धोनी के बाद रहाणे के रूप में दूसरा कैप्टन कूल मिला टीम इंडिया को
अपने कप्तानी करियर की शुरुआत में ही महेंद्र सिंह धोनी मैदान पर शांत स्वभाव रखते थे जिसके कारण वह बड़े से बड़े फैसले आसानी से ले पाए। चाहे वह टी-20 विश्वकप 2007 फाइनल में जोगिंदर शर्मा को गेंद थमाना, चाहे 2011 वनडे विश्वकप में खुद को प्रमोट करना ,चाहे टी-20 विश्वकप 2016 में बांग्लादेश के खिलाफ ग्लब्स उतार कर रखना जिस से रन आउट आसानी से हो पाए।
धोनी के बाद कप्तानी की कमान कोहली ने संभाली जो धोनी के ठीक उलट थे। किसी भी लम्हें में उनकी भावनाए खुल कर सामने आती थी। मुश्किल क्षणों में वह अपने गेंदबाजों या फील्डरों पर झल्लाते हुए दिखे जबकि खुशी के पलों में वह खुद नाचते हुए भी देखे गए।
ऑस्ट्रेलिया के पहले टेस्ट के बाद वह पितृत्व अवकाश पर चले गए और कप्तानी की कमान मिली अजिंक्य रहाणे को । अजिंक्य रहाणे की कप्तानी में वही धोनी जैसा ठहराव देखने को मिला जैसे पानी एक जगह रुका हुआ हो। बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी में उन्होंने कभी भी अपना आपा नहीं खोया।
ऐसा नहीं था कि रहाणे के सामने परेशानी आयी ही नहीं। जब सिडनी टेस्ट में तीन रन आउट के कारण 224 रनों पर टीम सिमट गई तो पवैलियन में वह अधीर नहीं दिखे। मैदान पर भी कई बार ऑस्ट्रेलिया ने शतकीय साझेदारी की लेकिन अपने गेंदबाजों पर चिल्लाने की बजाय उन्होंने चालाकी से उनका बदलाव किया।
महेंद्र सिंह धोनी के बाद पहली बार टीम इंडिया को एक ऐसा कप्तान देखने को मिला जिसके सिर पर एक अदृश्य बर्फ की सिल्ली रखी हुई है। कुछ हो जाए रहाणे को गुस्सा नहीं आने वाला। इस सीरीज में वह कई बार सस्ते में भी आउट हुए लेकिन कभी अपना बल्ले पैर पर ठोककर अपनी नाराजगी उन्होंने नहीं बताई।
यही नहीं जीत के क्षणों में भी वह एक दम सामान्य व्यवहार कर रहे थे। पंत ने जब चौका लगाया तो सारे खिलाड़ी मैदान की तरफ भाग खड़े हुए पर रहाणे एक हल्की सी मुस्कान लिए इस जीत का मजा ले रहे थे। यह दिखाता है कि धोनी की तरह रहाणे भी एक परिपक्व कप्तान हैं। तभी तो टेस्ट कप्तानी में उनका अभी तक अविजित रिकॉर्ड है।
गौरतलब है कि महेंद्र सिंह धोनी की तरह रहाणे को भी एक मुश्किल परिस्थिती में कप्तानी मिली थी। धोनी को टी-20 की कप्तानी तब मिली थी जब फैंस के मन में वनडे विश्वकप 2007 में मिली करारी हार के जख्म ताजा थे। वहीं रहाणे को 0-1 से पिछड़े होने पर और टेस्ट पारी में 36 ऑल आउट के बाद कप्तानी की जिम्मेदारी मिली। देखना होगा क्या वह धोनी की तरह ही कैप्टन कूल बनकर कप्तानी की लंबी पारी खेलते हैं या उन्हें यह जिम्मेदारी कभी कभार मिलती है। (वेबदुनिया डेस्क)