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Written By BBC Hindi
Last Updated : गुरुवार, 5 अक्टूबर 2023 (17:07 IST)

चीन की 'ग्रे ज़ोन' रणनीति क्या है, जो हमले से पहले आज़माता है?

चीन की 'ग्रे ज़ोन' रणनीति क्या है, जो हमले से पहले आज़माता है? - What is China's 'grey zone' strategy?
-जोएल गुनिटो (बीबीसी न्यूज़)
 
जब ताइवान ने पिछले महीने रिकॉर्ड संख्या में चीनी लड़ाकू विमानों के चीन और ताइवान के बीच की अनौपचारिक सीमा को पार करने पर चिंता जताई थी तो चीन ने कहा कि ऐसी कोई भी रेखा दोनों के बीच है ही नहीं। 103 चीनी लड़ाकू विमान ताइवान के क़रीब उड़ाए गए और उनमें से 40 तो उसके एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन ज़ोन के भीतर घुस गए थे। ये ताइवान की ओर चीन के अक्रामक रुख़ का नया तरीक़ा था।
 
चीन लंबे समय से ताइवान पर अपना दावा करता रहा है। उसने पिछले साल कई बार ताइवान के ऊपर लड़ाकू जहाज उड़ा चुका है या इस द्वीप के पास नौसेना के जहाजों को ले जाता रहा है। ये सैन्य ड्रिल तब से और बढ़ गई है, जब से ताइवान को चीन में दोबारा शामिल करने की कवायद तेज़ हुई है।
 
अब तक जो चीन कर रहा है, वो सीधे ताइवान पर आक्रमण नहीं है लेकिन वो ये सब कुछ ग्रे ज़ोन में करता है। ये चीन की सेना का एक पैंतरा है जिससे वो सीधे युद्ध तो नहीं करती लेकिन ये शक्ति प्रदर्शन करती है। ग्रे ज़ोन का मतलब है कि कोई देश सीधा हमला नहीं करता है लेकिन इस तरह का डर हमेशा बनाए रखता है। सीधे सैन्य कार्रवाई की जगह, ऐसी कई चीज़ें होती रहती हैं जिनसे हमले का डर बना रहता है। ताइवान के साथ चीन यही कर रहा है।
 
ताइवान अमेरिका-चीन संबंधों में तनाव का एक बड़ा कारण गया है। विश्लेषकों का कहना है कि ग्रे ज़ोन की रणनीति एक भी गोली चलाए बिना ताइवान को नियंत्रित करने की चीन की रणनीति का हिस्सा है।
 
चीन हासिल क्या करना चाहता है?
 
जानकारों का कहना है कि ग्रे ज़ोन युद्ध रणनीति दरअसल, एक तरीक़ा है जिससे लंबी अवधि में धीरे-धीरे प्रतिद्वंद्वी को कमज़ोर कर दिया जाता है और चीन ताइवान के साथ ठीक यही करने की कोशिश कर रहा है। लंदन के किंग्स कॉलेज में पूर्वी एशिया में युद्ध और रणनीति के प्रोफ़ेसर एलेसियो पटलानो कहते हैं कि ताइवान के एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन ज़ोन को नियमित रूप से पार करके चीन ये टेस्ट कर रहा है कि ताइवान इसे रोकने के लिए किस हद तक जा सकता है?
 
एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन ज़ोन स्व-घोषित है और तकनीकी रूप से अंतरराष्ट्रीय हवाई क्षेत्र माना जाता है। चीन से आ रहे लड़ाकू विमानों को देखते हुए ताइवाा में भी अपने एयर डिफ़ेंस ज़ोन में विमान तैनात किए हैं लेकिन प्रोफ़ेसर एलेसियो पटलानो मानते हैं कि ये ताइवान के लिए दीर्घकालीन उपाय नहीं हो सकता।
 
जानकार ये भी मानते हैं कि ये ड्रिल चीन के लिए ताइवान को कमज़ोर करने के साथ-साथ चीन के लिए उसकी ख़ुद की शक्ति को जांचने मौक़ा है। जैसे चीन सेनाओं के समन्वय और सर्विलांस जैसी अपनी क्षमताओं का परीक्षण करना। इसके अलावा चीन ताइवान पर अपनी सेना के ज़रिए बढ़ते दबाव को नॉर्मल करने की कोशिश कर रहा है और ये भी समझने की कोशिश कर रहा है कि आख़िर ताइपे को कितना अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिलेगा।
 
