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Written By DW
Last Updated : मंगलवार, 2 अप्रैल 2024 (08:03 IST)

रॉकेट से एक घंटे में कहीं भी डिलीवरी की तैयारी

रॉकेट से एक घंटे में कहीं भी डिलीवरी की तैयारी - chinas taobao working with startup on deliveries by reusable rocket
चीन की रॉकेट बनाने वाली कंपनी स्पेस इपोक ने कहा है कि वह अलीबाबा के ऑनलाइन शॉपिंग प्लैटफॉर्म ताओबाओ के साथ मिलकर रॉकेट से फटाफट डिलीवरी करने वाली सेवा शुरू करने पर काम कर रही है।
 
स्पेस इपोक ने कहा कि अभी यह कार्यक्रम शुरुआती दौर में है और परीक्षण किए जा रहे हैं। कंपनी के मुताबिक एक ऐसा रॉकेट विकसित किया जा रहा है जो 120 घनमीटर के कंटेनर में दस टन वजन का सामान ले जा सके। यह रॉकेट बार-बार इस्तेमाल किया जा सकेगा।
 
इस बारे में कंपनी ने अपने आधिकारिक वीचैट अकाउंट पर नोटिस साझा किया है। हालांकि अलीबाबा ने इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं की है।
 
बीजिंग स्थित स्पेस इपोक रीयूजेबल रॉकेट बनाती है। उसने पिछले साल ही युआनशिंग-1 रॉकेट का टेस्ट पूरा किया था, जिसमें यह रॉकेट देश के बाहर जाकर वापस आया था। हालांकि कंपनी ने साफ किया कि रॉकेट से डिलीवरी की सेवा को जल्दी शुरू करना आसान नहीं होगा।
 
संभव है 90 मिनट में यात्रा
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपनी नीतियों में देश के रणनीतिक उद्योगों के विकास पर खासा जोर दिया है। इनमें व्यवसायिक अंतरिक्ष क्षेत्र को खास अहमियत दी गई है। उपग्रहों का निर्माण, रिमोट सेंसिंग और नेविगेशन जैसे क्षेत्रों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
 
पिछले साल चीन ने 17 व्यवसायिक रॉकेट लॉन्च किए थे। इनमें से एक ही विफल हुआ। कुल मिलाकर चीन ने 67 उपग्रह पृथ्वी की कक्षा में भेजे जो एक रिकॉर्ड था। इससे पहले 2022 में 10 व्यवसायिक रॉकेट अंतरिक्ष में भेजे गए थे, जिनमें दो विफल हो गए थे।
 
दुनियाभर में वैज्ञानिक पिछले कुछ समय से रॉकेट को परिवहन के साधन के रूप में इस्तेमाल करने की गुंजाइश तलाश रहे हैं। इलॉन मस्क की कंपनी स्पेस एक्स के दोबारा इस्तेमाल किए जा सकने लायक रॉकेटों की सफलता ने इस गुंजाइश को और संभव बना दिया है।
 
2023 में साइंस डायरेक्ट पत्रिका में प्रकाशित एक शोध में जर्मन वैज्ञानिकों ने कहा था कि दुनियाभर में 90 मिनट से कम समय में यात्रियों और सामान का परिवहन संभव है। अपने शोध में उन्होंने स्पेस एक्स द्वारा विकसित किए जा रहे स्टारशिप रॉकेट की स्पेसलाइनर से तुलना करते हुए अध्ययन किया था।
 
शोध में कहा गया, "सस्ते और पूरी तरह से दोबारा इस्तेमाल किए जा सकने वाले रॉकेट का विकास पृथ्वी पर एक जगह से दूसरी जगह आने-जाने के नए रास्ते खोल सकता है। इसमें धरती पर कहीं भी लोगों और सामान को 90 मिनट से कम समय में पहुंचाया जा सकता है।”
 
अमेरिका में जारी है शोध
अमेरिकी सेना लंबे समय से रॉकेट से सामान लाने-ले जाने की संभावनाओं पर काम कर रही है। 2021 में एक कार्यक्रम में अमेरिकी एयर फोर्स के वैज्ञानिक और रॉकेट कार्गो प्रोग्राम मैनेजर डॉ। ग्रेग स्पान्येर्स ने कहा, "जब से अंतरिक्ष की उड़ान शुरू हुई, तभी से यह विचार चर्चा में रहा है और यह एक बहुत दिलचस्प आइडिया है। हम हर दस साल पर इसके बारे में सोचते हैं लेकिन अब तक यह संभव नहीं हो पाया। लेकिन अब ऐसा लगता है कि तकनीक इतनी विकसित हो गई है कि इस विचार को अमली जामा पहनाना संभव हो सके।”
 
रॉकेट से डिलीवरी का सबसे अहम पहलू यह है कि इससे समय की बहुत बचत हो सकती है। अभी सामान की डिलीवरी में दिनों से हफ्तों और महीनों तक का समय लगता है। मसलन, अगर न्यू यॉर्क से केन्या सामान पहुंचाना हो तो 14 घंटे का समय लगता है जबकि यह काम रॉकेट से एक घंटे में हो सकता है।
 
इसके लिए रॉकेट को 100 किलोमीटर की ऊंचाई पर उड़ाया जा सकता है, जो विभिन्न देशों की वायु सीमाओं से बाहर है। यानी रॉकेट को सिर्फ उतरने के लिए उस देश की इजाजत चाहिए होगी, जहां सामान पहुंचाना है। बाकी समय रॉकेट रास्ते में आने वाले देशों की वायु सीमा से बाहर रहेगा। हालांकि इस कारण प्रति किलोग्राम लागत बहुत ज्यादा बढ़ जाएगी।
विवेक कुमार (रॉयटर्स)
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