टेस्ट क्रिकेट डेब्यू का सपना रणजी ट्रॉफी से पूरा करने उतरेंगे संजू सैमसन
रणजी ट्रॉफी में केरल के लिए खेलेंगे संजू सैमसन
भारतीय क्रिकेट टीम के विकेटकीपर बल्लेबाज संजू सैमसन रणजी ट्राफी के शुक्रवार से शुरु हो रहे दूसरे चरण में केरल की तरफ से खेलेंगे।संजू भारतीय टीम से बुलावा आने तक केरल के लिए रणजी ट्रॉफी मैच खेलते रहेंगे। भारत को न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज के बाद नवंबर में चार मैचों की टी-20 श्रृंखला के लिए दक्षिण अफ्रीका जाना है।
केरल टीम में सचिन बेबी कप्तान बने रहेंगे। केरल का अगला मुकाबला कर्नाटक के खिलाफ अलूर में होगा।संजू सैमसन ने पिछले साल रणजी ट्रॉफी के चार मैच खेले थे। उन्होंने 35.40 की औसत से 57 के उच्चतम स्कोर के साथ 177 रन बनाए थे। इस साल की शुरुआत में हुए दलीप ट्रॉफ़ी के मैचों में भी उन्होंने भाग लिया था।
हाल ही में संजू सैमसन ने एक साक्षात्कार में कहा था कि वह टेस्ट क्रिकेट में भारत का प्रतिनिधित्व करना चाहते हैं। वहीं वह हाल ही में टी-20 क्रिकेट में बांग्लादेश के खिलाफ शतक जमाकर खुद को नजरअंदाज करने वालों को करारा जवाब दे चुके हैं।
मैंने दबाव और असफलताओं से निपटना सीख लिया है: संजू सैमसनभारतीय विकेटकीपर बल्लेबाज संजू सैमसन ने कहा कि उन्होंने शीर्ष स्तर की क्रिकेट में दबाव और असफलताओं के साथ जीना सीख लिया है तथा उन्होंने टीम प्रबंधन का भी आभार व्यक्त किया जिसने उन्हें विषम परिस्थितियों से बाहर निकलने और खुद को साबित करने के लिए एक और मौका दिया।
सैमसन ने अपनी योग्यता के साथ पूरा न्याय करते हुए बांग्लादेश के खिलाफ दशहरा पर टी20 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपना पहला शतक जड़ा लेकिन इससे पहले का उनका सफर अच्छा नहीं रहा था।वह श्रीलंका के खिलाफ दो मैच में खाता भी नहीं खोल पाए थे जबकि बांग्लादेश के खिलाफ शुरुआती दो मैच में भी उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था।
सैमसन ने मैच के बाद संवाददाताओं से कहा था,श्रीलंका के खिलाफ दो मैच में खाता नहीं खोलने के बाद मुझे अगली श्रृंखला में मौका मिलने को लेकर थोड़ा संदेह था। लेकिन उन्होंने (कोचिंग स्टाफ और कप्तान) मुझ पर भरोसा बनाई रखा। वे कहते रहे कि वे समर्थन करना जारी रखेंगे।
इस 29 वर्ष के खिलाड़ी ने स्वीकार किया कि भारत की तरफ से खेलते हुए आप दबाव से मुक्त नहीं हो सकते।उन्होंने कहा,मुझे लगता है कि एक भारतीय क्रिकेटर के रूप में मानसिक रूप से आप बहुत कुछ झेलते हैं, खासकर इस प्रारूप (टी20) में। लेकिन मैंने दबाव और असफलताओं से निपटना सीख लिया है। मुझे लगता है कि इसका काफी श्रेय ड्रेसिंग रूम, नेतृत्व समूह, कप्तान और कोच को जाना चाहिए जिन्होंने मेरा समर्थन करना जारी रखा।