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Written By DW
Last Updated : सोमवार, 22 जुलाई 2024 (10:03 IST)

रात में देर तक जागने वालों का दिमाग होता है ज्यादा तेज

Toxic Brain Foods
-फ्रेड श्वालर
 
एक अध्ययन में पाया गया कि शाम को अधिक सक्रिय रहने वाले लोगों ने कॉग्निटिव टेस्ट्स में 'सुबह उठने वाले लोगों' के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया। आप 'रातभर जागने वाले' लोगों की श्रेणी में आते हैं या 'सुबह जल्दी उठने वालों' में? क्या आप दिन भर काम करने के लिए सुबह जल्दी उठते हैं या देर रात तक जागते रहते हैं? चाहे आप अपनी पसंद, आदत या स्वभाव को वजह मानें, यह आपकी 'क्रोनोटाइप' है।
 
एक अध्ययन से पता चला है कि आपका क्रोनोटाइप, आपकी जनरल कॉग्निटिव स्किल्स को प्रभावित कर सकता है। पाया गया कि रातभर जागने वालों का संज्ञानात्मक प्रदर्शन आमतौर पर सुबह जल्दी उठने वालों की तुलना में अधिक था।
 
बीएमजे पब्लिक हेल्थ जर्नल में जुलाई 2024 में छपे एक ब्रिटेन-आधारित अध्ययन में 26,000 से अधिक लोगों के डेटा का विश्लेषण किया गया जिन्होंने कई कॉग्निटिव टेस्ट पूरे किए थे। इसका उद्देश्य यह पता लगाना था कि नींद के अलग-अलग पहलू, जैसे समय सीमा, पैटर्न और गुणवत्ता, मानसिक एकाग्रता और समूची संज्ञानात्मक क्षमताओं पर कैसा असर डालते हैं।
 
'नाइट आउल' अध्ययन में क्या पता चला?
 
पाया गया कि रात में 7 से 9 घंटे की नींद दिमाग के काम करने के लिए सबसे अच्छी है। हालांकि, यह भी सामने आया कि व्यक्ति का क्रोनोटाइप उसके प्रदर्शन पर भी असर डालता है। 
 
ब्रिटेन के इंपीरियल कॉलेज लंदन की प्रमुख लेखिका राहा वेस्ट ने एक विज्ञप्ति में बताया, 'शाम के समय स्वाभाविक रूप से अधिक सक्रिय रहने वाले वयस्कों ने कॉग्निटिव टेस्ट्स में सुबह जल्दी उठने वाले लोगों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया। केवल व्यक्तिगत पसंद होने के बजाय, ये क्रोनोटाइप हमारे कॉग्निटिव फंक्शन पर असर डाल सकते हैं।'
 
लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सुबह उठने वाले सभी लोगों का संज्ञानात्मक प्रदर्शन खराब होता है। वेस्ट ने बताया, 'नतीजा एक पूरे ट्रेंड को दिखाता है, जहां ज्यादातर लोगों का झुकाव शाम में बेहतर कॉग्निशन की श्रेणी में होता है।'
 
इसके अलावा यह पक्ष भी है कि आपका क्रोनोटाइप पत्थर की लकीर नहीं है, आप किसी भी तरह से अनुकूल बन सकते हैं। बस रात को अच्छी नींद लेने से भी आपका कॉग्निटिव प्रदर्शन बेहतर हो सकता है।
 
नींद के क्रोनोटाइप्स का विज्ञान
 
क्रोनोटाइप्स स्थायी नहीं होते। वे हमारे जीवन के दौरान बदल सकते हैं। हंगरी के बुडापेस्ट में इओट्वोस लोरंड विश्वविद्यालय के नींद विशेषज्ञ फेइफी वांग बताते हैं, 'बच्चे सुबह उठते हैं, किशोर और युवा वयस्क शाम की श्रेणी में होते हैं और वृद्ध अक्सर सुबह की श्रेणी में होते हैं।'
 
लेकिन वांग ने कहा कि इस बात के सबूत हैं कि नींद और सक्रियता के समय हमारी आदतें बदलती नहीं हैं, यहां तक ​​कि जब हम समय क्षेत्र बदलते हैं। वांग कहते हैं, 'अनुवांशिक, हार्मोनल, पर्यावरणीय और जीवनशैली जैसे कारक मिलकर तय करते हैं कि कोई व्यक्ति सुबह अधिक सक्रिय रहता है या शाम को। ये फैक्टर्स एक व्यक्ति के क्रोनोटाइप को आकार देने के लिए इंटरैक्ट करते हैं।' वांग इस नए अध्ययन का हिस्सा नहीं थे।
 
