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प्रेरक कहानी: दोस्त कौन? दुश्मन कौन?
मंगलवार,जनवरी 19, 2021
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चाणक्य बदले की आग से इतना भर चुके थे कि उनका विवेक भी कई बार ठीक से काम नहीं करता था। चंद्रगुप्त ने लगभग पांच हजार घोड़ों की छोटी-सी सेना बना ली थी।
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लाल पतंग घमंड से भरी झगड़ालू किस्म की थी। एक दिन आसमान में कुछ पक्षी भी उड़ रहे थे। उन्होंने अपने बीच लाल पतंग को उड़ते देखा तो दोस्ती करने उसके पास आ गए।
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आज मकर संक्रांति का त्योहार है। इस दिन पतंग उड़ाना शुभ माना जाता है। गुरुजी की बात सुनकर शिष्य खुश हो गया। दोनों आश्रम के बाहर मैदान में आकर पतंग उड़ाने लगे। उनके साथ दो अन्य शिष्य भी
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गेट खोलकर कार बाहर निकालते-निकालते प्रभात की नजर बाईं तरफ बने कमरे की ओर चली गईं, जहां पापा दरवाजे के पास ही रखे सोफे पर अखबार या कोई मैगजीन पढ़ते रहते थे।
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'तुम कहां से आए हो?' इस पर समुद्र से आया मेंढक बोला- मैं समुद्र से आया हूं। समुद्र! भला वह कितना बड़ा है? क्या वह भी इतना ही बड़ा है, जितना मेरा यह कुआं?
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एक आदमी था, जो हमेशा अपने संगठन में सक्रिय रहता था, उसको सभी जानते थे,बड़ा मान सम्मान मिलता था। अचानक किसी कारणवश वह निष्क्रीय रहने लगा, मिलना-जुलना बंद कर दिया और संगठन से दूर हो गया।
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हिन्दू परिवारों में बच्चों को उनके बचपन से ही भगवान के पूजन और उनके रूप का ज्ञान दिया जाने लगता है। घर में दादी-नानी की कहानियां और धार्मिक कर्मकांडों की
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केशवदत्त की पत्नी अंजलि घर में मंगलवार का व्रत करने लगी। एक दिन किसी कारणवश अंजलि हनुमानजी को भोग नहीं लगा सकी और उस दिन वह भूखी ही सो गई।
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यह स्टोरी हमें सोशल मीडिया से प्राप्त हुई है। बहुत की प्रेरक है जो निश्चित ही इसे सभी के साथ सांझा किया जाना चाहिए। पता नहीं यह किसने लिखी है जिसने भी लिखी है अच्छी लिखी है। आओ जानते हैं एक दो उल्लू, एक सांप और एक चूहे की कहानी।
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यह कहानी हमने कई बार सुनी होगी। ओशो रजनीश ने भी अपने किसी प्रवचन में इस कहानी को सुनाया था। यह कहानी किसने लिखी है यह तो हम नहीं जानते परंतु यह बहुत ही प्रचलित कहानी है। इस कहानी से आपको प्रेरणा मिलेगी की जीवन में सफलता अर्जित करने के लिए सबसे बड़ी ...
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बहुत से लोग संकट काल से निकलकर अमीर बनना चाहते हैं और अपनी लाइफ को अच्छे से जीना चाहते हैं। ऐसे में सबसे महत्वपूर्ण तो रुपया ही माना जाता है जो आपके जीवन की अधिकतर समस्याएं समाप्त कर देता है। यह कहानी उन्हीं लोगों के लिए हैं जो दुखी, गरीब या संघर्ष ...
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एक बार एक बच्चे ने ऑटोग्राफ पुस्तिका नेहरूजी के सामने रखते हुए कहा- साइन कर दीजिए। बच्चे ने ऑटोग्राफ देखे, देखकर नेहरूजी से कहा- आपने तारीख तो लिखी ही नहीं!
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दीपावली के दिन गांव के सभी बच्चे दीवाल फोड़िया पटाखों के साथ उधम मचाते हुए गांव के कई चक्कर लगाते थे। बाजार से दादी हम लोगों के लिए खोवा की मिठाई और जलेबी
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भोला का गांव शहर से लगा हुआ है। 1 किलोमीटर के लगभग चले भी नहीं कि शहर का क्षेत्र आरंभ हो जाता है। उसके बाद इतना ही चलने पर भोला का स्कूल आ जाता है।
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कृष्ण काल में नंदा नाम की एक गाय थी। चारा चरते हुए झुंड से बिछड़ गई और वहां पहुंच गई जहां एक बाघ बैठा था। बाघ गरजते हुए नंदा पर टूट पड़ा। नंदा की सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई। उसे अपना नन्हा बछड़ा याद आने लगा। उसके आंसुओं की धारा बह निकली।
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दोनों खुशी से फूले नहीं समां रहे थे। घर के लोग उन्हें घेर कर बैठे थे। 'अब तो भैया इंजीनियर बन के ही आएंगे, ये गए और वो वापस आएं, जाने भर की देर है, इंटरव्यू में सिलेक्शन पक्का ही समझो।
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एक बार एक पंडित जी ने एक दुकानदार के पास पांच सौ रुपए रख दिए। उन्होंने सोचा कि जब मेरी बेटी की शादी होगी तो मैं ये पैसा ले लूंगा।
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मित्रता पर कहानी- चंपक मेरा सबसे प्रिय मित्र है। उसका घर मेरे पास ही है। मैं प्रतिदिन उसके घर जाता हूं और उसके साथ खेलता और पढ़ता हूं। उसके पिताजी पेशे से डॉक्टर हैं।
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फादर्स डे भले ही वर्तमान में अस्तित्व में आया हो, लेकिन पिता और संतान का संबंध और उसके विभिन्न स्वरूपों का वर्णन हमारे शास्त्रों में सदियों से निहित है।
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