दक्षिण कोरियाई कंपनी को मिली भारत में कोविड 19 की दवा के परीक्षण की अनुमति
दक्षिण कोरिया की दवा कंपनी देवूंग को भारत में कोविड-19 के इलाज के लिए उसकी एक दवा के परीक्षण की अनुमति मिल गई है। देवूंग नई दिल्ली स्थित दवा कंपनी मैनकाइंड फार्मा के साथ साझेदारी में दवा का परीक्षण करेगी।
दक्षिण कोरिया की दवा कंपनी देवूंग फार्मा ने कहा है कि उसे भारत में कोविड-19 के इलाज के लिए उसकी एंटी-पैरासाइटिक दवा निक्लोसमाइड के परीक्षण की अनुमति मिल गई है। भारत में दवाओं की नियामक संस्था सीडीएससीओ ने कंपनी को शुरुआती चरण के मानव ट्रॉयल की अनुमति दे दी है। ट्रॉयल का पहला चरण इसी महीने शुरू हो जाएगा और इसमें दवा कितनी सुरक्षित है, यह जांच करने के लिए 30 स्वस्थ लोग भाग लेंगे।
देवूंग नई दिल्ली स्थित दवा कंपनी मैनकाइंड फार्मा के साथ साझेदारी में दवा का परीक्षण करेगी। मैनकाइंड फार्मा फिर दूसरे और तीसरे चरण के ट्रॉयल में कोरोनावायरस से मध्यम स्तर और गंभीर संक्रमण के मरीजों की जांच करेगी।
देवूंग ने कहा कि भारत में होने वाले इन परीक्षणों के नतीजों का इस्तेमाल यूरोप और अमेरिका में निर्यात परमिट लेने के लिए किया जाएगा। कंपनी के संचार कार्यालय में वाइस प्रेसीडेंट नेथन किम ने रॉयटर्स को बताया कि कंपनी दक्षिण कोरिया में एक और अलग, पहले चरण के ट्रॉयल की अनुमति की भी प्रतीक्षा कर रही है। कुछ महीनों पहले क्यूबा ने दावा किया था कि एंटीवायरल दवा इंटरफेरॉन अल्फा 2बी का इस्तेमाल चीन में कोरोनावायरस के मरीजों के इलाज के लिए हो रहा है।
कंपनी ने जून में जानवरों में इस दवा के 3 महीने के ट्रॉयल पूरे कर लिए थे और पाया था कि दवा के असर से जानवरों के फेफड़ों में कोरोनावायरस पूरी तरह से खत्म हो गया। दुनिया में 3 और कंपनियां कोरोनावायरस के इलाज के लिए निक्लोसमाइड को लेकर परीक्षण कर रही हैं, लेकिन सिर्फ देवूंग ही ऐसी कंपनी है, जो दवा की एक ऐसी किस्म को तैयार कर रही है जिसे मरीज को मुंह से नहीं लेना पड़ेगा।
कोविड-19 के पुख्ता इलाज के लिए अभी तक किसी भी दवा की पुष्टि नहीं हुई है। दुनियाभर की दवा बनाने वाली कंपनियां महामारी के इलाज के लिए दवा बनाने की कोशिश में लगी हुई हैं। कई एंटीवायरल दवाओं के मानव ट्रॉयल के निर्णायक नतीजे नहीं आए हैं। कोरोनावायरस के संक्रमण से अभी तक दुनिया में 7,39,000 लोग मारे जा चुके हैं।
सीके/एए (रॉयटर्स)