ब्लडप्रेशर में ना करें सेक्स
सेक्स के समय बॉडी के प्रायवेट पार्ट्स को भी ज्यादा रक्त की जरूरत होती है इससे हार्टबीट तथा ब्लडप्रेशर बढ़ जाता है। इस समय ब्लडप्रेशर बढ़कर 150 मिलीमीटर मरकरी तक पहुँच सकता है। यदि पहले से ही ब्लडप्रेशर बढ़ा है तो यह 180 मिलीमीटर मरकरी के स्तर तक पहुँचता है। यदि उच्च रक्तचाप यानी हाई ब्लडप्रेशर के मरीज ब्लडप्रेशर पर प्रभावी नियंत्रण रखे बिना सेक्स करते हैं तो ब्लडप्रेशर खतरनाक स्तर तक बढ़कर एंजाइना,हार्ट अटैक व पेरेलीसिस की संभावना बढ़ा देता है। हृदय से धमनियों में निरंतर ब्लड सर्कूलेशन होता रहता है। ऊतकों, कोशिकाओं को पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए धमनियों में रक्त दबाव होता है। स्वस्थ वयस्क व्यक्ति में हृदय के संकुचन के समय सिस्टोलिक प्रेशर 100 से 140 मिलीमीटर मरकरी और हृदय जब संकुचित नहीं होता, तब डायस्टोलिक प्रेशर 60 से 90 मिलीमीटर मरकरी होता है।ब्लडप्रेशर हमेशा एक जैसा नहीं रहता यह बदलता रहता है। सोते समय कम हो जाता है, जबकि मानसिक तनाव, गुस्सा, चिंता, भोजन के बाद, शारीरिक श्रम, व्यायाम तथा सहवास के समय बढ़ जाता है। आराम करने से पुनः सामान्य स्तर पर आ जाता है। यदि किसी व्यक्ति का ब्लडप्रेशर लगातार सीमा से ज्यादा रहता है तो यह दशा उच्च रक्तचाप यानी हाई ब्लडप्रेशर कहलाती है।हाई ब्लडप्रेशर बहुत ही सामान्य समस्या है। आधुनिक तनावयुक्त जीवनशैली, खानपान तनाव, भागदौड़ में मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। अनुमान है कि वयस्कों में करीब 10-12 प्रतिशत व्यक्ति तो इसी समस्या से ग्रस्त हैं। ऐसे मरीजों में रोग की प्रारंभिक दशा में कोई विशेष समस्याएँ नहीं होती। हाई ब्लडप्रेशर के कारण ज्यादा शक्ति से कार्य करना पड़ता है, इस कारण हृदय का आकार बढ़ जाता है। इसी वजह से हार्ट फेल्योर, एंजाइनर, हार्टअटैक आदि की संभावना बढ़ जाती है। हाई ब्लडप्रेशर के कारण शरीर के अनेक अंग जैसे गुर्दे, आँखें, क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। पक्षाघात होने की संभावना हो सकती है। मरीजों में यदि रक्तचाप पर प्रभावी नियंत्रण नहीं किया गया तो अनेक यौन समस्याएँ भी हो सकती हैं।सेक्स के समय शरीर में कैलोरी की जरूरत बढ़ जाती है। इस जरूरत को पूरा करने के लिए हृदय गति धीरे-धीरे 70-80 से बढ़कर 100-120 प्रति मिनट हो जाती है, जो चरमोत्कर्ष के समय 130-160 प्रति मिनट तक पहुँच जाती है। सेक्स की समाप्ति के बाद धीरे-धीरे सामान्य हो जाती है। हाई ब्लडप्रेशर के मरीजों को पति-पत्नी के अतिरिक्त अन्य से सेक्स रिलेशन नहीं बनाने चाहिए। ऐसा करने पर उत्तेजना और तनाव से ब्लडप्रेशर खतरनाक स्तर तक बढ़ सकता है। मरीज, रोग का निदान होने पर भी चिंतित व तनावग्रस्त रहते हैं, जिस कारण सेक्स पावर भी प्रभावित होती है। उच्च रक्तचाप के मरीज कामक्रीड़ा के समय शीघ्र थक जाते हैं। साँस भी फूलने लगती है, गंभीर रूप से हार्ट फेलेयर हो सकता है, एंजाइना व हार्ट अटैक भी हो सकता है।हाई ब्लडप्रेशर का प्रमुख कारण दीर्घकालीन मानसिक तनाव होता है, जिस के कारण यौन संबंधों से अरुचि, शीघ्रपतन या नपुंसकता की समस्या हो सकती है। साथ ही हाई ब्लडप्रेशर के अनेक मरीज रोग का पता लगाने पर भी चिंतित होकर तनावग्रस्त रहते हैं, जिस कारण सेक्स पावर प्रभावित होती है।यदि आप उच्च रक्तचाप के मरीज हैं तो अपनी आदतें बदलें, भोजन में परहेज करें। जीवन सुव्यवस्थित करें, तनावमुक्त रहें। दुर्व्यसनों को त्यागें। उच्च रक्तचाप पर नियंत्रण रखें। यदि रक्तचाप ज्यादा है तो यौन संबंधों से बचें जब तक कि यह सामान्य न हो जाए। आप उच्च रक्तचाप की दवाओं का सेवन करते हैं और यौन क्षमता में कमी हो जाती है तो दवाएँ लेना बंद न करें। चिकित्सक को समस्या बताएँ। वह दवा की मात्रा घटा देगा या दवाएँ बदल देगा, जिससे यौन समस्याओं से बचाव हो सकेगा।उच्च रक्तचाप मे मरीज जिन्हें मदिरा, तंबाकू, सिगरेट आदि की लत है को इन चीजों का त्यागकर संतुलित भोजन करना चाहिए जिस में वसा और कैलोरी की मात्रा नियंत्रित हो। नमक इस्तेमाल न करें। यदि वजन ज्यादा है तो वजन कम करें। नियमित व्यायाम करें और तनावमुक्त हलके उच्च रक्तचाप पर नियंत्रण किया जा सकता है पर उच्च रक्तचाप के अनेक मरीजों को रोग पर नियंत्रण के लिए दवाओं का सेवन करना पड़ता है।उच्च रक्तचाप की अनेक औषधियाँ मरीजों की यौन क्षमता को प्रभावित करती हैं। इसके उपचार के लिए प्रयुक्त इंड्राल (प्रोपेनानाल), मिथाइल डोपर (एंडोमेंट) तथा मूत्र की मात्रा बढ़ाने की औषधियाँ हैं, जो यौन क्षमता घटाती हैं जबकि कुछ दवाएँ जैसे काप्टोप्रिल यौन क्षमता प्रभावित नहीं करतीं।