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Written By WD Feature Desk
Last Updated : गुरुवार, 2 जनवरी 2025 (16:03 IST)

Lohri date 2025: लोहड़ी पर्व क्यों और कैसे मनाते हैं?

Lohri date 2025: लोहड़ी पर्व क्यों और कैसे मनाते हैं? - Happy Lohri 2025 Date
Lohri festival 2025: हिन्दू पंचांग के अनुसार, सिख धर्म का सबसे खास त्योहार 'लोहड़ी' मकर संक्रांति के एक दिन पूर्व मनाया जाने वाला पर्व है। साथ ही हर साल मकर सक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाने वाला यह त्योहार प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष यानि 2025 में 13 जनवरी, दिन सोमवार को लोहड़ी का पर्व मनाया जाएगा। 
 
आइए यहां जानते हैं इस पर्व के बारे में...ALSO READ: गुरु गोविंद सिंह जी की जयंती कब है?
 
Highlights
  • 2025 में कब मनाई जाएगी लोहड़ी।
  • जानें क्यों और कैसे मनाया जाता है लोहड़ी का त्योहार।
  • कैसे मनाते हैं लोहड़ी पर्व।
लोहड़ी पर्व क्यों मनाते हैं : लोहड़ी हिन्दू-सिखों का प्रमुख पर्व कहा गया है। यह त्योहार नई फसल के आगमन के रूप में मनाया जाता है तथा धार्मिक मान्यतानुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का संकेत भी माना जाता है, जो बढ़ते उजाले का प्रतीक होता है, इसलिए लोहड़ी का त्योहार मनाया जाता है। बता दें कि भारत में लोहड़ी पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। 
 
यह धार्मिक एवं सांस्कृतिक तथा पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलने वाला उत्सव होने के कारण इसे दुनियाभर में रहने वाले सभी हिन्दू-सिख भाई बहुत ही हर्षोल्लास के साथ इसे मनाते हैं। 'लोहड़ी' मकर संक्रांति से पहले वाली रात को सूर्यास्त के बाद मनाया जाने वाला पंजाब प्रांत का खास पर्व है। जिसका अर्थ- ल (लकड़ी)+ ओह (गोहा यानि सूखे उपले)+ ड़ी (रेवड़ी) होता है। अत: इसे मनाने के लिए रेवड़ी, मूंगफली पहले से ही खरीदकर रख ली जाती है। लोहड़ी आने के कुछ दिनों पूर्व ही बच्चे 'लोहड़ी' के लोकगीत गाकर लकड़ी और उपले इकट्ठे करते हैं। और फिर इकट्‍ठा सामग्री को चौराहे या किसी मोहल्ले के खुले स्थान पर आग जलाकर मनाते हैं। 
 
कैसे मनाते हैं लोहड़ी पर्व : सिख परंपरा के अनुसार लोहड़ी के दिन शाम के समय परिवार के लोग तथा अन्य रिश्तेदार भी इस उत्सव में शामिल होने एक-दूसरे के घर आते हैं तथा यह पर्व पुरानी मान्यताओं एवं रीति-रिवाजों को अगली पीढ़ी तक पहुंचाने तथा पंजाबी गाने की धूम, गिद्दा नाच के साथ बधाई संदेश देने की परंपरा का भी पर्व होने के कारण घर के सदस्य इकट्‍ठा होकर और लोहड़ी पूजा की सामग्री जुटाकर सायंकाल होते ही आग जलाकर विशेष पूजन के साथ लोहड़ी का जश्न उत्सव के रूप में मनाया जाता है। 
 
सिख-पंजाबी समुदायों की परंपरा के चलते इसमें चर्खा चढ़ाया जाता है, यानि गोबर के उपलों की माला बनाकर मन्नत पूरी होने की खुशी में लोहड़ी के समय जलती हुई अग्नि में इसे उन्हें भेंट किया जाता है। जिसे चर्खा चढ़ाना भी कहा जाता हैं। तथा इस उत्सव को पंजाबी समाज बहुत ही जोशपूर्वक मनाता है।

यह पर्व घर के बड़े तथा बुजुर्गों के चरण छूकर उनसे आशीर्वाद लेने के साथ ही बधाई गीत गाते हुए खुशी के जश्न में शामिल होते हैं तथा शुभकामनाएं देने के साथ-साथ रेवड़ी और मूंगफली, तिल-गुड़ के लड्डू, मिठाई, मेवे आदि भेंटस्वरूप देते हैं। तथा घर लौटते समय 'लोहड़ी' में से कुछ दहकते कोयले प्रसाद स्वरूप घर लाने की प्रथा पंजाबी समुदाय में आज भी निभाई जा रही है।ALSO READ: मकर संक्रांति, लोहड़ी, पोंगल और उत्तरायण का त्योहार कब रहेगा?

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