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Written By Author सुरेश एस डुग्गर
Last Updated :जम्मू , शुक्रवार, 16 जून 2023 (15:29 IST)

Amarnaath Yatra: अमरनाथ यात्रा के लिए ढाई लाख से ज्यादा ने करवाया पंजीकरण, हेलीकॉप्टर बुकिंग भी चालू हुई

Amarnaath Yatra: अमरनाथ यात्रा के लिए ढाई लाख से ज्यादा ने करवाया पंजीकरण, हेलीकॉप्टर बुकिंग भी चालू हुई - More than two and a half lakh people got registered for Amarnath Yatra
Amarnaath Yatra: इस साल की अमरनाथ यात्रा के लिए हेलीकॉप्टर की ऑनलाइन बुकिंग सेवा शुरू हो गई है। यह सेवा श्रीनगर, बालटाल और पहलगाम से मिलेगी। इस सेवा के शुरू होने से बुजुर्ग लोगों को विशेष तौर पर राहत मिलेगी। इसके अलावा जिनके पास समय कम है, वे भी इसका लाभ उठा सकते हैं। हालांकि इस बार देरी से ऑनलाइन हेलीकॉप्टर बुकिंग सेवा शुरू हो रही है।
 
इस बीच ढाई लाख से अधिक श्रद्धालु अपना पंजीकरण करवा चुके हैं और श्राइन बोर्ड ने करंट पंजीकरण के लिए कई काउंटर खोलने की भी घोषणा की है। इस बार राहत की बात यह है कि अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने हेलीकॉप्टर टिकट की दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं की है और पिछले साल की दरों पर ही टिकट मिलेगी। बोर्ड से जुड़े सूत्रों के अनुसार अब तक ढाई लाख से अधिक श्रद्धालु अग्रिम पंजीकरण करवा चुके हैं। हेलीकॉप्टर की बुकिंग मान्यता प्राप्त एजेंटों और अमरनाथ श्राइन बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट से होगी।
 
अमरनाथ की वार्षिक यात्रा 30 जून से शुरू हो रही है। पंजीकरण की प्रक्रिया यात्रा के अंत तक जारी रहेगी। अमरनाथ यात्रा के लिए श्रद्धालुओं का पहला जत्था, जिसमें साधु भी शामिल होंगे, यात्री निवास भगवती नगर जम्मू और राम मंदिर जम्मू से 29 जून को रवाना होगा। यात्रा के दौरान हेलीकॉप्टर सेवा को छोड़कर दोनों यात्रा मार्ग से रोजाना 15-15 हजार श्रद्धालुओं को रवाना किया जाएगा। इसमें 13 वर्ष से कम और 75 वर्ष से अधिक आयु वाले श्रद्धालुओं को यात्रा पर जाने की अनुमति नहीं है।
 
अनुच्छेद 370 समाप्त करने से पहले यात्रा को रोक दिया गया था। इस बार अमरनाथ की यात्रा में रिकॉर्डतोड़ श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है। यही वजह है कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए सरकार की ओर से प्रदेश के प्रवेश द्वार लखनपुर से लेकर बालटाल और पहलगाम और फिर पवित्र गुफा तक सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए हैं। इस बार भी ड्रोन और आरएफआईडी यानी रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन डिवाइस से श्रद्धालु सुरक्षा एजेंसियों की आंख से पलभर के लिए भी ओझल नहीं हो सकेंगे।
 
प्रशासन करंट पंजीकरण के सहारे इस बार 8 से 10 लाख श्रद्धालुओं को यात्रा में शामिल होने का न्योता देते हुए इस बार की अमरनाथ यात्रा को जम्मू-कश्मीर के इतिहास की सबसे बड़ी यात्रा बनाने में जुटा हुआ है। अमरनाथ यात्रा श्राइन बोर्ड के अधिकारियों ने माना था कि इतनी संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए व्यापक स्तर पर प्रबंध भी आवश्यक है। यही कारण था शिवभक्तों के प्रदेश में आने से पहले ही प्रशासन शिवमय हो चुका था। ऐसा इसलिए था, क्योंकि सरकार के अधिकतर विभाग और कर्मचारी व अधिकारी अपने कामों को छोड़कर अमरनाथ यात्रा और उसमें शामिल होने के लिए आने वालों के लिए प्रबंधों में जुटे हुए थे।
 
