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Written By DW
Last Updated : गुरुवार, 19 सितम्बर 2024 (09:30 IST)

फोन की जगह पेजर क्यों इस्तेमाल करता है हिज्बुल्लाह

Lebanon pager blast
-एसएम/ओएसजे (एपी, एएफपी, रॉयटर्स, डीपीए)
 
हिज्बुल्लाह के सदस्य हैकिंग के डर से मोबाइल फोन की जगह पेजर इस्तेमाल कर रहे थे, लेकिन यह भी सुरक्षित नहीं रहा। विस्फोटों के बाद संगठन के नेतृत्व ने अपने सभी सदस्यों से कहा है कि वे तत्काल अपने-अपने पेजर फेंक दें। लेबनान की राजधानी बेरूत में 17 सितंबर को फटे पेजर एआर-924 मॉडल के थे।
 
समाचार एजेंसी एपी के मुताबिक इस मॉडल में एक रिचार्जेबल लीथियम आयन बैटरी है। ताइवान की कंपनी गोल्ड ओपोलो की वेबसाइट पर इसकी बैटरी लाइफ 85 दिन बताई गई थी। हालांकि विस्फोटों के बाद कंपनी ने अपनी वेबसाइट से यह जानकारी हटा ली है।
 
विशेषज्ञों के मुताबिक किसी उपकरण का एक बार चार्ज करने पर इतने दिनों तक चलना लेबनान के संदर्भ में काफी अहम है। खराब आर्थिक स्थिति के कारण यहां बिजली कटना बहुत आम है। पेजर, वायरलेस नेटवर्क मोबाइल से अलग होते हैं। ऐसे में वे आपातकालीन स्थितियों के लिए भी मुफीद माने जाते रहे हैं। एपी के मुताबिक लेबनान ही नहीं बल्कि दुनियाभर के कई अस्पताल अब भी पेजरों का इस्तेमाल करते हैं। समाचार एजेंसी एएफपी ने घायलों की शुरुआती संख्या 100 से ज्यादा बताई है
 
हिज्बुल्लाह को पेजरों पर क्यों भरोसा था?
 
इन फायदों के अलावा हिज्बुल्लाह के लिए पेजरों का मतलब दूरसंचार का सुरक्षित जरिया भी रहा है। माना जाता है कि लेबनान के समूचे मोबाइल फोन नेटवर्क में इजराइल की बहुत गहरी पैठ है। सर्विलांस और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में सेंधमारी के लिए इजराइली सुरक्षा एजेंसियों और कंपनियों की तकनीकी क्षमता काफी उन्नत मानी जाती है।
 
भारत समेत कई देशों में सरकारों पर विपक्षी नेताओं, पत्रकारों, मानवाधिकार समर्थकों और कार्यकर्ताओं की जासूसी के लिए जिस पेगासस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करने के आरोप लगे, उसे इजराइल के ही एनएसओ ग्रुप ने बनाया था। हैकिंग, टैपिंग, ट्रैकिंग और जासूसी जैसी आशंकाओं के कारण हिज्बुल्लाह नेतृत्व ने अपने सदस्यों को मोबाइल और स्मार्टफोन का इस्तेमाल न करने का निर्देश दिया था।
 
इसी साल फरवरी में हिज्बुल्लाह के नेता हसन नसरल्ला ने संगठन के सदस्यों को स्मोर्टफोन के इस्तेमाल के प्रति आगाह करते हुए कहा था। 'हमारे हाथों में जो फोन हैं, हालांकि मेरे हाथ में कोई फोन नहीं है, वे एक लिसनिंग डिवाइस (जासूसी का उपकरण) हैं।'
 
नसरल्ला ने आशंका जताई थी कि इनके जरिए इजराइल हिज्बुल्लाह सदस्यों की गतिविधियां और लोकेशन जैसी जानकारियां ट्रैक कर सकता है। समाचार एजेंसी एपी के मुताबिक इसके बाद हिज्बुल्लाह सदस्यों के बीच संवाद के लिए पेजरों का इस्तेमाल बढ़ गया। पेजर एक वायरलेस उपकरण है, जो मैसेज भेजने के लिए इस्तेमाल होता है। यह इलेक्ट्रॉनिक उपकरण मुख्य तौर पर 90 के दशक में प्रचलित था। मोबाइल फोन के आने के बाद इनका इस्तेमाल घटता गया।
 
कहां से आए थे ये पेजर?
 