अमेरिका स्थित नेशनल ब्यूरो ऑफ़ एशियन रिसर्च के डेविड गिटर कहते हैं, 'पहले सेना की गतिविधि का सामान्यीकरण किया जाएगा और फिर इसकी आड़ में एक दिन वास्तविक हमले की पहली चाल चली जा सकती है। इससे ये होगा कि ताइवान और उसका बड़ा समर्थक अमेरिका इसके लिए पूरी तरह तैयार नहीं होंगे।
 
चीन ने ताइवान के उस दावे को भी कड़ाई के नकारना शुरू कर दिया है कि ताइवान स्ट्रेट में चीन और ताइवान के बीच एक सीमा है। सितंबर में चीन के ड्रिल पर ताइवान की प्रतिक्रिया के बारे में पूछे जाने पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने हाल ही में कहा कि ताइवान स्ट्रेट में 'कोई सीमा नहीं है।
 
कई विश्लेषक ये मानते हैं कि ताइवान की छोटी सेना, नौसेना और पुरानी तोपें का चीन की ताक़तवर सेना से कोई मुक़ाबला नहीं है। इस बात से कई ताइवानी लोग भी सहमत दिखते हैं। ताइवान पब्लिक ओपिनियन फाउंडेशन ने पिछले साल एक सर्वे किया था जिसमें पाया गया कि ताइवान के आधे से अधिक लोग सोचते हैं कि अगर युद्ध हुआ तो चीन जीत जाएगा और केवल एक तिहाई का मानना है कि ताइवान जीतेगा।
 
इसके बावजूद ताइवान के अपने रक्षा बजट को बढ़ाने की भूख मज़बूत नहीं लगती। यूनिर्वसिटी ऑफ़ नॉटिंघम के एक सर्वे के मुताबिक़ लगभग आधी ताइवानी आबादी मानती है कि रक्षा बजट पर्याप्त है और एक तिहाई को लगता है कि ये बहुत ज़्यादा है।
 
चीन कब ग्रे ज़ोन पैंतरा आज़माता है?
 
ताइवान और अमेरिका के बीच जब भी उच्च स्तरीय राजनीतिक आदान-प्रदान होता है तो इसे चीन उकसावे की कार्रवाई बताता है और इसके जवाब में चीन अक्सर सैन्य ड्रिल करता है। अगस्त 2022 में अमेरिकी स्पीकर नैन्सी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद से ये ऐसे ड्रील लगातार बढ़े हैं। पेलोसी की यात्रा के बाद चीन ने सप्ताहभर लंबा सैन्य ड्रिल किया जिसमें 4 दिनों तक लाइव-फायर ड्रिल और इसके बाद पनडुब्बी रोधी हमले का रिहर्सल किया गया।
 
फिर अप्रैल में जब ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन ने कैलिफोर्निया में तत्कालीन अमेरिकी स्पीकर केविन मैकार्थी से मुलाक़ात की तो इसके बाद चीन ने अपने शेडोंग विमान के साथ तलवार ड्रिल की और ताइवान को 'सील करने' का ड्रिल किया।
 
चीन ने पूर्वी दिशा में ताइवान के प्रशांत तट पर भी जेट उड़ाए। ऐसा लग रहा है कि चीन ताइवान को चारों ओर से ब्लॉक करने का अभ्यास कर रहा है। लेकिन पेंटागन के अधिकारियों का कहना है कि ऐसा करने में चीन सफल नहीं होगा क्योंकि ताइवान और उसके सहयोगियों को ख़ुद को तैयार करने का समय मिल रहा है।
 
ताइवान के उपराष्ट्रपति विलियम लाई के अमेरिका यात्रा के बाद सितंबर में चीन ने फिर सैन्य ड्रिल किया था। चीन ने लाई के अमेरिका जाने के फ़ैसले को 'ट्रबलमेकर' कहा था और ताइवान को सैन्य ड्रिल की चेतावनी दी थी। कुछ विश्लेषक ये भी मानते हैं कि चीन अपने रक्षा मंत्री ली शांगफू के लापता होने की ख़बरों के बीच शक्ति प्रदर्शन की कोशिश कर रहा था।
 
