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Written By DW
Last Modified: मंगलवार, 20 दिसंबर 2022 (08:19 IST)

डॉलर की जगह भारतीय रुपए में व्यापार करना चाहते हैं कई देश

डॉलर की जगह भारतीय रुपए में व्यापार करना चाहते हैं कई देश - india rupee settlement mechanism draws interest from more nations
भारत के रुपये में अंतरराष्ट्रीय कारोबार करने की प्रक्रिया यानी डॉलर और अन्य बड़ी मुद्राओं की जगह रुपया इस्तेमाल करने का तरीका अन्य कई देशों को भा रहा है। दुनिया के कई देशों ने इस संबंध में भारत से संपर्क किया है।
 
ताजिकिस्तान, क्यूबा, लग्जमबर्ग और सूडान समेत कई देशों ने भारत से यह जानने के लिए बातचीत शुरू की है कि वह डॉलर या दूसरी बड़ी मुद्राओं को छोड़ भारतीय करंसी में अंतरराष्ट्रीय लेनदेन कैसे कर रहा है। समाचार एजेंस रॉयटर्स ने कम से कम दो आधिकारिक सूत्रों के हवाले से यह खबर दी है। जब यूक्रेन युद्ध शुरू होने पर रूस पर वित्तीय प्रतिबंध लगे थे, तब रूस और भारत ने इस प्रक्रिया से ही कारोबार शुरू किया था।
 
भारतीय रिजर्व बैंक ने जुलाई में यह प्रक्रिया शुरू की थी। उद्योग जगत की एक हस्ती के हवाले से रॉयटर्स ने लिखा है कि अब भारत सरकार ऐसे देशों को भी इस प्रक्रिया के तहत लाने की कोशिश कर रही है जिनके पास डॉलर यानी अमेरिकी मुद्रा की कमी है। इस व्यक्ति ने अपना नाम प्रकाशित ना करने के आग्रह पर यह सूचना दी क्योंकि मामला अभी गोपनीय है। भारतीय वित्त मंत्रालय और आरबीआई ने इस संबंध में पूछे गए सवालों के जवाब नहीं दिए।
 
रॉयटर्स के देखे दस्तावेजों के मुताबिक कम से कम चार देशों ने भारत में रुपये में खाता खोलने में दिलचस्पी दिखाई है। इन खातों को वोस्तरो अकाउंट कहा जाता है। हालांकि भारत के बैंकों ने अभी उन देशों को ये सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई हैं। इन खातों को खोलने के लिए रिजर्व बैंक से इजाजत लेनी होती है।
 
कई और देश इच्छुक
मॉरिशस और श्रीलंका ने भी इस प्रक्रिया में दिलचस्पी दिखाई है। उनके वोस्तरो खातों को तो रिजर्व बैंक ने मंजूरी भी दे दी है। दस्तावेजों के मुताबिक भारतीय रिजर्व बैंक ने 12 वोस्तरो खाते मंजूर किए हैं, जो रूस के साथ रुपये में कारोबार के लिए खोले गये हैं। छह अन्य खाते श्रीलंका और मॉरिशस के लिए हैं। इनमें से श्रीलंका के लिए पांच खाते हैं।
 
भारत कई अन्य बड़े व्यापारिक साझीदारों के साथ भी डॉलर की जगह रुपये में व्यापार करने की कोशिश कर रहा है। इनमें सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देश शामिल हैं जिनसे भारत बड़ी मात्रा में तेल आयात करता है। एक सरकारी अधिकारी के मुताबिक यूएई और भारत के केंद्रीय बैंक रुपया-दिरहम व्यापार व्यवस्था के लिए प्रक्रिया स्थापित करने पर बातचीत कर रहे हैं। सऊदी अरब के साथ रुपया-रियाल व्यापार प्रक्रिया की भी तैयारी की जा रही है।
 
अधिकारी के मुताबिक यूएई और सऊदी अरब अपने निर्यात से मिलने वाले भारतीय रुपये को भारत में ही निवेश करने के तरीकों पर भी बातचीत कर रहे हैं। इस अधिकारी ने कहा, "हमने अतिरिक्त रुपयों को भारतीय बाजारों में निवेश करने का विकल्प पेश किया है।”
 
कैसे काम करती है व्यवस्था
इसी साल भारतीय रिजर्व बैंक ने भारतीय मुद्रा में उपलब्ध किसी भी संपत्ति को सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करने की इजाजत दे दी थी। आरबीआई ने मार्च में ही भारतीय व्यापारियों को रूस के साथ रुपये में कारोबार करने की इजाजत दे दी थी। भारतीय मुद्रा में अंतरराष्ट्रीय व्यापार करने से भारत को अपना निर्यात बढ़ाने में मदद मिलेगी और वह उन देशों के साथ भी व्यापार कर सकता है जिन पर अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रतिबंध लगे हैं। मसलन, रूस से तेल खरीदने के लिए भारतीय व्यापारियों ने रुपये में भुगतान किया। इससे भारत कम दाम में तेल खरीद पाया।
 
इस व्यवस्था के तहत आयात और निर्यात करने वाले व्यापारी एक विशेष वोस्तरो खाता खोलते हैं, जो साझीदार देश के किसी बैंक के साथ जुड़ा होता है। वोस्तरो खाता साझीदार देश का बैंक भारत में किसी बैंक में खोलता है। व्यापारी को जितना भुगतान करना होता है, वह इस खाते में रुपयों में जमा कर देता है। उस रुपये को साझीदार देश किसी से भी रुपये में कारोबार करने में इस्तेमाल कर सकता है।
 
रिपोर्टः विवेक कुमार (रॉयटर्स)
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