क्रोनोटाइप्स आंशिक रूप से हमारे सिरकाडियन रिदम के अंतर से जुड़े हैं। शरीर की स्वाभाविक घड़ी नींद और मेटाबॉलिज्म जैसे आवश्यक कार्यों को संचालित करती है। किसी व्यक्ति की सिरकाडियन रिदम में शामिल जीन में 'क्लॉक', 'पेर', 'क्राइ' नामक जीन शामिल हैं। इनका क्रोनोटाइप पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। वांग ने डीडब्ल्यू को बताया, 'ये इस बात पर असर डालते हैं कि व्यक्ति सुबह या शाम के समय जागता है।'
 
लेकिन आप अपने आप को सुबह या शाम की श्रेणी में लाने के लिए प्रशिक्षित कर सकते हैं। उरुग्वे के मोंटेवीडियो में यूनिवर्सिडाड डे ला रिपब्लिका के नींद विशेषज्ञ इग्नासियो एस्टेवन ने बताया, 'हमने दिखाया है कि अंडरग्रेजुएट छात्र दो साल में अपने क्रोनोटाइप को लगभग दो घंटे तक आगे बढ़ा सकते हैं।' एस्टेवन भी नए अध्ययन में शामिल नहीं थे।
 
'रातभर जागने' से परीक्षा में प्रदर्शन पर असर
 
एस्टेवन ने क्रोनोटाइप और परीक्षा में अंकों के आपसी संबंध पर शोध किया है। उन्होंने पाया है कि रात में जागने वालों और सुबह जागने वालों में परीक्षा का प्रदर्शन इस बात पर निर्भर करता है कि आपने अपने अध्ययन के लिए दिन के दौरान उनका परीक्षण कब किया।
 
एस्टेवन ने डीडब्ल्यू को बताया, 'हमने पाया कि सुबह, देर वाले क्रोनोटाइप्स का अकादमिक प्रदर्शन जल्दी वाले क्रोनोटाइप्स की तुलना में खराब था, लेकिन दोपहर में नहीं।' उन्होंने आगे कहा कि उनके शोध ने उस अनुसंधान में योगदान दिया है जो दिखाता है कि स्कूल शुरू होने के समय का बच्चों के अकादमिक प्रदर्शन पर असर पड़ता है।
 
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि स्कूल के समय और छात्रों की जैविक लय के बीच बेहतर तालमेल से जीवन में आगे चलकर उनके अवसर बढ़ेंगे। एस्टेवन ने कहा कि आखिरकार टेस्ट और कॉग्निटिव परफॉरमेंस अच्छी गुणवत्ता वाली नींद पर निर्भर करती है। अध्ययनों से पता चलता है कि जो लोग लंबे समय तक सोते हैं, वे टेस्ट में बेहतर प्रदर्शन करते हैं। सेहत और स्वास्थ्य के लिहाज से भी पर्याप्त नींद जरूरी है। 
 
एस्टेवन ने यह भी बताया कि इसे सीखने और अच्छे कॉग्निटिव फंक्शनिंग को नींद के महत्व से समझाया जा सकता है। उनके शोध में पाया गया है कि आखिरी समय में रिवीजन करने के लिए 'पूरी रात जागना' परीक्षा अंक पर बुरा असर डालता है। एस्टेवन ने कहा, 'हमारे अध्ययन में शामिल लगभग 15 फीसदी छात्र परीक्षा से पहले सोए नहीं थे और उनका प्रदर्शन सबसे खराब रहा।'
 
कितनी जरूरी है चोटी के एथलीटों के लिए कुछ कुछ घंटों की नींद
 
तो, रात को अच्छी नींद पाने का सबसे अच्छा तरीका क्या है? वांग ने सलाह दी कि 'एक नियमित नींद की आदत बनाए रखें, सोने के लिए एक अंधेरा और शांत वातावरण रखें, आराम करने की कोशिश करें, रात होने के बाद कैफीन या उत्तेजक पदार्थों का सेवन न करें और रात में रोशनी के संपर्क में कम आएं, खासकर सोने से पहले।'