रोमांचक कहानी : हम जासूसी नहीं करेंगे
रोहन और हेमा ने स्कूल से आकर जैसे ही घर में प्रवेश किया कि बाहर के आंगन में एक चटाई पर दादाजी बैठे दिखे। उन्हें किसी काम में तल्लीन देखकर दोनों ठिठककर वहीं रुक गए। हेमा ने कुछ कहना चाहा तो रोहन ने होठों पर अंगुली रखकर चुप रहने का इशारा किया। दोनों आंगन में रखी कार के पीछे छुप कर यह जानने का प्रयास करने लगे कि चटाई पर बैठे दादाजी आखिर क्या कर रहे हैं? उन्होंने ध्यान से देखा कि दादाजी ने डस्टबीन का कचरा एक अखबार के ऊपर पलट रखा है और उस कचरे में से कुछ सामान बीन-बीन कर वे एक स्टील की प्लेट में रखते जा रहे हैं। डस्टबीन वहीं बगल में लुढ़की पड़ी है। हेमा ने धीरे से पूछा कि दादाजी यह क्या कर रहे हैं।
'
दादाजी शायद कचरे में से ऑलपीन बीन रहे हैं। रोहन धीरे से बोला।' स्टील की प्लेट में ऑलपीन गिरने से हल्की-सी खन्न की आवाज आ रही थी। फिर बच्चों ने देखा कि दादाजी पुरानी कापियों के फटे पन्ने भी उठाकर उनकी तह ठीक करके एक के ऊपर रखते जा रहे हैं।हेमा ने दा…….. दादाजी को टोकना चाहा किंतु रोहन ने फिर उसे रोक दिया। 'आज हम छुप कर देखेंगे कि आखिर दादाजी इन ऑलपीनों और पुराने पेजों का क्या करने वाले हैं।' रोहन ने देखा कि दादाजी डस्टबीन के उस कचरे में से स्टेपलर पिन के बचे हुए टुकड़े भी प्लेट में रख रहॆ है।दोनों बच्चे धीरे से कमरे के भीतर आ गए, जैसे उन्होंने कुछ भी नहीं देखा हो। उन्होंने ठान लिया था कि आज दादाजी की जासूसी करके ही रहेंगे।