पीएम मोदी की रैलियों में जय बजरंगबली के नारे, कांग्रेस ने चुनाव आयोग से की शिकायत
Karnataka elections news : कर्नाटक चुनाव में बजरंगबली (bajrang bali) पर सियासत गरमा गई है। एक ओर कांग्रेस ने चुनाव जीतने पर बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है तो दूसरी तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी रैलियों जय बजरंगबली के नारे लगा रहे हैं। इस बीच कांग्रेस ने कर्नाटक में चुनावी रैलियों के दौरान भगवान हनुमान के नाम का इस्तेमाल करने को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ मुख्य निर्वाचन अधिकारी से शिकायत की।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी दक्षिणपंथी संगठन बजरंग दल पर पाबंदी लगाने के कांग्रेस के वादे को लेकर 2 मई से ही उस पर निशाना साध रहे हैं और इस कदम की तुलना बजरंगबली को ताले में बंद करने से कर रहे हैं। मोदी ने कर्नाटक में बुधवार को अपने तीनों भाषणों में जय बजरंगबली का नारा भी लगाया था।
कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग से कहा कि परामर्श के अनुरूप, उसे रैलियों में मोदी द्वारा हिन्दू देवी-देवताओं का नाम लिए जाने पर रोक लगानी चाहिए। कांग्रेस ने यह भी जानना चाहा कि गोवा में भाजपा के तत्कालीन मुख्यमंत्री दिवंगत मनोहर पर्रिकर द्वारा श्रीराम सेना पर पाबंदी लगाया जाना क्या भगवान राम का अपमान था या भाजपा द्वारा शिवसेना को धोखा दिया जाना क्या भगवान शिव का अपमान है?
पार्टी ने अपनी शिकायत में कहा कि प्रधानमंत्री ने रैलियों में अपने संबोधन में कांग्रेस पार्टी की कटु आलोचना की है और भगवान हनुमान एवं जय बजरंगबली के नारे लगाकर उसने कांग्रेस को हिन्दू-विरोधी पार्टी बताने का प्रयास किया है। ऐसा करने का उनका एकमात्र लक्ष्य भाजपा के लिए वोट जुटाना और लोगों से कांग्रेस को वोट नहीं देने को कहना था।
कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग से अनुरोध किया है कि वह एक आदेश पारित करके माननीय प्रधानमंत्री महोदय को धर्म के नाम पर वोटों का ध्रुवीकरण करने के लिए चुनावी रैलियों या भाषणों में हिन्दू देवी-देवताओं का नाम लेने से बचने का निर्देश दे।
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने आरोप लगाया कि भाजपा सिर्फ वोट पाने के लिए भगवान हनुमान के नाम का इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा का कहना है कि किसी भी भगवान का जन्मस्थल आस्था से जुड़ा विषय है। अगर ऐसी बात है तो आप उसका उपयोग वोट पाने के लिए क्यों करते हैं? फिर वे देवी-देवताओं के अस्तित्व को क्यों नकार रहे हैं? क्या उन्हें सिर्फ चुनावों के दौरान देवी-देवताओं की जरूरत है?