इस तरह की पैंतरेबाज़ी चीन सिर्फ़ ताइवान के साथ ही नहीं कर रहा है बल्कि वो ऐसा ही कुछ पूरे दक्षिण चीन महासागर में भी कर रहा है। यह जल क्षेत्र में अरबों डॉलर की शिपिंग लेन है और माना जाता है कि इसमें बड़ा तेल और गैस भंडार है। चीन इस पूरे सागर पर अपना दावा बताता है जिस पर फिलीपींस, ताइवान, मलेशिया, वियतनाम और ब्रूनेई भी दावा करते हैं। यहाँ चीन ने विवादित क्षेत्र में बड़े ढांचे बनाए हैं।
 
इंटरनेशनल ट्राइब्यूनल ने फ़ैसला सुनाया था कि चीन का इस जल क्षेत्र पर दावे का कोई क़ानूनी अधिकार नहीं है। इस फ़ैसले के बावजूद चीन दक्षिण चीनी सागर में फिलीपींस के सुरक्षा और मछली पकड़ने वाले जहाजों को रोकने के लिए कोस्ट गार्ड और मिलिशिया जहाजों को तैनात किया है।
 
क्या ग्रे ज़ोन में होने वाली ये गतिविधि बढ़ सकती है?
 
ड्रिल के कारण क्षेत्र का सैन्यीकरण तेज़ी से बढ़ा है। वह ताइवान के आसपास समंदर और आसमान दोनों का ही इस्तेमाल ड्रिल के लिए कर रहा है। अमेरिका और उसके सहयोगियों ने भी दक्षिण चीनी सागर में अपने ड्रिल बढ़ा दिए हैं। इसी सप्ताह अमेरिका और फिलीपींस ने नए सैन्य ड्रिल की शुरुआत की है।
 
भले ही किसी भी पक्ष का उकसाने का इरादा न हो लेकिन जानकार ऐसा मानते हैं। युद्धपोतों और लड़ाकू विमानों के कारण 'ग़लत आकलन' का ख़तरा बना रहता है। चीन और अमेरिका की सेना के बीच कोई सीधा संवाद नहीं है। हालांकि अमेरिका कहता है कि वह चीन से संवाद कायम करना चाहता है ताकि दोनों देशों में तनाव को कम किया जा सके।
 
सितंबर में रिकॉर्ड ड्रिल से पता चलता है कि इस तरह की गतिविधियां चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की नीतियों का हिस्सा हैं और ये तेज़ ही होंगे इसके लिए किसी 'विदेशी ट्रिगर' की ज़रूरत नहीं होगी। गिटर ने कहा कि शी जिनपिंग ने हाल ही में कहा था कि वह 'फोर्स के इस्तेमाल ना करने का वादा कभी नहीं करेंगे' और ताइवान को चीन के साथ 'जोड़ कर रहेंगे।
 
लेकिन जानकारों का कहना है कि चीन को आने वाले महीनों में सावधानी से क़दम उठाना होगा क्योंकि अगर वो अपनी ताक़त का ऐसे ही प्रदर्शन करता रहा तो ये विलियम लाई की जनवरी में होने वाले चुनाव में जीत का रास्ता आसान कर सकता है। लाई ताइवान की आज़ादी के समर्थक नेता है।
 
अगले साल चीन फ़ुजियान एयरक्राफ्ट कैरियर का इस्तेमाल शुरू करने वाला है। ये काफ़ी आधुनिक एयरक्राफ्ट है और ताइवान मानता है कि इससे ताइवान स्ट्रेट में चीन की क्षमता और बढ़ जाएगी। गिटर कहते हैं आने वाले समय में चीन का ड्रिल और बढ़ेगा और पहले से और बेहतर भी होगा। वो कहते हैं कि ऐसा लगता है कि ड्रिल तब तक बढ़ते जाएंगे जब तक ये एक असल हमले की शक्ल ना ले लें।
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