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Written By DW
Last Modified: शुक्रवार, 2 जून 2023 (08:17 IST)

सौर ऊर्जा कार्यक्रम की रफ्तार हुई धीमी, आयात पर नजर

सौर ऊर्जा कार्यक्रम की रफ्तार हुई धीमी, आयात पर नजर - solar plans hampered india mulls cutting solar panel import tax report
भारत ने चीन से आयात कम करने के लिए सौर पैनलों पर 40 प्रतिशत टैक्स लगाया था, लेकिन अब टैक्स को घटाने पर विचार हो रहा है। आखिर आयात पर टैक्स लगाने का क्या नतीजा हुआ?
 
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार इस टैक्स को 40 से 20 प्रतिशत पर लाने और साथ ही जीएसटी को भी 12 से पांच प्रतिशत पर लाने का विचार कर रही है। सरकारी सूत्रों के हवाले से रॉयटर्स ने कहा है कि आयात कर कम करने के लिए अक्षय ऊर्जा मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय से बात की है।
 
साथ ही दोनों मंत्रालय मिल कर जीएसटी दर को कम करने के लिए जीएसटी काउंसिल से अपील करने पर विचार कर रहे हैं। दरअसल सरकार ने अप्रैल 2022 में सौर पैनलों के आयात पर 40 प्रतिशत टैक्स और सौर सेलों के आयात पर 25 प्रतिशत टैक्स लगाया था।
 
कदम का उल्टा असर
इसका उद्देश्य था चीन से आयात पर लगाम लगाना ताकि देश के अंदर इनके उत्पादन को बढ़ावा मिल सके। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। भारतीय निर्माता इन पैनलों और सेलों की मांग को पूरा करने लायक उत्पादन कर नहीं पाए।
 
इसकी वजह से इन उत्पादों की कमी हो गई और सौर परियोजनाओं का काम धीमा पड़ गया। इसकी वजह से भारत सौर ऊर्जा उत्पादन के अपने लक्ष्यों को भी हासिल नहीं कर पाया। 2022 में 100 गीगावाट सौर ऊर्जा इंस्टॉल करने का लक्ष्य था लेकिन कुछ रिपोर्टों के मुताबिक हासिल सिर्फ 63 मेगावाट हो पाया।
 
भारतीय सौर कंपनियों ने इस साल आम बजट से पहले ही सरकार से इन टैक्स दरों को कम करने की मांग की थी। कंपनियों का कहना था कि 40 प्रतिशत इम्पोर्ट कर लगने से देश में सौर परियोजनाओं के शुरू होने पर असर पड़ा था।
 
जीएसटी दर भी इस समस्या का बड़ा हिस्सा है। करीब चार साल पहले सौर परियोजनाओं पर जीएसटी सिर्फ पांच प्रतिशत ही थी जिसे बाद में बढ़ा कर 8।9 प्रतिशत किया गया और फिर बढ़ा कर 12 प्रतिशत कर दिया गया। कंपनियां इसे इसे फिर से पांच प्रतिशत पर लाने की मांग कर रही थीं।
 
इन समस्याओं की वजह से कई कंपनियों की सौर परियोजनाएं समय से शुरू नहीं हो पाई हैं। समाचार एजेंसी एपी की एक रिपोर्ट के मुताबिक फिनलैंड की सौर ऊर्जा कंपनी की नियंत्रित कंपनी फोर्टम इंडिया की गुजरात में बन रही सौर परियोजना में कई महीनों की देरी चल रही है।
 
चीन की सौर बाजार पर पकड़
इस परियोजना से करीब 2,00,000 घरों को बिजली मिलनी है। ऐसा ही हाल कई परियोजनाओं का है। जानकारों का कहना है कि आयात हतोत्साहित करने के पीछे आत्मनिर्भर होने की मंशा अच्छी थी, लेकिन भारतीय उत्पादकों की क्षमता अभी इतनी नहीं बढ़ पाई है कि वो देश के अंदर सौर ऊर्जा की बढ़ती मांग को पूरा कर सकें।
 
माना जाता है कि पूरी दुनिया में सौर कॉम्पोनेन्ट में से 80 प्रतिशत चीन में ही बनते हैं, लिहाजा आज भी चीन की अंतरराष्ट्रीय सौर बाजार पर गहरी पकड़ है। एक रिपोर्ट के मुताबिक 2020-21 में भारत ने तीन अरब डॉलर मूल्य के सोलर पैनल का आयात किया था और इनमें से 90 प्रतिशत से ज्यादा पैनल चीन से आये थे।
 
संभव है इसलिए सरकार फिर से आयात आसान बनाने के बारे में विचार कर रही हो। सरकार द्वारा तय किये गए अक्षय ऊर्जा के लक्ष्यों को हासिल करना सौर ऊर्जा लक्ष्यों को हासिल करने पर बड़े पैमाने पर निर्भर करता है।
 
भारत ने 2030 तक 500 गीगावाट बिजली अक्षय ऊर्जा स्रोतों से उत्पादन करने का लक्ष्य रखा है, जो एक रिपोर्ट के मुताबिक इस समय 180 गीगावाट है।
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