चीन इस तकनीक की मदद से पकड़ रहा है कोरोना के मरीज
म्यांमार से सटे चीनी शहर में कोरोना के प्रकोप को खत्म करने के लिए व्यक्तिगत स्वास्थ्य कोड से जुड़ी चेहरे की पहचान तकनीक का प्रयोग शुरू किया गया है। चीन दुनिया के सबसे अधिक सर्वेलांस करने वाले देशों में से एक है, जहां सरकार सभी सार्वजनिक स्थानों को कवर करने के लिए 20 करोड़ से अधिक सीसीटीवी कैमरे लगाने की जल्दी में है।
चीन में कोविड-19 का मुकाबला करने के लिए निगरानी का व्यापक रूप से इस्तेमाल किया गया है, चीन पहला देश है जहां क्यूआर कोड की मदद से टेस्ट परिणाम को लॉग किया गया था और इससे ही कॉन्टैक्ट्स को ट्रैक किया जा सकता है।
यह पहली बार है कि सार्वजनिक रूप से इस बारे में रिपोर्ट किया जा रहा है कि फेशियल रिकॉग्निशन तकनीक का इस्तेमाल किसी व्यक्ति की गतिविधि और स्वास्थ्य की स्थिति को ट्रैक करने के लिए किया जा रहा है। जब लोग आवासीय क्षेत्रों, सुपरमार्केट, परिवहन केंद्रों और अन्य सार्वजनिक स्थानों में दाखिल होते हैं और बाहर निकलते हैं।
शहर में एंट्री पर
चीन के युन्नान प्रांत के रुइली में अधिकारियों ने पत्रकारों को बताया कि जो भी रुइली के अंदर आता है और बाहर जाता है, उसे पार होने के लिए अपना (स्वास्थ्य) कोड और चेहरा स्कैन करना होगा है। मंगलवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक रुइली में पिछले एक सप्ताह में 155 मामले पाए गए, हाल के महीनों में सबसे खराब वायरस के प्रकोप वाले देशों में चीन भी है।
स्थानीय अधिकारियों ने एक बयान में कहा कि चेहरे की पहचान करने वाले कैमरे, स्मार्ट डोर लॉक्स और रोड बैरियर (पुलिस या सामुदायिक स्वयंसेवकों द्वारा संचालित) जैसे सुरक्षा उपकरण प्रमुख इलाकों में लगाए गए हैं। चीन के राष्ट्रीय रेडियो ने बताया कि स्कैनर व्यक्तियों के तापमान की भी जांच कर सकते हैं।
गोपनीयता पर सवाल
इस बात की कोई जानकारी नहीं कि डेटाबेस कितने समय तक रिकॉर्ड में रहेगा या फिर कोरोना के मामले काबू हो जाने के बाद अधिकारी सिस्टम को बंद कर देंगे। इस तकनीक की निगरानी शहर के महामारी निवारण कार्यबल द्वारा की जा रही है। रुइली की आबादी दो लाख 10 हजार से थोड़ी अधिक है। यह म्यांमार को जोड़ने वाला मुख्य शहर है। म्यांमार में एक फरवरी को हुए तख्तापलट के बाद चिंता बढ़ गई है कि लोग हिंसा से बचने के लिए इस शहर की ओर न आ जाएं।
युन्नान प्रांतीय स्वास्थ्य आयोग के मुताबिक पिछले सप्ताह दर्ज किए गए नए मामलों में से लगभग आधे म्यांमार के नागरिक थे, हालांकि यह साफ नहीं है कि उन्होंने शहर में प्रवेश कैसे किया। चीन में जब महामारी चरम पर थी, उस समय प्रमुख शहरों में पुलिस ने चेहरे की पहचान और इन्फ्रारेड कैमरों से लैस हेलमेट पहने जो पैदल चलने वाले लोगों के तापमान को मापते थे।
अधिकार समूहों ने चीन द्वारा हर जगह निगरानी की आलोचना की है और कहा है कि इसका इस्तेमाल अंसतोष को शांत करने और अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने के लिए किया जाता है।
एए/वीके (एएफपी, रॉयटर्स)