2022 में रूसी कंपनियां भारत की सबसे बड़ी खाद सप्लायर बन गई थी। प्रतिबंधों के कारण रूसी खाद कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद बेचने में परेशानी हो रही थी। इससे बचने के लिए उन्होंने भारत को सस्ते दाम पर डी-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) बेचना शुरू किया। भारतीय खाद उद्योग से जुड़े तीन बड़े स्रोतों के मुताबिक, अब यह सस्ती सप्लाई बंद हो कर दी गई है।
समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बात करते हुए नई दिल्ली के सीनियर इंडस्ट्री अफसर ने कहा, "अब कोई डिस्काउंट नहीं।" यह अधिकारी अब वाजिब दाम में खाद पाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बाचतीत कर रहे हैं।
क्या है डीएपी
डी-अमोनियम फॉस्फेट भारत में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली रासायनिक खाद है। इसमें नाइट्रोजन और फॉस्फोरस की अच्छी खासी मात्रा होती है। यह पोषक तत्व फसल की ग्रोथ, पौधों की सेहत और उनके रंग को सहारा देते हैं। डी-अमोनियम फॉस्फेट पैदावार बढ़ाने में मदद करता है। इसका फॉस्फोरस जड़ों का बढ़िया विकास करता है। पानी में आसानी से घुलने की वजह से भी किसान इसे इस्तेमाल करना पसंद करते हैं।
भारतीय खाद कंपनी से जुड़े एक और अधिकारी ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर रॉयटर्स से कहा, "रूसी कंपनियां डीएपी 80 डॉलर प्रति टन जितने सस्ते दाम पर दे रही थी। हालांकि अब वे 5 डॉलर का भी डिस्काउंट नहीं दे रही हैं।"
रूसी खाद उद्योग के एक अधिकारी ने कहा कि फिलहाल रूसी डीएपी करीब 570 डॉलर प्रति टन है। इतने ही दाम पर अन्य एशियाई विक्रेता भी खाद ऑफर कर रहे हैं।
वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत ने रूस से 43।5 लाख टन रासायनिक खाद खरीदी। सप्लाई के मामले में यह 246 फीसदी का उछाल था। इनमें सबसे ज्यादा हिस्सेदारी डीएपी, यूरिया और एनपीके खाद की थी। रूस की सस्ती खाद सप्लाई के भारतीय बाजार में चीन, मिस्र, जॉर्डन और यूएई की हिस्सेदारी कम हो गई।
गेंहू की बुआई से पहले महंगी खाद
चीन दुनिया में रासायनिक खाद का सबसे बड़ा निर्यातक है। हाल ही में बीजिंग ने विदेशों में खाद की बिक्री घटाई है। इसके चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार में रासायनिक खाद महंगी हो गई है। रूसी कंपनियां इन परिस्थितियों का फायदा उठाना चाहती हैं। खाद सेक्टर से जुड़े भारतीय अधिकारी ने कहा, "रूसी कंपनियां मौजूदा मार्केट रेट पर खाद ऑफर कर रही हैं।"
बीते दो महीने से दुनिया भर में रासायनिक खाद के दाम ऊपर जा रहे हैं। भारतीय कंपनियां सर्दियों से पहले खाद का बड़ा स्टॉक जमा करती हैं। सर्दियों में भारत के बड़े हिस्से में गेंहू बोया जा जाता है।
मुंबई की एक खाद कंपनी के मुताबिक डीएपी बहुत ज्यादा महंगी हो चुकी है। ऐसा ही हाल दूसरी खादों का भी है। जुलाई में यूरिया 300 डॉलर प्रति टन था। अब यह 400 रुपये प्रति टन है।
मुंबई स्थित कंपनी के अधिकारी ने कहा, "भारत में अहम राज्यों में चुनावों से पहले वैश्विक स्तर पर खाद महंगी हो चुकी है। सरकार के पास किसानों को रियायत देने के अलावा और कोई चारा नहीं है।"
ओएसजे/एनआर (रॉयटर्स)