शुक्रवार, 20 दिसंबर 2024
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  5. विजयशंकर की कविताएँ
Written By WD

वजह नहीं थी उसके जीने की

विजयशंकर चतुर्वेदी

वजह नहीं थी उसके जीने की -
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पहला तीखा बहुत खाता था इसलिए मर गया

दूसरा मर गया भात खाते-खाते

तीसरा मरा कि दारू की थी उसे लत

चौथा नौकरी की तलाश में मारा गया

पाँचवें को मारा प्रेमिका की बेवफाई ने

छठा मरा इसलिए कि वह बनाना चाहता था घर

सातवाँ सवाल करने के फेर में मरा

आठवाँ प्यासा मर गया भरे समुद्र में

नौंवा नंगा था इसलिए शर्म से मरा खुद-ब-खुद

दसवाँ मरा इसलिए कि कोई वजह नहीं थी उसके जीने की।