एपी ने हिज्बुल्लाह के एक अधिकारी के हवाले से बताया कि जिन पेजरों में धमाके हुए, वे नए ब्रांड के थे। संगठन ने पहले इस ब्रांड का पेजर इस्तेमाल नहीं किए थे। रॉयटर्स ने भी लेबनान के एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी के हवाले से बताया है कि हिज्बुल्लाह ने इन पेजरों को कुछ ही महीने पहले आयात किया था।
 
खबरों के मुताबिक संबंधित पेजरों पर ताइवानी कंपनी 'गोल्ड ओपोलो' की मार्किंग थी। ये पेजर एआर-924 मॉडल के थे। कंपनी ने बताया है कि बुडापेस्ट (हंगरी की राजधानी) स्थित बीएसी कंसल्टिंग नाम की कंपनी ने इन पेजरों को बनाया था। इसी कंपनी ने पेजर बेचे भी। गोल्ड ओपोलो ने अपने बयान में कहा है कि भले ही उसने खुद ये पेजर नहीं बनाए, लेकिन बीएसी कंसल्टिंग के पास उसके ब्रांड के इस्तेमाल का अधिकार था।
 
बयान के मुताबिक 'सहयोग से जुड़े करार के मुताबिक हम बीएसी को तय क्षेत्रों में उत्पादों की बिक्री के लिए अपने ब्रांड ट्रेडमार्क के इस्तेमाल की इजाजत देते हैं। हालांकि उत्पाद का डिजाइन और निर्माण पूरी तरह से बीएसी की जिम्मेदारी है।' कंपनी ने बताया कि उसका बीएसी के साथ पिछले 3 साल से यह समझौता है।
 
बीएसी का पूरा नाम 'बीएसी कंसल्टिंग केएफटी' है। कंपनी रिकॉर्डों के मुताबिक यह मई 2022 में पंजीकृत हुई थी। एपी के अनुसार, कंपनी की निवेश की गई पूंजी 7,840 यूरो है जबकि पिछले साल इसका राजस्व 5,93,972 डॉलर था।
 
ताइवान के आर्थिक मामलों के मंत्रालय ने बताया है कि जनवरी 2022  से अगस्त 2024 के बीच गोल्ड अपोलो ने 2,60,000 पेजरों का निर्यात किया है। इनमें इस साल एक्सपोर्ट की गई संख्या करीब 40,000 है। हालांकि गोल्ड अपोलो ने लेबनान को सीधे निर्यात किया या नहीं, इस पर मंत्रालय के पास कोई रिकॉर्ड नहीं है।
 
हिज्बुल्लाह को खोजना होगा नया तरीका?
 
विस्फोटों के बाद हिज्बुल्लाह ने अपने सभी सदस्यों से कहा है कि वे तत्काल अपने-अपने पेजर फेंक दें। विशेषज्ञों की राय में अब हिज्बुल्लाह के आगे सुरक्षित संवाद के लिए नया साधन तलाशने की चुनौती होगी।
 
निकोलस रीस, न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ प्रोफेशनल्स स्टडीज में इंस्ट्रक्टर हैं। उन्होंने एपी से बातचीत में कहा कि इंटरसेप्ट किए जाने की आशंका के मद्देनजर पेजर की सरल तकनीक स्मार्टफोन के मुकाबले ज्यादा सुरक्षित मानी जाती रही है। उन्होंने अनुमान जताया कि हालिया घटना के बाद हिज्बुल्लाह अपनी संवाद रणनीति में बदलाव करने पर मजबूर होगा।
 
रीस पहले खुफिया विभाग में अधिकारी भी रह चुके हैं। वे कहते हैं कि 17 सितंबर को हुए विस्फोटों के संपर्क में आए लोग अब न केवल 'अपने पेजर, बल्कि फोन भी फेंक देंगे। (मुमकिन है) वे अपने टैबलेट्स और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भी छोड़ दें।'
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