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Written By DW
Last Updated : सोमवार, 23 सितम्बर 2024 (09:15 IST)

जर्मनी: ब्रांडेनबुर्ग चुनाव में शॉल्त्स की एसपीडी को बढ़त

जर्मनी: ब्रांडेनबुर्ग चुनाव में शॉल्त्स की एसपीडी को बढ़त - Scholz's SPD leads in Germany's Brandenburg elections
-एसएम/एसके (डीपीए, एपी)
 
जर्मनी के ब्रांडेनबुर्ग राज्य में 22 सितंबर को विधानसभा चुनाव का मतदान हुआ। एक्जिट पोल्स में सत्तारूढ़ एसपीडी, धुर-दक्षिणपंथी एएफडी के मुकाबले बढ़त में है। पिछले चुनाव की तुलना में एसपीडी के मतों में इजाफा दिख रहा है। जर्मनी के ब्रांडेनबुर्ग राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में मतदान बाद के शुरुआती रुझानों में चांसलर ओलाफ शॉल्त्स की सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (एसपीडी) बढ़त में है। ब्रांडेनबुर्ग में एसपीडी के नेतृत्व वाली मौजूदा गठबंधन सरकार के लौटने के आसार हैं।
 
पब्लिक ब्रॉडकास्टर एआरडी और जेडडीएफ के एक्जिट पोल्स के मुताबिक एसपीडी को 31 से 32 फीसदी वोट मिल रहे हैं। धुर-दक्षिणपंथी ऑल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) दोनों ही पोल्स में दूसरे नंबर पर है। उसे 29.2 से 29.9 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है।
 
एसपीडी और एएफडी, पिछले चुनाव की तुलना में कहां?
 
ये रुझान एसपीडी के लिए बड़ी राहत हैं। घटते जनाधार के बीच ब्रांडेनबुर्ग में भी एएफडी से पिछड़ने की मजबूत आशंकाओं के बीच उसने पिछले चुनाव से भी अच्छा प्रदर्शन किया है। सर्वेक्षण एजेंसी 'पोलिट प्रो' के मुताबिक 2019 के चुनाव में एसपीडी को यहां 26.2 प्रतिशत वोट मिले थे यानी उसे लगभग 5 फीसदी वोटों का फायदा होता दिख रहा है।
 
2019 के चुनाव में एएफडी ने यहां 23.5 फीसदी वोट हासिल किए थे और इस बार उसने अपने मतों में 6 फीसदी से ज्यादा की छलांग लगाई है। हालांकि, उसे यहां भी सबसे बड़ी पार्टी बनने की उम्मीद थी।
 
चुनावी सर्वेक्षणों में क्या तस्वीर दिख रही थी?
 
ये नतीजे एसपीडी को फौरी राहत दे सकते हैं। ब्रांडेनबुर्ग में एसपीडी, सीडीयू और ग्रीन्स की मौजूदा गठबंधन सरकार के प्रमुख डीटमार वॉइडके के लिए भी यह बड़ी परीक्षा थी। समाचार एजेंसी एपी के मुताबिक मुख्यमंत्री वॉइडके ने कहा था कि अगर धुर-दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी जीत जाती है, तो वह इस्तीफा दे देंगे। अब मतदान खत्म होने के बाद आए शुरुआती रुझानों पर खुशी जताते हुए उन्होंने एसपीडी की एक चुनावी पार्टी में कहा कि यह उनके दल की बड़ी जीत है।
 
सितंबर की शुरुआत में हुए सैक्सनी और थुरिंजिया के विधानसभा चुनाव में धुर-दक्षिणपंथी धड़े को बढ़त मिली थी। ब्रांडेनबुर्ग में भी ऐसे ही आसार दिख रहे थे। मतदान पूर्व सर्वेक्षणों में एएफडी और एसपीडी के बीच कांटे की टक्कर दिख रही थी। 'पोलिट प्रो' के ओपिनियन पोल्स में एसपीडी को 28 फीसदी और एएफडी को 27 प्रतिशत वोट मिलने का अनुमान था।
 
राज्य की गठबंधन सरकार में एसपीडी के अलावा 2 और घटक दलों सीडीयू को 13.5 फीसदी और ग्रीन्स को चार प्रतिशत वोट मिलता दिख रहा था। मतदान पूर्व रुझानों में लेफ्ट पार्टी की पूर्व नेता जारा वागनक्नेष्ट की पार्टी 'जारा वागनक्नेष्ट अलायंस' (बीएसडब्ल्यू) को राज्य में 12 फीसदी से ज्यादा वोट मिलने के आसार थे। एसपीडी के लिए राहत की बात यह थी कि पिछले 30 दिनों के दौरान चुनावी सर्वेक्षणों में वह 6 फीसदी ऊपर बढ़ी थी।
 
मौजूदा गठबंधन सरकार के लिए क्या उम्मीद है?
 
