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Written By WD Sports Desk
Last Updated : बुधवार, 28 फ़रवरी 2024 (13:07 IST)

12 साल पहले आज ही हुआ था कोहली का उदय, मलिंगा का बनाया था मजीदा (Video)

Virat Kohli
विराट कोहली विराट सिर्फ अंडर 19 में ही था लेकिन सीनियर टीम में वह सिर्फ एक जूनियर खिलाड़ी ही था। आज 12 साल पहले विराट कोहली ने करो या मरो के मैच में एक पारी खेली थी जिससे मालूम चल गया था कि यह खिलाड़ी महान बनने वाला है।  इस पारी से पहले विराट ने  पिछले कुछ मैचों में मैंने गलतियां की थीं और 20-30 रन की अच्छी शुरुआत के बाद अपना विकेट गंवाया था लेकिन इस मैच के बाद उनकी छवि बदल गई।

28 फरवरी 2012 को ऑस्ट्रेलिया के होबार्ट के मैदान पर अपनी बेहतरीन पारी से 'मैन ऑफ द मैच' बने कोहली ने कहा 'करो या मरो' के मुकाबले में 40 ओवर के अंदर 321 के लक्ष्य का पीछा करवा दिया, जिससे भारत की उम्मीदें फाइनल मैच में जाने की रही। हालांकि अगले मैच में जिसमें भारत नहीं था उसमें समीकरण फिट नहीं बैठे और भारत इस त्रिकोणीय श्रृंखला से बाहर हो गया लेकिन विराट कोहली ने अकेल दम पर टीम का काम कर दिया था।
क्या हुआ था उस भारत बनाम श्रीलंका मैच में?

श्रीलंका ने भारत को जीत के लिए 321 रनों का लक्ष्य दिया था, जिसे उसने 36.4 ओवरों में केवल तीन विकेट खोकर हासिल कर लिया था। इस तरह भारतीय टीम के अब भी सीबी सिरीज के फाइनल में खेलने की उम्मीदें कायम रही थी।

भारत की इस ऐतिहासिक जीत के शिल्पकार विराट कोहली रहे थे जिन्होंने सिर्फ 86 गेंदों में 16 चौके और दो छक्कों के साथ नाबाद 133 रन बनाए थे। गौतम गंभीर ने भी अर्धशतकीय पारी खेली थी। सुरेश रैना ने भी 24 गेंदों में 40 रनों की नाबाद पारी खेली थी।

भारतीय बल्लेबाजों ने श्रीलंका के गेंदबाजों का कचूमर बना दिया था। खासकर लसिथ मलिंगा का वो हाल किया था, जिसे वे लंबे समय तक याद रखेंगे। भारतीय बल्लेबाजों ने मलिंगा के 7.4 ओवरों में 12.52 की औसत से 96 रन कूट डाले थे।
इससे पहले श्रीलंका ने अपने अनुभवी बल्लेबाजों के दम पर भारत को जीत के लिए 321 रनों का विशाल लक्ष्य दिया था। श्रीलंका ने निर्धारित 50 ओवरों में चार विकेट के नुकसान पर 320 रन बनाए थे। श्रीलंका के इस भारी भरकम स्कोर में सलामी बल्लेबाज तिलकरत्ने दिलशान (165 गेंदों में नाबाद 160 रन, 11 चौके, तीन छक्के) और कुमार संगकारा (86 गेंदों में 105 रन, सात चौके, दो छक्के) के शतकीय प्रहार शामिल रहे थे।

लेकिन श्रीलंका का यह विशाल स्कोर भी भारतीय बल्लेबाजों खासकर विराट कोहली के हौसले नहीं तोड़ पाया था। कोहली ने अपनी तूफानी पारी के दम पर श्रीलंकाई गेंदबाजों के होश फाख्ता कर दिए थे। उन्होंने मलिंगा द्वारा डाले गए पारी के 35वें ओवर में 24 रन कूट दिए थे।

श्रीलंका के 320 रनों के जवाब में भारत ने तेज शुरुआत की थी। वीरेंद्र सहवाग और सचिन तेंडुलकर की जोड़ी ने 6.2 ओवरों में ही 54 रन जोड़ दिए थे। सहवाग ने केवल 16 गेंदों में पांच चौके और एक छक्के की मदद से 30 रन ठोंक दिए थे और वे फरवीज माहरूफ की गेंद पर दिलशान को कैच दे बैठे थे। सहवाग के आउट होने के तुरंत बाद सचिन भी मलिंगा की गेंद पर पैवेलियन लौट गए थे। उन्होंने अपनी पारी में पांच चौकों की मदद से 39 रन बनाए थे।

