ग्वालियर और मुरैना में उम्मीदवार को लेकर कांग्रेस नेताओं में गुटबाजी, आमने-सामने उमंग सिंघार और जीतू पटवारी
मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के बड़े नेताओं के बीच गुटबाजी फिर खुलकर सामने आ गईा कांग्रेस नेताओं की गुटबाजी के कारण पार्टी अब तक ग्वालियर, मुरैना और खंडवा लोकसभा सीट पर अपने उम्मीदवारों के नामों का एलान नहीं कर पाई है। उम्मीदवारों के एलान नहीं होने के पीछे बड़ा कारण प्रदेश कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के बीच गुटबाजी होना है। वहीं अब पूरा मामला राहुल गांधी तक पहुंच गया है। इस बीच शुक्रवार को कांग्रेस उम्मीदवारों की एक फर्जी सूची भी सोशल मीडिया पर वायरल हुई जिसका खंडन खुद पार्टी के नेताओं ने किया।
ग्वालियर में उम्मीदवार को लेकर मतभेद-लोकसभा चुनाव के लिए मध्यप्रदेश में ग्वालियर अंचल की दो महत्वपूर्ण लोकसभा सीट ग्वालियर और मुरैना में कांग्रेस प्रत्याशी के नाम को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार आमने सामने आ गए है। ग्वालियर में जीतू पटवारी और दिग्विजय सिंह पूर्व सांसद रामसेवक सिंह गुर्जर को टिकट दिलाना चाहते है तो दूसरा खेमा पूर्व विधायक प्रवीण पाठक पर जोर लगा रहा है। रामसेवक सिंह 2004 में ग्वालियर से सांसद चुने गए थे लेकिन पैसे लेकर सवाल पूछने के स्टिंग ऑपरेशन में शामिल होने के कारण उन्हें अपनी सांसदी गंवानी पड़ी थी। वहीं भाजपा ने ग्वालियर लोकसभा सीट से अपने पुराने कार्यकर्ता और पूर्व मंत्री भारत सिंह कुशवाह को चुनावी मैदान में उतारकर कांग्रेस के लिए संकट और बढ़ा दिया है। अब तक कांग्रेस ने जिन चेहरों पर दांव लगाने की तैयारी की है वह खुद चुनाव लड़ने से पीछ हट गए है।
मुरैना में टिकट पर तनातनी- मुरैना लोकसभा सीट पर पार्टी दिग्गजों में मतभेद है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी जौरा विधायक पंकज उपाध्याय के नाम के पक्ष में है लेकिन उमंग सिंघार और स्थानीय कांग्रेस नेता नीटू सिकरवार के पक्ष में है। नीटू सिकरवार के परिवार के सदस्य और कांग्रेस विधायक सतीश सिकरवार भी चाहते है कि नीटू सिकरवार मुरैना से चुनाव लड़ें।
खंडवा सीट पर भी फंसा पेंच- खंडवा लोकसभा सीट पर भी कांग्रेस अब तक अपने उम्मीदवार के नाम का एलान नहीं कर पाई है। खंडवा लोकसभा सीट पूर्व विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा के साथ पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव का नाम चर्चा में है। बताया जा रहा है कि अरुण यादव खुद लोकसभा चुनाव लड़ने के पक्ष में नहीं है। ऐसे में खंडवा से उम्मीदवार कौन होगा इस पर अब भी सस्पेंस है।