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Written By WD Feature Desk
Last Updated : मंगलवार, 31 दिसंबर 2024 (15:49 IST)

गुरु गोविंद सिंह जी की जयंती कब है?

Guru Govind Singh: गुरु गोविंद सिंह जी की जयंती कब है? - Guru Gobind Singh Jayanti 2025 Date
Birth anniversary 10th Sikh Guru : हर साल पौष मास के शुक्ल पक्ष में गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती मनाई जाती है। नव वर्ष 2025 में जनवरी के पहले सप्ताह में 06 जनवरी, दिन सोमवार को सिख धर्म के 10वें गुरु, गुरु गोविंद सिंह का प्रकाश पर्व मनाया जा रहा है। पंचांग के अनुसार, पौष मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को पटना में सिख धर्म के 10वें महान गुरु का जन्म हुआ था तथा गुरु गोविंद सिंह जी के प्रकाश पर्व के अवसर पर कई धार्मिक आयोजन, लंगर का आयोजन किया जाता है। आइए यहां जानते हैं त्याग और वीरता की मिसाल रहे गुरु गोविंद सिंह जी के बारे में...ALSO READ: Year Ender 2024: पूरे साल सुर्खियों में रहा हिंदू सनातन धर्म
 
HIGHLIGHTS
  • गुरु गोविंद सिंह कौन थे। 
  • सिख धर्म में दसवीं ज्योति किसे कहा जाता है। 
  • 2025 में गुरु गोविंद सिंह का प्रकाश पर्व कब है? 
जीवन परिचय : गुरु गोविंद सिंह जी (सिखों के दसवें गुरु) का जन्म माता गुजरी और पिता श्री गुरु तेग बहादुर जी के घर सन् 1666 को पटना में पौष सुदी सप्तमी तिथि को हुआ था। उस समय जब उनके पिता तेग बहादुर जी बंगाल में थे तो उन्हीं के वचनानुसार उस बालक का नाम गोविंद राय रखा गया था। जब सिख संगत के पास गुरु तेग बहादुर जी के घर एक स्वस्थ, सुंदर बालक के जन्म की खबर पहुंची तो उन्होंने उनके अगवानी की बहुत खुशी मनाई। 
 
करनाल के पास सिआणा गांव में उस समय एक मुसलमान संत पीर/ फकीर भीखण शाह या शाह भीख रहता था तथा ईश्वर की भक्ति और निष्काम तपस्या से वह स्वयं को परमात्मा का रूप लगने लगा। तब जब पटना में भीखण शाह समाधि में लिप्त बैठे थे और गुरु गोविंद सिंह का जन्म हुआ, उस वक्त उन्हें उसी अवस्था में प्रकाश की एक नई किरण दिखाई दी, जिसमें भीखर जी ने एक नवजात जन्मे बालक का प्रतिबिंब भी देखा। तब उन्हें यह ज्ञात हो गया कि दुनिया में ईश्वर के प्रिय पीर का अवतरण हुआ है और यह प्रकाश किसी और का नहीं, गुरु गोविंद सिंह जी ही ईश्वर के अवतार का ही चमत्कार था। 
गुरु गोविंद सिंह के कार्य : गुरु गोविंद सिंह जी के बारे में कहा जाए तो उन्होंने आनंदपुर के सारे सुखों का त्याग किया तथा मां की ममता, पिता का साया और मोह-माया को छोड़कर धर्म की रक्षा का रास्ता चुन लिया। वे स्वयं को भी आप लोगों जैसा सामान्य व्यक्ति ही मानते थे। बैसाखी के दिन खालसा पंथ की स्थापना का श्रेय भी गुरु गोविंद सिंह जी को ही दिया जाता है। जिन्होंने देश की विरासत, अस्मिता तथा जीवन मूल्यों की रक्षा हेतु समाज को नए सिरे से तैयार करने का संकल्प लेकर खालसा सृजन का मार्ग अपनाया। 
 
गुरु गोविंद सिंह का निधन और उनकी रचनाएं : वे एक महान लेखक भी थे, जिन्होंने दसम ग्रंथ लिखा तथा उनकी ऊंची सोच और भाषा को समझ पाना हर किसी के बस की बात नहीं है। उन्होंने अपने जीवन काल में हमेशा ही अन्याय, बुराइयों, अधर्म एवं अत्याचार के खिलाफ लड़ाइयां लड़ीं। उन्होंने हिंदू धर्म की रक्षा के लिए अपने पिता को शहीद होने का आग्रह किया था। इतनी महान और ऊंची सोच रखने वाले गुरु गोविंद सिंह सन् 1708 में नांदेड साहिब में दिव्य ज्योति में लीन हो गए थे। तथा अंतिम समय में गुरु ग्रंथ साहिब को ही अपना गुरु मानने का आदेश सिख समुदाय को देकर स्वयं ने भी अपना माथा वहां पर टेका था। अपनी आवाज हमेशा बुलंद रखने वाले गुरु गोविंद सिंह जी ने जाप साहिब, जफरनामा, अकाल उस्‍तत, शब्‍द हजारे, चंडी दी वार, बचित्र नाटक सहित अन्‍य रचनाएं की थीं।ALSO READ: हिंदू धर्म का महाकुंभ: प्रयाग कुंभ मेले का इतिहास
 
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