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Written By Author सुरेश एस डुग्गर
Last Updated :जम्मू , शुक्रवार, 20 अक्टूबर 2023 (17:17 IST)

LAC: दगाबाज चीन का भरोसा नहीं, शून्य से नीचे तापमान में भी डटे रहेंगे भारतीय सैनिक

LAC: दगाबाज चीन का भरोसा नहीं, शून्य से नीचे तापमान में भी डटे रहेंगे भारतीय सैनिक - Indian soldiers will remain firm on LAC
LAC: रक्षाधिकारियों (defense officials) के मुताबिक चीन पर भरोसा करना खुद को धोखा देने जैसा है। दरअसल, उसकी कथनी-करनी में कोई मेल नहीं है। सीमा (border) पर बने तनावपूर्ण हालात में कमी लाने की बात तो वह करता है लेकिन सीमा पर उसकी गतिविधियां संदेह प्रकट करती हैं। भारतीय सेना (Indian Army) शून्य से नीचे तापमान में भी एलएसी (LAC) पर डटी रहेगी।
 
पूर्वी लद्दाख सहित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव कम करने के लिए हालांकि अब 20 दौर की बातचीत दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच हो चुकी है, पर पिछली बातचीत में हुए मौखिक समझौते को तोड़ते हुए उसने तनाव बढ़ाने वाली कार्रवाइयां आरंभ कर दी हैं।
 
चीन ने भेजीं सैन्य टुकड़ियां : जानकारी के मुताबिक चीन ने पैंगांग झील के उत्तरी हिस्से में अपनी नई सैन्य टुकड़ियां भेजना शुरू कर दिया है। जाहिर है कि पीएलए की यह गतिविधि दर्शाती है कि उसकी मंशा इस इलाके में फिलहाल पीछे हटने की नहीं है। हालांकि इसकी भारत की ओर से आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।
 
भारत का भी मानना है कि सीमा पर सैनिकों की वापसी की पहल एक लंबी प्रक्रिया से गुजरेगी। सेना का मानना है कि भारत यदि अपने सैनिकों को पीछे हटाता है तो उन जगहों पर पीएलए के सैनिक आ जाएंगे इसलिए भारत अपने नियंत्रण वाले ऊंचाइयों को छोड़ने के पक्ष में नहीं है। चीन सीमा पर भयंकर सर्दी पड़ने लगी है। पारा 0 से 15 डिग्री नीचे तक चला गया है। पर खराब मौसम में लगातार चौथे साल बने रहने की भारत ने अपनी तैयारी पूरी कर ली है। चीन के सैनिकों के लिए इतनी ऊंचाई और सर्दी में रहने की आदत नहीं है।
 
20वें दौर की वार्ता बेनतीजा : वैसे हिन्द-चीन की सेनाओं के बीच 20वें दौर की वार्ता के बेनतीजा रहने के उपरांत से भारत इसके प्रति उम्मीद छोड़ दी थी कि चीनी सैनिक लद्दाख के विवादित क्षेत्रों से पूरी तरह से पीछे हटेंगे। ऐसे में अब एलएसी पर लंबे समय तक टिके रहने और भयानक सर्दी से बचाव की योजनाएं लागू की जाने लगी हैं।
 
चीन की सेना ने तोड़े समझौते : रक्षा सूत्रों के बकौल दरअसल चीनी सैनिकों की वापसी का मामला 2 बिंदुओं पर ही अटका हुआ है। पहला, पहल कौन करे? इस पर वार्ता में शामिल भारतीय सेनाधिकारियों का कहना था कि समझौते चीन की सेना ने तोड़े हैं तो पहल भी उसे ही करनी होगी। दूसरा सबसे बड़ा मुद्दा जिस पर सहमति नहीं बन पाई कि इस बात की आखिर क्या गारंटी है कि चीनी सेना पुन: लद्दाख के इलाकों में घुसपैठ कर विवाद खड़ा नहीं करेगी? यह भारतीय सेना के अधिकारियों की चिंता का विषय इसलिए भी है, क्योंकि पिछले कई सालों से यही हो रहा है कि चीन भी अब पाकिस्तान की ही तरह समझौतों की लाज नहीं रख रहा है।
 
चीन की धोखे वाली रणनीति : यह भी सच है कि लद्दाख में चीन अब धोखे वाली रणनीति अपनाते हुए जो चाल चल रहा है, वह खतरनाक कही जा सकती है। इससे अब भारतीय सेना अनभिज्ञ नहीं है। यही कारण है कि उसने अब पैंगांग झील के सभी फिंगरों के अतिरिक्त 8 अन्य विवादित क्षेत्रों पर भी अतिरिक्त सैनिक भिजवाने की पहल आरंभ कर दी है।
 
भारतीय और चीनी सेना आमने-सामने : रक्षाधिकारी मानते हैं कि भारतीय और चीनी सेना लद्दाख के कई इलाकों में अभी भी आमने-सामने है और तनाव की स्थिति बनी हुई है लेकिन सबसे ज्यादा तनाव पैंगांग झील इलाके में है। अब कुछ रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि हो सकता है कि चीन, भारतीय सेना को पैंगांग झील में उलझाकर रखना चाहता है और उसकी असल नजर लद्दाख के देपसांग इलाके पर है।
 
Edited by: Ravindra Gupta