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Written By WD Feature Desk
Last Updated : शनिवार, 23 नवंबर 2024 (10:15 IST)

Sathya Sai Baba: सत्य साईं बाबा का जन्मदिन आज, पढ़ें रोचक जानकारी

Sathya Sai Baba
Sathya Sai Baba Jayanti 2024: आज शनिवार, 23 नवंबर को श्री सत्य साईं बाबा की जयंती मनाई जा रही है। सत्य साईं बाबा आध्यात्मिक गुरु व प्रेरक व्यक्तित्व थे, जिनके संदेश और आशीर्वाद ने पूरी दुनिया के लाखों लोगों को सही नैतिक मूल्यों के साथ उपयोगी जिंदगी जीने की प्रेरणा दी।

Highlights 
  • सत्य साईं क्यों प्रसिद्ध है?
  • सत्य का जन्म कब हुआ था?
  • साईं बाबा कौन से भगवान थे?
उनका जन्म आंध्र प्रदेश के पुट्‍टपर्थी गांव में 23 नवंबर 1926 को हुआ था। पिता पेदू वेंकप्पाराजू एवं मां ईश्वराम्मा की वे 8वीं संतान थे। बचपन में उनका नाम 'सत्यनारायण राजू' था। कहा जाता है कि भगवान सत्यनारायण की पूजा का प्रसाद ग्रहण करने के पश्चात उनका जन्म हुआ था इसीलिए उनका नाम 'सत्यनारायण' रखा गया। 
 
श्री सत्य साईं बाबा के बचपन के किस्से : सत्य साईं ने जिस क्षण नवजात शिशु के रूप में जन्म लिया था, उस समय उनके घर में रखे वाद्ययंत्र स्वत: ही बजने लगे और एक रहस्यमयी सर्प बिस्तर के नीचे से फन निकाल कर छाया करता पाया गया। वे बचपन से ही प्रतिभा संपन्न थे। उन्होंने मात्र 8 वर्ष की अल्प आयु से ही सुंदर भजनों की रचना शुरू की थी। मात्र 14 वर्ष की आयु में 23 मई 1940 को उन्होंने अपने अवतार होने का उद्घोष किया तथा जीवन लोगों की सेवा में समर्पित कर दिया था। जब वे हाईस्कूल में पढ़ रहे थे तो उन्हें एक विषैले बिच्छू ने काट लिया और वे कोमा में चले गए। जब वे कोमा से उठे तो उनका व्यवहार विचित्र-सा हो गया था। उन्होंने खाना-पीना सब बंद कर दिया और सिर्फ पुराने श्लोक एवं मंत्रों का उच्चारण करते रहते थे। उनके बारे में कहा जाता है कि वे भक्तों की विपत्ति के समय उनकी पुकार तत्परता से सुनते थे। सच्चे मन से उन्हें याद करने पर उनकी तस्वीर से अपने आप ही भभूत निकलती है। वैसे तो उन्हें शिर्डी के सांई बाबा का अवतार माना जाता है। 
 
प्रेम सांई बाबा का प्रादुर्भाव कब होगा : ऐसा भी माना जाता है कि शिर्डी में सांई बाबा, आंध्रप्रदेश के सत्य साईं बाबा के बाद कर्नाटक में प्रेम सांई बाबा का प्रादुर्भाव होगा, जो अपने भक्तों पर अपनी कृपा हमेशा बरसाते रहेंगे। सत्य साईं के जाने के बाद ऐसी भी भविष्यवाणी होने लगी कि साईं बाबा एक बार फिर धरती पर जन्म लेंगे और इस बार वे प्रेमा साईं बाबा के रूप में विख्यात होंगे। कहा जा रहा है कि उनका जन्म कर्नाटक के किसी जिले में होगा। इतना ही नहीं, भविष्यवाणी में प्रेमा साईं बाबा के जन्म का समय भी दर्शाया गया है। दावा किया जा रहा है कि प्रेमा साईं बाबा 2023 से 2025 के बीच धरती पर पुन: अवतरित होंगे। यह शिरडी के साईं बाबा का आखिरी अवतार होगा। उन्होंने कहा था- 'मैं शिव-शक्ति स्वरूप, शिर्डी के साईं का अवतार हूं।’ सत्य साईं बाबा ने अपने जीवन काल में बहुत-सी शिक्षण संस्थाओं, अस्पतालों व अन्य मानवसेवा के कार्यों के निर्माण में अपना योगदान दिया। वे कहते थे कि, 'कोई भी धर्म बेहतर या कोई भी धर्म खराब नहीं रहता अत: हमें सभी धर्मों का एक समान सम्मान करना चाहिए। ईश्वर केवल एक ही है, उसके नाम अलग-अलग हो सकते हैं।' 
 
सत्य साईं बाबा ने की थी प्रशांति निलयम की स्थापना : उनके 25वें जन्मदिन पर 1950 में उन्हीं के द्वारा पुट्‍टपर्थी में 'प्रशांति निलयम’ आश्रम की स्थापना की गई। प्रशांति निलयम में बाबा का विश्वस्तरीय अस्पताल और रिसर्च सेंटर करीब 200 एकड़ में फैला हुआ है। पुट्टपर्ती में स्थित इस अस्पताल में 220 बिस्तरों में निःशुल्क सर्जिकल और मेडिकल केयर की सुविधाएं उपलब्ध हैं। श्री सत्य साईं इंस्टीट्यूट ऑफ हायर मेडिकल साइंस बेंगलुरू में 333 बिस्तर गरीबों के लिए बनाए गए हैं। वे कहते थे हमें जरूरतमंद व्यक्तियों एवं रोगियों की सेवा बिना किसी लालच के साथ करना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति को जीवन में सत्य, प्रेम, शांति, अच्छी सोच एवं अहिंसा आदि नैतिक मूल्यों का हमेशा पालन करना चाहिए। 
 
सत्य साईं बाबा का देहावसान कब हुआ था : सत्य साईं बाबा ने दुनिया को यही संदेश दिया कि सभी से प्रेम करो, सबकी सहायता करो और किसी का भी बुरा मत करो। सत्य साईं बाबा का मानना था कि हर व्यक्ति का कर्तव्य यह सुनिश्चित कराना है कि सभी लोगों को आजीविका के लिए मूल रूप से जरूरी चीजों तक पहुंच मिले। सत्य साईं बाबा सभी धर्म के लोगों के लिए प्रेरणास्रोत थे। उन्हें विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक प्रमुख भी कहा जा सकता है, क्योंकि सत्य साईं केंद्र 178 देशों में बनाए गए हैं। 85 वर्षों तक अपने जीवन को शांतिपूर्ण जीवन बिताने वाले सत्य साईं बाबा ने 24 अप्रैल 2011 को अपनी देह त्याग दी थी। उन्होंने हमेशा अपने भक्तों की मदद की एवं उन्हें अच्छे आदर्श मानने, अच्छा आचरण और मन में सेवाभाव करने का उपदेश दिया। 

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