जानिए कौन हैं इंदौर लोकसभा सीट से BJP के उम्मीदवार शंकर लालवानी
इंदौर। मध्यप्रदेश की औद्योगिक राजधानी कहे जाने वाले इंदौर शहर की बहुचर्चित लोकसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी को लेकर लंबे समय से जारी रहस्य रविवार देर शाम खत्म हो गया, जब पार्टी ने अपने एक स्थानीय गुट के कथित विरोध को आखिरकार दरकिनार करते हुए अपने 30 साल पुराने गढ़ में वरिष्ठ नेता शंकर लालवानी को चुनाव मैदान में उतारने की घोषणा कर दी।
इंदौर से लालवानी के नाम के ऐलान के साथ ही पूरी तरह स्पष्ट हो गया कि लालकृष्ण आडवाणी और मुरलीमनोहर जोशी सरीखे भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की तरह लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन (76) को भी चुनावी राजनीति से विश्राम दे दिया गया है। हालांकि इस सीट से लगातार 8 बार चुनाव जीतने का रिकॉर्ड कायम करने वाली महाजन ने मौके की नजाकत भांपते हुए चुनाव लड़ने से पहले ही इनकार कर दिया था।
सिंधी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले लालवानी अपने राजनीतिक करियर का पहला लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। वे इंदौर विकास प्राधिकरण (आईडीए) के चेयरमैन और इंदौर नगर निगम के सभापति रह चुके हैं। लालवानी का मुकाबला कांग्रेस के पंकज संघवी से होगा।
भाजपा सूत्रों के मुताबिक इंदौर के टिकट की दावेदारी को लेकर लालवानी का नाम बुधवार को तेजी से आगे बढ़ा था, लेकिन पार्टी के एक स्थानीय गुट के कथित विरोध के बाद इंदौर सीट के उम्मीदवार की घोषणा रोक दी गई थी।
कौन हैं शंकर लालवानी : शंकर लालवानी को लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और शिवराज सिंह का करीबी माना जाता है। 1993 में विधानसभा क्षेत्र-4 से शंकर लालवानी को बीजेपी अध्यक्ष बनाया गया था। 1996 में हुए नगर निगम चुनाव में लालवानी को जयरामपुर वार्ड से टिकट मिला था। इसमें उन्होंने अपने भाई और कांग्रेस प्रत्याशी प्रकाश लालवानी हराया था।
तीन बार पार्षद रह चुके हैं लालवानी : इंदौर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने जा रहे शंकर लालवानी ने नगर निगम में सभापति जैसे पद भी संभाल चुके हैं। शंकर लालवानी तीन बार पार्षद रह चुके हैं। भाजपा ने उन्हें नगर अध्यक्ष बना दिया। नगर अध्यक्ष के पद पर रहते हुए ही उन्हें इंदौर नगर निगम प्राधिकरण की जिम्मेदारी दी गई थी।
केंद्रीय नेतृत्व को दिया धन्यवाद : लोकसभा टिकट मिलने के बाद लालवानी ने इसके लिए केंद्रीय नेतृत्व को धन्यवाद दिया। उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि पार्टी चुनाव की रणनीति बनाती है। चुनाव पूरी पार्टी लड़ती है, कार्यकर्ता लड़ते हैं। मुझे चुनाव लड़ने के कोई संकेत नहीं मिले थे। हमारा संगठन एक परिवार भाव से काम करता है। मुझे लगता है कि सभी ने मिलकर यह तय किया होगा। मैं केंद्रीय नेतृत्व, पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं और हमारे सभी कार्यकर्ताओं को धन्यवाद देता हूं।
महाजन ने कर दिया था मना : वर्तमान सांसद सुमित्रा महाजन इंदौर सीट से वर्ष 1989 से 2014 के बीच लगातार 8 बार लोकसभा का चुनाव जीत चुकी हैं, लेकिन 75 साल से ज्यादा उम्र के नेताओं को टिकट नहीं देने के भाजपा के निर्णय को लेकर मीडिया में खबरों के आने के बाद उन्होंने 5 अप्रैल को घोषणा की थी कि वे बतौर उम्मीदवार चुनावी मैदान में नहीं उतरेंगी।
विजयवर्गीय ने दिया था जिम्मेदारियों का हवाला : इंदौर के दिग्गज नेता और भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने भी खुद को इस सीट के चुनावी टिकट की दावेदारी से अलग कर दिया था। विजयवर्गीय ने पश्चिम बंगाल के भाजपा प्रभारी के रूप में अपनी मौजूदा जिम्मेदारियों का हवाला देते हुए बुधवार को ट्विटर पर कहा था कि उन्होंने चुनाव नहीं लड़ने का निर्णय किया है।