Last Modified: मुंबई ,
रविवार, 26 अगस्त 2007 (18:14 IST)
प्याज निर्यात में कमी आएगी
भारत सरकार द्वारा घरेलू बाजार में प्याज की उपलब्धता बढ़ाने के लिए इसके निर्यात को आधिकारिक रूप से बाधित करने के कारण इस वर्ष देश का प्याज निर्यात 12 प्रश तक घट सकता है।
नेशनल एग्रीकल्चरल को-ऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (नैफेड) के उपाध्यक्ष सीबी होलकर के अनुसार भारत द्वारा प्याज के न्यूनतम निर्यात मूल्य में की गई भारी वृद्धि से इसका मूल्य काफी अधिक हो गया है। इससे निर्यात बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। भारत से प्याज का आयात करने वाले देश अब कम भाव पर निर्यात करने वाले देशों की ओर रुख करने लगे हैं।
गत सप्ताह घरेलू बाजार में प्याज की कम आपूर्ति की वजह से इसके थोक भाव बढ़कर आसमान पर जा पहुँचे। इसके बाद सरकार ने तत्काल प्याज का न्यूनतम निर्यात मूल्य 100 डॉलर बढ़ाकर 445 डॉलर प्रति टन कर दिया। इस वर्ष अप्रैल से अभी तक प्याज का न्यूनतम निर्यात मूल्य 8 बार परिवर्तित किया गया है। अकेले अगस्त माह में ही इसमें दो बार वृद्धि हो चुकी है।
भारत से सबसे अधिक प्याज खाड़ी देशों को निर्यात किया जाता है। घरेलू बाजार में प्याज की आपूर्ति बनाए रखने एवं किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य दिलाने के बीच समन्वय बनाने के लिए प्याज का न्यूनतम निर्यात मूल्य तय किया जाता है। सरकार द्वारा अक्टूबर 2004 में प्याज को अत्यावश्यक वस्तुओं की सूची से बाहर किया गया था तथा इसके बाद से सरकार न्यूनतम निर्यात मूल्य के माध्यम से इस पर नियंत्रण रखती है।
गत वर्ष देश से कुल 11.3 लाख टन प्याज का निर्यात किया गया था, जिसके इस वर्ष घटकर 10 लाख टन रह जाने का अनुमान लगाया जा रहा है। हालाँकि प्याज की कीमतें गत वर्ष की तुलना में अधिक रहने से निर्यातकों को अधिक घाटा नहीं उठाना पड़ेगा। राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास संगठन के अनुसार इस वर्ष अप्रैल से जुलाई की अवधि में भारत का प्याज निर्यात एक वर्ष पूर्व की समान अवधि से 28 प्रश घटकर 278065 टन रह गया। हालाँकि इस निर्यात का मूल्य गत वर्ष से 3 प्रश बढ़कर 3.1 अरब रु. रहा।
अगस्त 2006 में भारत की सबसे बड़ी प्याज मंडी महाराष्ट्र के लासलगाँव में प्याज का औसत भाव 3500 रु. प्रति टन था, जो इस माह के औसत भावों की तुलना में एक चौथाई ही है। घरेलू बाजार में प्याज की किल्लत होने एवं इसके भाव बढ़ने के पीछे मुख्यतः गत सीजन में मानसून में विलंब के कारण किसानों द्वारा देर से बोवनी करना एवं वर्षा से महाराष्ट्र की प्याज की फसल को क्षति पहुँचना उत्तरदायी हैं।
व्यापारिक विश्लेषकों के अनुसार नए प्याज की छिटपुट आवक मंडियों में प्रारंभ हो गई है तथा अगले एक पखवाड़े में आवक बढ़ने लगेगी। इससे घरेलू बाजार में प्याज के भाव नीचे आने की संभावना है। साथ ही अच्छे भावों को देखते हुए किसानों द्वारा चालू खरीफ सीजन में प्याज की बोवनी बढ़ाने का भी अनुमान है।