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Last Modified: रविवार, 30 मई 2021 (14:20 IST)

फिर सस्ता हुआ खाद्य तेल, जानिए क्यों कम हो रहे हैं तेल के दाम...

फिर सस्ता हुआ खाद्य तेल, जानिए क्यों कम हो रहे हैं तेल के दाम... - Why rates of edible oil is decreasing
नई दिल्ली। सरकार द्वारा आठ जून से सरसों में आयातित सस्ते तेल की मिलावट (ब्लेंडिंग) पर रोक लगाने के फैसले तथा भारत में आयात शुल्क कम किए जाने की अफवाहों के झूठा निकलने से विदेशों में खाद्य तेलों के दाम टूट गए। इसकी वजह से दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बीते सप्ताह सभी प्रमुख तेल तिलहनों के भाव नरमी रही।

जानकार सूत्रों ने कहा कि अफवाहों के झूठा साबित होने तथा मिलावट पर रोक लगने की खबर के कारण सीपीओ, चावल भूसी तेल और सोयाबीन डीगम की मांग गंभीर रूप से प्रभावित हुई और इनके भाव टूटते दिखे जिसका असर स्थानीय कारोबार पर भी हुआ और तेल तिलहनों के भाव नरमी दर्शाते बंद हुए।

सीपीओ और सोयाबीन डीगम तेल की मांग प्रभावित होने से घरेलू बाजार में सरसों, सोयाबीन, मूंगफली, बिनौला सहित विभिन्न तेल कीमतों में गिरावट देखी गई।

देश में सोयाबीन के बेहतर दाने की किल्लत की वजह से इसके तेल पेराई संयंत्र बंद हो रहे हैं। बाजार में सोयाबीन की आवक घट रही है और सोयाबीन के दागी माल भी नहीं मिल रहे हैं। महाराष्ट्र के लातूर मंडी में सोयाबीन की जो आवक 7-8 हजार बोरी प्रतिटिन की थी वह अब घटकर 3-4 हजार बोरी प्रतिटिन रह गई है।

इन परिस्थितियों में सोयाबीन दाना और लूज के भाव में तेजी रही लेकिन सोयाबीन डीगम की मांग प्रभावित होने से सोयाबीन के बाकी तेल कीमतें भी लुढ़कते नजर आए।

सोयाबीन दाना और लूज की कीमत में तेजी का एक और कारण मुर्गीदाने के लिए पाल्ट्री उद्योग की ओर से सोयाबीन के तेलरहित खल (डीओसी) की स्थानीय और निर्यात मांग का बढ़ना भी है।

जिस तरह किसानों को सरसों के बेहतर दाम मिल रहे हैं और मिश्रण पर रोक लगाने की तैयारी की जा रही है, उससे सरसों की आगामी पैदावार काफी बढ़ने की संभावना जताई जा सकती है। मिश्रण पर आठ जून से रोक लागू होने की संभावनाओं के बीच आयातित सस्ते तेलों की मांग और दाम घट गए जिससे सरसों दाना, सरसों दादरी, सरसों पक्की और कच्ची घानी के दाम हानि दर्शाते बंद हुए।

देश में तिलहन की घरेलू पैदावार लगभग 75 लाख टन की है जिसमें से आधे हिस्से की आपूर्ति सरसों तेल के माध्यम से होती है। उन्होंने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताहांत में गिरावट के इस आम रुख के बीच बाकी अन्य तेल तिलहनों में भी हानि दर्शाते बंद हुए।

बीते सप्ताह, सरसों दाना का भाव 50 रुपए की हानि दर्शाता 7,300-7,350 रुपए प्रति क्विन्टल रह गया जो भाव उसके पिछले सप्ताहांत 7,350-7,400 रुपए प्रति क्विंटल था। सरसों दादरी तेल का भाव भी 100 रुपए घटकर 14,400 रुपए प्रति क्विन्टल रह गया। सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी टिनों के भाव भी समीक्षाधीन सप्ताहांत में 15-15 रुपए की हानि दर्शाते क्रमश: 2,300-2,350 रुपए और 2,400-2,500 रुपए प्रति टिन पर बंद हुए।

निर्यात मांग घटने और गुजरात की मंडियों में मूंगफली के गर्मी के फसल की आवक बढ़ने से मूंगफली दाना 400 रुपए की गिरावट के साथ 5,770-5,815 रुपए, मूंगफली गुजरात 1,150 रुपए हानि के साथ 14,050 रुपए क्विन्टल तथा मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड का भाव 180 रुपए की गिरावट के साथ 2,275-2,305 रुपए प्रति टिन पर बंद हुआ।

सप्ताह के दौरान अफवाहों के मद्देनजर मांग प्रभावित होने से कच्चा पाम तेल (सीपीओ) का भाव 650 रुपए घटकर 11,650 रुपए प्रति क्विन्टल रह गया। पामोलीन दिल्ली और पामोलीन कांडला तेल के भाव भी समीक्षाधीन सप्ताहांत में क्रमश: 600 रुपए और 750 रुपए की गिरावट के साथ क्रमश: 13,500 रुपए और 12,350 रुपए प्रति क्विंटल पर बंद हुए। (भाषा)
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