86/2 के स्कोर से भारतीय पारी को गौतम गंभीर और विराट कोहली ने संभाला था। दोनों बल्लेबाजों ने भारतीय पारी के रन औसत को गिरने नहीं दिया था और मैच में भारत को कायम रखा था। दोनों बल्लेबाजों ने एक के बाद एक अपने अर्धशतक पूरे किए थे।

गंभीर ने 47 गेंदों में चार चौकों की मदद से अपना अर्धशतक पूरा किया था, जबकि कोहली ने 44 गेंदों पर तीन चौकों की सहायता से अपना अर्धशतक पूरा किया था।

दोनों बल्लेबाज लगातार श्रीलंकाई गेंदबाजों पर दबाव बना रहे थे, लेकिन 28वें ओवर में गंभीर मुश्किल रन लेने के प्रयास में रन आउट हो गए थे और यह साझेदारी टूट गई थी। गंभीर और विराट ने तीसरे विकेट के लिए 18.1 ओवर में 115 रन जोड़े थे। गंभीर ने 64 गेंदों पर चार चौकों की मदद से 63 रन बनाए थे।

इसके बाद कोहली ने सुरेश रैना को साथ लेकर भारतीय पारी को आगे बढ़ाया था। दोनों बल्लेबाजों ने एक बार फिर श्रीलंका की पैस बैटरी पर निशाना साधा था। नुवान कुलशेखरा द्वारा डाले गए पारी के 31वें ओवर में कोहली ने लगातार तीन चौके जमाए थे। रैना ने भी इसी ओवर में एक चौका जड़ा था। इस ओवर में कुल 18 रन बने थे।

विराट कोहली ने एक बार फिर अपनी प्रतिभा ‍दिखाते हुए अपने करियर के 81वें वनडे मैच में नौवां शतक जमाया था। शतक पूरा करने के लिए कोहली ने 76 गेंदों का सामना किया था और 10 चौके और एक छक्का लगाया था। मैन ऑफ द मैच कोहली और रैना ने तीसरे विकेट के लिए केवल 9.1 ओवर में 120 रनों की अविजित साझेदारी निभाई थी।

टॉस हारकर पहले बल्लेबाजी करने उतरी श्रीलंका टीम को उसके टॉप थ्री सीनियर बल्लेबाज कप्तान माहेला जयवर्धने, दिलशान और कुमार संगकारा ने अच्छी शुरुआत दी थी और भारतीय गेंदबाजों को दबाव नहीं बनाने दिया था।

जयवर्धने के आउट हो जाने के बाद दिलशान और संगकारा ने दूसरे विकेट के लिए दो सौ रनों की साझेदारी निभाकर भारतीय गेंदबाजों के हौसले पस्त कर दिए थे। हालांकि दिलशान अपनी चिरपरिचित शैली से अलग नजर आए और उन्होंने विकेट पर टिकने के लिए अधिक धैर्य दिखाया था, जिसका फायदा भी उन्हें मिला था और उन्होंने शतकीय प्रहार किया था। दिलशान ने अपने वनडे करियर का 11वां शतक पूरा किया था। इसके लिए उन्होंने 129 गेंदों का सामना किया था और आठ बार गेंद को सीमा रेखा के पार भेजा था।

संगकारा तो दिलशान से भी अधिक निर्दयी रहे थे और उन्होंने विकेट के चारों तरफ आकर्षक स्ट्रोक लगाए थे। संगकारा ने अपने शतक के लिए केवल 84 गेंदों का सामना किया था और सात चौके और दो छक्के जमाए थे। संगकारा ने प्रवीण कुमार की गेंद पर आउट होने से पहले 86 गेंदों का सामना करके 105 रनों की तेज पारी खेली थी। संगकारा और दिलशान ने दूसरे विकेट के लिए 31.2 में 200 रन जोड़े थे।

श्रीलंका की पूरी पारी के दौरान भारतीय गेंदबाजी प्रभावहीन रही थी। कोई गेंदबाज श्रीलंका के बल्लेबाजों को रोकने में सफल नहीं हो सका और नतीजा यह रहा कि उसने 320 रनों का विशाल स्कोर बनाया था। भारतीय गेंदबाजों में प्रवीण कुमार ने 64 रन देकर एक विकेट लिया था। जहीर खान और रवींद्र जड़ेजा भी 61 और 45 रन देकर एक एक बल्लेबाज को आउट कर पाए थे।
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