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Last Modified: पीलीभीत (उप्र) , रविवार, 7 अप्रैल 2024 (23:35 IST)

Lok Sabha Election : 30 साल बाद मेनका और वरुण मैदान में नहीं, भाजपा ने पीलीभीत में झोंकी ताकत

Lok Sabha Election : 30 साल बाद मेनका और वरुण मैदान में नहीं, भाजपा ने पीलीभीत में झोंकी ताकत - After 30 years Maneka Gandhi and Varun Gandhi are not in the election field
After 30 years, Maneka Gandhi and Varun Gandhi are not in the election field : पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र में पिछले तीन दशक से भी ज्यादा वक्त तक अपना दबदबा कायम रखने वाले मां-बेटे यानी मेनका गांधी और वरुण गांधी इस बार इस सीट के चुनावी रण से बाहर हैं। वरुण का टिकट काटने के बाद सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी यहां अपने नए प्रत्याशी जितिन प्रसाद को जिताने के लिए पूरी ताकत लगा रही है।
 
भाजपा इस प्रतिष्ठापूर्ण सीट पर अपना वर्चस्व बनाए रखने के लिए जोरदार तैयारी कर रही है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को यहां एक चुनावी रैली को संबोधित करेंगे। मेनका गांधी और वरुण गांधी वर्ष 1996 के बाद से पीलीभीत सीट पर भाजपा का झंडा लहराते रहे हैं लेकिन इस बार पार्टी ने मौजूदा सांसद वरुण गांधी के बजाय प्रदेश सरकार में लोक निर्माण मंत्री जितिन प्रसाद को चुनाव मैदान में उतारा है। पीलीभीत में लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 19 अप्रैल को मतदान होगा।
जितिन प्रसाद ने साल 2004 और 2009 में क्रमशः शाहजहांपुर और धौरहरा निर्वाचन क्षेत्रों से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीता था। वह 2021 में भाजपा में शामिल हो गए। वह इस लोकसभा चुनाव में मैदान में उतरने वाले उत्तर प्रदेश के एकमात्र कैबिनेट मंत्री हैं। हालांकि उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य प्रसाद को पीलीभीत में अपनी राजनीतिक जमीन बनाने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ सकती है।
 
जितिन प्रसाद का पीलीभीत में बहुत कम प्रभाव : एक कॉलेज के सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य सुशील कुमार गंगवार ने कहा, जितिन प्रसाद का पीलीभीत में बहुत कम प्रभाव है। अभी तक उन्हें यहां चुनावों के लिए भाजपा द्वारा मैदान में उतारे गए बाहरी व्यक्ति के रूप में देखा जा रहा है। स्थानीय ग्राम प्रधान बाबूराम लोधी ने कहा, वरुण गांधी का पीलीभीत से बहुत पुराना और गहरा नाता है। यह नाता उस भावनात्मक पत्र में झलकता है जो उन्होंने सीट से टिकट नहीं मिलने के बाद लिखा था।
सांसद के रूप में कई बार अपनी ही सरकार के खिलाफ मुखर हुए वरुण गांधी ने टिकट कटने के बाद अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों को एक भावनात्मक पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने कहा था कि उनके साथ उनका रिश्ता उनकी आखिरी सांस तक बरकरार रहेगा। मौजूदा सांसद ने कहा कि पीलीभीत के साथ उनका रिश्ता प्यार और विश्वास का है, जो किसी भी राजनीतिक नफे-नुकसान से कहीं ऊपर है।
मेनका गांधी ने पहली बार वर्ष 1989 में जनता दल के टिकट पर पीलीभीत लोकसभा सीट जीती थी मगर 1991 में उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था लेकिन साल 1996 के चुनाव में उन्होंने फिर से जीत हासिल की। वह साल 1998 और 1999 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में फिर इसी सीट से सांसद चुनी गईं। ​​उन्होंने 2004 और 2014 में भाजपा उम्मीदवार के रूप में सीट जीती। उनके बेटे वरुण गांधी 2009 और 2019 में भाजपा उम्मीदवार के रूप में पीलीभीत से सांसद बने।
 
वरुण के करीबी लोग भाजपा के फैसले से खुश नहीं : मेनका गांधी इस बार सुल्तानपुर से एक बार फिर चुनाव लड़ रही हैं, जहां उन्होंने 2019 में भाजपा उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की थी। हालांकि जितिन प्रसाद का दावा है कि उन्हें पार्टी संगठन का पूरा समर्थन प्राप्त है, लेकिन स्थानीय लोगों का दावा है कि वरुण के करीबी लोग भाजपा के फैसले से खुश नहीं हैं।
 
प्रसाद अब तक इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं। जनसभाओं में वह खुद को मोदी का दूत बताते हैं और प्रधानमंत्री के नाम पर वोट मांगते हैं। प्रसाद के समर्थन में पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक संजय गंगवार, बाबूराम पासवान, विवेक वर्मा और स्वामी प्रकाशानंद उनके नामांकन पत्र में प्रस्तावक थे।
जिले के पूरनपुर क्षेत्र के सिख किसान बलवंत सिंह ने कहा, वरुण गांधी टिकट कटने के बाद एक बार भी पीलीभीत नहीं आए हैं। वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चुनावी कार्यक्रम में भी शामिल नहीं हुए और पूरी संभावना है कि वह प्रधानमंत्री मोदी की रैली में भी शामिल नहीं होंगे। इससे निश्चित रूप से एक संदेश जाता है।
 
