पुराने संपर्कों का लाभ मिला।
कांग्रेस की एकजुटता और चुनावी मैनजमेंट- विजयपुर में कांग्रेस की जीत का बड़ा कारण उसका पूरी तरह एकजुट होना। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी समेत कांग्रेस के बड़े नेता पूरे चुनाव के दौरान विजयपुर में डटे रहे। वोटिंग के दिन भी जिस तरह से विजयपुर में जिस तरह जीतू पटवारी के नेतृत्व में कांग्रेस अक्रामक नजर आई उसका फायदा भी कांग्रेस प्रत्याशी मुकेश मल्होत्रा को मिला। वहीं विजयपुर में कांग्रेस का बूथ पर चुनाव मैंनेजमेंट भी उसकी जीत का बड़ा कारण बना। मुरैना लोकसभा चुनाव के वक्त रामनिवास रावत के पाला बदल कर भाजपा में जाने का नुकसान कांग्रेस प्रत्याशी नीटू सिकरवार को उठाना पड़ा। वहीं विजयपुर उपचुनाव में नीटू सिकरवार ने पूरा चुनावी मैनजमेंट संभाला और बूथ पर पार्टी को मजबूत किया।
आदिवासी वोटर्स बना गेमचेंजर-विजयपुर उपचुनाव में आदिवासी वोटर्स एक बार फिर गेमचेंजर साबित हुआ। 60 हजार आदिवासी वोटर्स वाली विजयपुर विधानसभा में कांग्रेस ने आदिवासी चेहरे मुकेश मल्होत्रा को चुनावी मैदान में उतार कर ऐसा दांव चला जिसकी कारण भाजपा नहीं ढूंढ पाई। चुनाव में कांग्रेस ने आदिवासी कार्ड का खूब भुनाया।
कांग्रेस प्रत्याशी मुकेश मल्होत्रा की आदिवासियों की बीच खासी पैठ मानी जाती है और वह 2023 के विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव मैदान में थे और 44 हजार वोट हासिल किए थे। वहीं विजयपुर विधानसभा सीट पर 6 बार जीत हासिल करने वाले रामनिवास रावत लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का साथ छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। रामनिवास रावत ने 2023 के विधानसभा चुनाव में 18 हजार से अधिक वोटों से जीत हासिल की थी।