• Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. डॉयचे वेले
  3. डॉयचे वेले समाचार
  4. germany snapping up indian petro products amid russia sanctions
Written By DW
Last Updated : गुरुवार, 14 सितम्बर 2023 (08:30 IST)

कच्चा तेल रूस का, रिफाइन किया भारत ने, खरीद रहा जर्मनी

कच्चा तेल रूस का, रिफाइन किया भारत ने, खरीद रहा जर्मनी - germany snapping up indian petro products amid russia sanctions
चारु कार्तिकेय
पश्चिमी देश रूस से कच्चा तेल खरीदने के लिए भारत की आलोचना करते आये हैं। लेकिन ताजा आंकड़े दिखा रहे हैं कि भारत उसी रूसी तेल को प्रोसेस कर जो पेट्रोलियम उत्पाद बना रहा है, उन्हें जर्मनी भारी मात्रा में खरीद रहा है।
 
जर्मनी की राष्ट्रीय सांख्यिकी एजेंसी डेस्टाटिस के ताजा आंकड़ों के मुताबिक इस साल जनवरी से जुलाई के बीच जर्मनी ने करीब 40 अरब रुपये मूल्य के भारतीय पेट्रोलियम उत्पादखरीदे हैं। मुमकिन है कि उनमें से अधिकांश उत्पाद ऐसे कच्चे तेल से बने हों जो भारत ने रूस से खरीदा।
 
एजेंसी के मुताबिक 2022 में जर्मनी ने इसी अवधि में 3।29 अरब रुपये मूल्य के पेट्रोलियम उत्पाद खरीदे थे, यानी एक साल में जर्मनी की खरीद में 1,100 प्रतिशत की बढ़ोतरी आई।
 
भारत का रुख
एजेंसी ने यह कहा कि यह उत्पाद कच्चे तेल से बने थे और संयुक्त राष्ट्र के कॉमट्रेड डेटाबेस के मुताबिक, युद्ध की शुरुआत के समय से ही "भारत बड़ी मात्रा में रूस से कच्चा तेल आयात कर रहा है।"
 
युद्ध शुरू होने के बाद से ही पश्चिमी देशों ने रूस पर कई प्रतिबंध लगा दिए थे। यूरोपीय संघ ने रूस से समुद्र के रास्ते तेल खरीदने पर एम्बार्गो भी लगाया था। इस दौरान भारत रूस से लगातार कच्चा तेल खरीदता रहा है, और वो भी सस्ते दामों पर।
 
पश्चिमी देशों ने इसे लेकर कई बार भारत की आलोचना भी की लेकिन भारत अपने रुख पर अड़ा रहा। भारत सरकार का कहना रहा है कि भारतीय नागरिकों के हित में जो भी कदम उसे उठाने पड़ेंगे, वो उठाएगा।
 
लेकिन इसे कच्चे तेल को रिफाइन कर भारत जो पेट्रोलियम उत्पाद बनाता है उसे यूरोपीय देश भी खरीद रहे हैं, तेल के बाजार के इस पहलू पर कम ही चर्चा होती है।
 
पीछे के दरवाजे से आता रूसी तेल
इस तरह की खरीद पूरी तरह से वैध है, लेकिन आलोचकों का कहना है यह एक तरह से पीछे के दरवाजे से रूसी तेल को यूरोप में पहुंचाने के बराबर है, जो रूस पर लगे अंतरराष्ट्रीय और यूरोपीय प्रतिबंधों के असर को खोखला करता है।
 
मई, 2023 में यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रमुख जोसेप बोरेल ने ब्लॉगपोस्ट में इस "दुविधा" को माना था। उन्होंने लिखा था, "यूरोपीय संघ में हमलोग रूसी तेल नहीं खरीदते हैं, लेकिन हम वो डीजल खरीदते हैं जो इस रूसी तेल को कहीं और रिफाइन करने के बाद प्राप्त होता है। इससे हमारे प्रतिबंध नाकाम होते हैं।।।इससे नैतिक मुद्दे भी जन्म लेते हैं।" 
 
उन्होंने माना था कि संघ को मालूम है कि भारतीय रिफाइनरी कंपनियां भारी मात्रा में रूस से कच्चा तेल खरीद रही हैं और फिर इसे प्रोसेस कर यूरोप को बेच रही हैं, जिस पर संघ को कड़ा कदम उठाने की जरूरत है। हालांकि इस पर कोई कदम उठाया नहीं गया। (एएफपी से जानकारी के साथ)