प्रधानमंत्री की इस निर्वाचन क्षेत्र में पहली रैली : पार्टी सूत्रों का कहना है कि पूरनपुर में प्रधानमंत्री मोदी की रैली मतदाताओं के मन में संदेह दूर करने और जितिन प्रसाद के पक्ष में वोट डालने के लिए आयोजित की गई है। करीब एक दशक में यह किसी प्रधानमंत्री की इस निर्वाचन क्षेत्र में पहली रैली होगी। 2014 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पीलीभीत में लोकसभा चुनाव रैली की थी।
अनुमान के अनुसार, नेपाल की सीमा से लगे तराई क्षेत्र में स्थित पीलीभीत में करीब 18 लाख मतदाता हैं, जिनमें मुस्लिम और लोधी के बाद कुर्मी तीसरा सबसे बड़ा मतदाता समूह है। मौर्य, पासी और जाटव वोट बैंक हैं, इसके बाद बंगाली, ब्राह्मण और सिख मतदाता भी खासी संख्या में हैं। भाजपा की मुख्य प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी (सपा) ने इस सीट पर भगवत सरन गंगवार को उतारा है।
 
संविधान को उन लोगों से भी बचाना है जो इसे बदलने पर तुले हैं : पूर्व मंत्री गंगवार के बारे में कहा जाता है कि यहां प्रभावशाली कुर्मी मतदाताओं पर उनकी पकड़ है। जनसभाओं में वह पार्टी लाइन पर चलते हुए लोकतंत्र को बचाने और पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) के अधिकारों की रक्षा की बात करते हैं। उन्होंने कहा, पीडीए परिवार को सत्ताधारी पार्टी द्वारा परेशान किया जा रहा है और यह तब तक नहीं रुकेगा जब तक सरकार नहीं बदल जाती। हमें संविधान को उन लोगों से भी बचाना है जो इसे बदलने पर तुले हैं।
 
जितिन प्रसाद के समर्थन में रैलियां : हालांकि भाजपा के बड़े नेताओं ने पीलीभीत में जितिन प्रसाद के समर्थन में रैलियां आयोजित की हैं लेकिन सपा के शीर्ष नेतृत्व के किसी भी नेता ने यहां अभी तक गंगवार के समर्थन में कोई भी जनसभा नहीं की है। बसपा ने इस सीट से उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री अनीस अहमद को चुनाव मैदान में उतारा है।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना ​​है कि वह बड़ी संख्या में मुस्लिम वोटों को आकर्षित करके निर्वाचन क्षेत्र में समाजवादी पार्टी की संभावनाओं को प्रभावित कर सकते हैं। अहमद ने अब तक निर्वाचन क्षेत्र के मुस्लिम इलाकों में अपना अभियान केंद्रित किया है। पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र में पांच विधानसभा क्षेत्र- बहेड़ी, पीलीभीत, बरखेड़ा, पूरनपुर और बीसलपुर आते हैं। साल 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने चार विधानसभा क्षेत्रों में जोरदार जीत दर्ज की थी। समाजवादी पार्टी बहेड़ी में जीत हासिल करने में सफल रही थी।
 
सेवानिवृत्त चिकित्सा अधिकारी डॉ. सोमेंद्र अग्रवाल ने कहा, 2022 के विधानसभा चुनाव के नतीजे निश्चित रूप से भाजपा के लिए एक बड़े उत्साहजनक रहे, लेकिन जिस तरह से पार्टी के नेता जितिन प्रसाद के लिए प्रचार कर रहे हैं, उससे पता चलता है कि पार्टी किसी भी चीज को संयोग पर नहीं छोड़ना चाहती है।
शहरी क्षेत्र में तीन दर्जन से अधिक निजी अस्पतालों के साथ, बरेली के बाद तराई क्षेत्र में पीलीभीत एक चिकित्सा केंद्र है। हालांकि यहां सिर्फ एक सरकारी डिग्री कॉलेज है और वह भी लड़कियों के लिए है। स्थानीय लोग इस क्षेत्र में कुछ प्रमुख चीनी मिलों को छोड़कर बाकी उद्योगों की कमी की शिकायत करते हैं। बरेली जिले के एक सरकारी कॉलेज में दाखिला लेने वाले यहां के राजनीति विज्ञान के छात्र विवेक कुमार अग्रवाल ने दावा किया, मध्यम वर्ग से संबंधित युवाओं के लिए यहां विकास के अवसर पाना बहुत मुश्किल है। अमीर लोग ही समृद्ध हो रहे हैं।
स्थानीय व्यापारी प्रदीप गंगवार ने कहा, राजनेताओं ने लंबे समय से पीलीभीत के मूल मुद्दों की उपेक्षा की है। यहां के लोगों ने हमेशा भावनाओं के आधार पर वोट दिया है और समय के साथ इसमें बदलाव आ सकता है। हालांकि जिले में पारिस्थितिक रूप से समृद्ध पीलीभीत बाघ अभयारण्य द्वारा संचालित एक बेहतर पर्यटन अर्थव्यवस्था है। मगर बेहतर सड़क और रेल संपर्क जैसे पर्याप्त बुनियादी ढांचे के अभाव में इस क्षेत्र में विकास सीमित है। निर्वाचन क्षेत्र के अधिकांश हिस्से मानसून में शारदा नदी की बाढ़ से पीड़ित रहते हैं। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour 
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