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Last Modified: कोरापुट (ओडिशा) , सोमवार, 8 अप्रैल 2024 (00:36 IST)

Odisha Election : ओडिशा में 50 साल बाद चुनावी मैदान से बाहर हुए गमांग और पांगी परिवार

Odisha Election : ओडिशा में 50 साल बाद चुनावी मैदान से बाहर हुए गमांग और पांगी परिवार - Gamang and Pangi families out of electoral fray in Odisha after 50 years
Gamang and Pangi families out of election field after 50 years : कांग्रेस ने ओडिशा की कोरापुट और नवरंगपुर लोकसभा सीट से उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है तथा इस बार पूर्व मुख्यमंत्री गिरिधर गमांग एवं कोरापुट से पूर्व सांसद जयराम पांगी के परिवारों समेत प्रमुख राजनीतिक परिवार चुनाव मैदान से नदारद हैं।
अगर उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवारों के तौर पर चुनाव नहीं लड़ा तो पांच दशक में पहली बार ऐसा होगा कि आदिवासी बहुल कोरापुट जिले में ये प्रभावशाली परिवार चुनावी मुकाबले में नहीं दिखेंगे। वर्ष 1999 में फरवरी से दिसंबर तक ओडिशा के मुख्यमंत्री रहे गमांग (81) 1972 से 2004 तक नौ बार कोरापुट लोकसभा सीट से सांसद रहे हैं। उन्हें 2009 और 2014 के चुनाव में बीजू जनता दल (बीजद) से हार का सामना करना पड़ा था।
 
गिरिधर गमांग की पत्नी हेमा गंमांग भी 1999 में कोरापुट से सांसद रहीं, हालांकि 2015 में गमांग परिवार के भाजपा में चले जाने के बाद राजनीतिक परिदृश्य बदल गया। बाद में गमांग परिवार ने भारत राष्ट्र समिति का दामन थामा और फिर इस साल जनवरी में कांग्रेस में वापस लौट आया।
गमांग के पुत्र शिशिर नवरंगपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे जबकि हेमा ने कोरापुट लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाली गुनुपुर विधानसभा सीट से टिकट मांगा था, लेकिन कांग्रेस ने गमांग परिवार को टिकट नहीं दिया और इस तरह यह परिवार संभवत: 1972 के बाद पहली बार चुनावी मुकाबले में किनारे लग गया।
 
राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार चुनावी राजनीति में गमांग परिवार का बुरा दौर 2009 में शुरू हुआ जब गिरिधर गमांग कोरापुर लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर बीजद के उम्मीदवार जयराम पांगी से चुनाव हार गए थे। इसी साल हेमा को गुनुपुर विधानसभा सीट पर हार का सामना करना पड़ा।
वर्ष 2014 में गमांग को एक बार फिर कोरापुट लोकसभा सीट से बीजद उम्मीदवार झीना हिकाका के हाथों हार मिली। कांग्रेस से बीजद में गईं उनकी पत्नी को भी विधानसभा चुनाव में लक्ष्मीपुर सीट से शिकस्त झेलनी पड़ी, वो भी तब जब राज्य में मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की लहर चल रही थी।
 
इसी तरह, 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर पोट्टांगमी विधानसभा सीट से जीत हासिल कर 25 वर्ष की आयु में विधानसभा सदस्य बनने वाले पांगी हाल में कांग्रेस में शामिल हुए, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला। पांगी कुछ समय भारत राष्ट्र समिति से जुड़े रहने के बाद 2017 में भाजपा में शामिल हुए थे। उन्होंने टिकट नहीं मिलने पर हैरानी जताई और पार्टी के फैसले से निराश होने के संकेत दिए।
शिशिर ने भी टिकट नहीं दिए जाने पर निराशा व्यक्त करते हुए फैसले को चुनौती देने के संकेत दिए। शिशिर ने कहा, टिकट वितरण को लेकर हम स्तब्ध हैं और उचित तरीके से अपनी शिकायत दर्ज कराएंगे। यह पूछे जाने पर कि क्या वह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ेंगे तो उन्होंने कहा, कुछ तय नहीं हुआ है। समय है। देखते हैं क्या होता है। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour 
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