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Written By WD Feature Desk
Last Updated : शनिवार, 23 नवंबर 2024 (14:51 IST)

सिखों के 9वें गुरु, गुरु तेग बहादुर सिंह का शहीदी दिवस

सिखों के 9वें गुरु, गुरु तेग बहादुर सिंह का शहीदी दिवस - biography of guru tegh bahadur
Guru teghbahadur Ji Shaheedi Diwas 2024 : वर्ष 2024 में रविवार, 24 नवंबर को गुरु तेग बहादुर शहीदी दिवस मनाया जाएगा। सिख ग्रंथों के अनुसार सन् 1675 में, इसी दिन मुगल सम्राट औरंगजेब ने दिल्ली में धर्म परिवर्तन से इनकार करने पर गुरु तेग बहादुर की हत्या कर दी थी। अत: इस दिन को गुरु तेग बहादुर शहादत दिवस या शहीदी दिवस के रूप में भी जाना जाता है। उन्हें हिंद की चादर भी कहा जाता है। आइए जानते हैं उनके बारे में...
 
HIGHLIGHTS
  • गुरु तेग बहादुर 2024 शहीदी दिवस कब है?
  • गुरु तेग बहादुर का दूसरा नाम क्या था?
  • सिखों के नौवें गुरु की पुण्यतिथि।
तेग बहादुर जयंती कब मनाई जाती है: प्रतिवर्ष गुरु तेग बहादुर सिंह जी की जयंती अप्रैल के महीने में मनाई जाती है, सिख कैंलेडर की तिथि के अनुसार गुरु तेग बहादुर सिंह जी की जयंती या प्रकाश पर्व वैशाख महीने की कृष्ण पक्ष की पंचमी के दिन मनाया जाता है और अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार उनका जन्म 21 अप्रैल 1621 को हुआ था।  
 
तेग बहादुर जी का परिवार, बचपन और जीवन : गुरु हर गोविंद छठे गुरु थे। और गुरु हर गोविंद के सबसे छोटे पुत्र गुरु तेग बहादुर जी थे। गुरु हरगोबिंद जी और उनकी पत्नी बीबी वीरो के परिवार में एक बेटी और पांच बेटे थे। गुरु तेग बहादुर जी को सिख धर्म में क्रांतिकारी युग पुरुष के रूप में जाना जाता है। वैशाख कृष्ण पंचमी तिथि को पंजाब के अमृतसर में जन्मे तेग बहादुर जी गुरु हर गोविंद सिंह जी के 5वें पुत्र थे तथा मानवीय सांस्कृतिक विरासत की खातिर अपना समस्त जीवन बलिदान करने वाले होने के साथ-साथ उनका जीवन शौर्य से भरा हुआ है। 
 
गुरु तेग बहादुर जी बचपन में त्यागमल नाम से पहचाने जाते थे, जो कि एक बहादुर, निर्भीक, विचारवान और उदार चित्त के थे। उनकी शिक्षा-दीक्षा मीरी-पीरी के मालिक गुरु-पिता गुरु हर गोविंद साहब की छत्र छाया में हुई। मात्र 14 वर्ष की उम्र में ही अपने पिता के साथ उन्होंने कंधे से कंधा मिलाकर मुगलों के हमले के खिलाफ हुए युद्ध में अपना साहस दिखाकर वीरता का परिचय दिया और उनके इसी वीरता से प्रभावित होकर गुरु हर गोविंद सिंह जी ने उनका नाम तेग बहादुर यानी तलवार के धनी रख दिया। इसी समयावधि में उन्होंने गुरुबाणी, धर्मग्रंथों के साथ-साथ अस्त्र-शस्त्र और घुड़सवारी आदि की शिक्षा प्राप्त की। 
 
हिन्द की चादर नाम से मिला सम्मान : सिख धर्म के नौंवें गुरु, गुरु तेग बहादुर सिंह ने धर्म की रक्षा, धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करके सही अर्थों में 'हिन्द की चादर' कहलाए। ऐसे वीरता और साहस की मिसाल थे गुरु तेग बहादुर सिंह जी। अपने खास उपदेशों, विचारों और धर्म की रक्षा के प्रति अपना जज्बा कायम रखने वाले गुरु तेग बहादुर सिंह जी का सिख धर्म में अद्वितीय स्थान है। 
 
गुरु तेग बहादुर जी शहीदी गुरु पर्व कब मनाया जाता है : सिखों के 8वें गुरु हरिकृष्ण राय जी की अकाल मृत्यु के बाद गुरु तेग बहादुर जी को नौवां गुरु बनाया गया। कहा जाता है कि मुगल बादशाह औरंगजेब चाहता था कि गुरु तेग बहादुर जी सिख धर्म को छोड़कर इस्लाम धर्म स्वीकार कर लें, और जब मुगल बादशाह ने गुरु तेग बहादुर सिंह जी से इस्लाम धर्म या मौत दोनों में से एक चुनने को कहा, तो गुरु तेग बहादुर जी ने इस्लाम अपनाने से इनकार कर दिया तब औरंगजेब ने उनका सिर कटवा दिया था। और इस तरह गुरु तेग बहादुर सिंह जी ने अपने आदर्श, धर्म की रक्षा तथा मानवीय मूल्यों और सिद्धांतों की रक्षा की खातिर अपने प्राणों की आहुति दे दी। अत: उनका बलिदान दिवस 24 नवंबर को शहीदी गुरु पर्व के रूप में मनाया जाता है। विश्व इतिहास में आज भी उनका नाम एक वीरपुरुष के रूप में बड़े ही सम्मान के साथ लिया जाता है। 
 
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