88 सीटों की विधानसभा में बहुमत के लिए 45 सीटें चाहिए। 'पोलिट प्रो' ने अपने एक्जिट पोल में बताया है कि एसपीडी के नेतृत्व वाली मौजूदा गठबंधन सरकार सुरक्षित नजर आ रही है। एसपीडी, सीडीयू और ग्रीन्स, तीनों घटक दलों को मिलाकर गठबंधन को 53.3 फीसदी वोट मिलता दिख रहा है। सीटों के हिसाब से एसपीडी को 30, सीडीयू को 12 और ग्रीन्स को 5 सीटें मिलती दिख रही हैं यानी सरकार बनाने के लिए जरूरी 45 सीटों से 2 ज्यादा। वहीं, एएफडी को 29 और बीएसडब्ल्यू को 12 सीटें मिलने का अनुमान है।
 
ये नतीजे विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक की ग्रीन पार्टी को भी तात्कालिक राहत देंगे। 2019 के मुकाबले (10।8 प्रतिशत वोट) उनकी पार्टी का जनाधार सिमटा तो है, लेकिन चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों की तुलना में ग्रीन्स बेहतर स्थिति में दिख रही है। मतदान के एक दिन पहले तक यानी 20 सितंबर के ताजा सर्वेक्षणों में वह 4 प्रतिशत वोट पाती दिख रही थी।
 
ऐसे में उसके विधानसभा में दाखिल होने की भी उम्मीद नहीं थी। जर्मनी में पार्टियों को संसद/विधानसभा में सीटें तभी मिलती हैं, जब उन्हें 5 प्रतिशत या इससे ज्यादा वोट मिलें। इससे पहले थुरिंजिया में भी ग्रीन्स को विधानसभा में एक भी सीट नहीं मिली। सैक्सनी में भी ग्रीन्स 5 प्रतिशत वोटों के साथ एकदम कगार पर थी। 
 
केंद्र सरकार के तीसरे सहयोगी दल और वित्त मंत्री क्रिस्टियान लिंडनर की फ्री डेमोक्रेटिक पार्टी (एफडीपी) के लिए ब्रांडेनबुर्ग के नतीजे भी बेहद निराशाजनक हैं। सैक्सनी और थुरिंजिया के बाद ब्रांडेनबुर्ग में भी उसका सीटों का खाता नहीं खुलता दिख रहा है। एक्जिट पोल्स में उसे केवल 0।5 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है।
 
शॉल्त्स के लिए था लिटमस टेस्ट?
 
जर्मनी में अगले साल 28 सितंबर 2025 को आम चुनाव होना है। शॉल्त्स के नेतृत्व में केंद्र की गठबंधन सरकार की लोकप्रियता लगातार घटती जा रही है। इस गठबंधन में एसपीडी सबसे बड़ा दल है, लेकिन उस समेत ग्रीन्स और एफडीपी तीनों का ही जनाधार सिमटता जा रहा है।
 
ऐसे में ब्रांडेनबुर्ग का चुनाव जर्मनी के मौजूदा चांसलर ओलाफ शॉल्त्स के लिए लिटमस टेस्ट की तरह देखा जा रहा था। जर्मनी के एकीकरण के बाद से ही यहां एसपीडी सत्ता में रही है बल्कि देश के पूर्वी हिस्से में अकेला ब्रांडेनबुर्ग ही है, जहां 1990 से ही लगातार एसपीडी की सरकार रही है।
 
राजनीतिक विशेषज्ञ आशंका जता रहे थे कि ब्रांडेनबुर्ग का चुनावी नतीजा शॉल्त्स के राजनीतिक भविष्य को आकार दे सकता है। सन् 1863 में गठित एसपीडी जर्मनी के सबसे पुराने दलों में है। हालांकि, धुर-दक्षिणपंथ के बढ़ते जनाधार, यूक्रेन युद्ध के बाद उपजा ऊर्जा संकट और बढ़ती महंगाई, प्रवासी और शरणार्थी नीतियों व चाकू से होने वाले हमलों में आई तेजी के कारण बढ़ती असुरक्षा की भावना ने हालिया समय में एसपीडी की लोकप्रियता को कम किया है।
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