प्रदेश के प्रवेश द्वार लखनपुर से लेकर अमरनाथ गुफा तक दोनों मार्गों के अतिरिक्त अब श्रीनगर से गुफा तक की हेलीकॉप्टर की सीधी उड़ान को कामयाब बनाने की खातिर प्रशासन ने पूरी ताकत और पूरा अमला झोंक दिया है। टेंटों की बस्तियों के साथ साथ श्रद्धालुओं के ठहरने की व्यवस्थाएं अंतिम चरण में हैं, क्योंकि यात्रा का पहला आधिकारिक जत्था इस महीने की 30 तारीख को जम्मू से रवाना होना है।
 
इतिहास की सबसे बड़ी यात्रा बनाने की कवायद में सबसे ज्यादा चिंता इसकी सुरक्षा की भी है। सुरक्षाधिकारी दबे स्वर में आप मानते हैं कि अमरनाथ यात्रा पर ड्रोन के साथ साथ स्टिकी बमों का खतरा बरकरार है तो हाइब्रिड आतंकी भी इसमें तड़का लगा सकते हैं जिनके बड़ी संख्या में दक्षिण कश्मीर के उन जिलों में पहुंचने की खबरें हैं, जहां यह यात्रा संपन्न होनी है।
 
अमरनाथ यात्रा की तैयारियों के साथ ही उस पार से घुसपैठ के प्रयास तेज हुए : अमरनाथ यात्रा की उल्टी गिनती के साथ ही एलओसी और इंटरनेशनल बॉर्डर पर घुसपैठ के प्रयासों में आई तेजी के बाद अधिकारी चिंता प्रकट करने लगे हैं कि घुसपैठियों का निशाना अमरनाथ यात्रा हो सकती है।
 
हालांकि एक अधिकारी के बकौल, गर्मियों में बर्फ के पिघलने के साथ ही एलओसी पर घुसपैठ के प्रयासों में तेजी आने का क्रम कई साल पुराना है। पाकिस्तान से सटी जम्मू-कश्मीर की 814 किमी लंबी एलओसी और 264 किमी लंबी इंटरनेशनल बॉर्डर पर घुसपैठ के प्रयासों में बिजली-सी तेजी आ गई है। बढ़ते घुसपैठ के प्रयासों ने रक्षाधिकारियों को चिंता में डाल दिया है। आज भी एलओसी पर 5 घुसपैठियों को ढेर कर दिया गया।
 
इस साल 16 जून तक ऐसे 15 घुसपैठियों को 'ऊपर' का रास्ता दिखाया गया है। इस साल प्रथम जनवरी से लेकर आज तक मारे गए घुसपैठियों में से सिर्फ 2 ही इंटरनेशनल बॉर्डर पर मारे गए तो एलओसी पर मरने वाले 13 घुसपैठियों में 1 महिला भी थी। फिलहाल आज तक उसकी पहचान नहीं हो पाई है।
 
मई महीने में सबसे अधिक घुसपैठ के प्रयास हुए हैं। 5 ऐसे प्रयासों को नाकाम बनाते हुए 4 को तो मार गिराया गया जबकि 4 को पकड़ लिया गया। इनमें आतंकी भी थे और नशीले पदार्थों के तस्कर भी। फिलहाल यह पता नहीं चल पाया है कि 16 मई को बारामुल्ला के कमालकोट में मारी जाने वाली महिला घुसपैठिया आतंकी थी या फिर तस्कर?
 
पिछले महीने भी 3 प्रयासों में 8 घुसपैठिए तारे गए हैं। हालांकि शंका यह भी है कि उस पार से भटककर इस ओर आने वाली भी हो सकती है, क्योंकि अक्सर पाक कब्जे वाले कश्मीर के लोग सुनहरे सपनों को लेकर इस कश्मीर या फिर माया नगरी मुंबई तक जाने के लिए भारत में प्रवेश करने के लिए एलओसी को सबसे आसान रास्ता मानते हैं।
 
अतीत में ऐसी अनेक घटनाएं हो चुकी हैं। दरअसल, 24 अप्रैल को भी ऐसा ही हुआ था, जब एक बाप अपने बेटे को एलओसी पार करने के जुर्म में पकड़ा गया था। वे सुनहरे सपने लेकर इस ओर आ गए थे। बाद में उन्हें पाक सैनिकों के हवाले कर दिया गया था। 
 
Edited by: Ravindra Gupta
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