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Written By भाषा
Last Modified: लंदन , मंगलवार, 19 जनवरी 2010 (15:03 IST)

ऑक्सफोर्ड में ‘स्पॉटिफाई’ पर प्रतिबंध

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी
दुनियाभर में मशहूर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में म्युजिक शेयरिंग साइट ‘स्पॉटिफाई’ के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दिए जाने के बाद अब वहाँ के छात्र इस साइट का इस्तेमाल नहीं कर पाएँगे। हालाँकि यूनिवर्सिटी प्रशासन के इस फैसले से छात्रों में खासी नाराजगी है।

‘चेरवेल’ अखबार की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने ‘स्पॉटिफाई’ पर पाबंदी लगाने का फैसला इस वजह से किया, क्योंकि अंडर-ग्रेजुएट छात्रों की बड़ी तादाद इस साइट का इस्तेमाल अपने बेडरूम में गाने सुनने के लिए किया करती थी, जिससे इंटरनेट काफी धीमी गति से काम करने लगता था और इससे अकादमिक शोध कर रहे छात्रों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था।

यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर लिखा गया है-ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी नेटवर्क से जुड़ी मशीनों पर पीयर-टु-पीयर रिसोर्स शेयरिंग सॉफ्टवेयर के अनाधिकृत इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी गई है।

यूनिवर्सिटी के कई छात्र अक्टूबर 2008 में शुरू किए गए ‘स्पॉटिफाई’ पर पाबंदी लगाए जाने से नाराज हैं। यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से पीयर-ु-पीयर शेयरिंग नेटवर्क पर पाबंदी लगाए जाने से अभी तक वे बचते आए थे।

यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से ‘स्पॉटिफाई’ पर पाबंदी लगाए जाने के ताजा फैसले को द्वितीय वर्ष में अध्ययनरत एक छात्र ने ‘संगीतप्रेमियों से भेदभाव’ करार दिया, जबकि एक अन्य छात्र ने दावा किया कि उसकी म्युजिक डिग्री के लिए ‘स्पॉटिफाई’ शोध का एक अहम जरिया था।

अखबार ने छात्र के हवाले से बताया-मैं इसे गाने लोड करने के लिए इस्तेमाल करता था। यह साइट शास्त्रीय संगीत के एक विस्तृत संग्रह को एक ही जगह पर मुहैया करा देती थी।

बहरहाल, यूनिवर्सिटी की एक प्रवक्ता ने ‘द डेली टेलीग्राफ’ को बताया यूनिवर्सिटी छात्रों को इंटरनेट के मुफ्त इस्तेमाल की सुविधा इसलिए देती है, क्योंकि यह एक शैक्षणिक संसाधन है। यदि वे इसका इस्तेमाल किसी और मकसद से करना चाहते हैं तो इसमें कोई समस्या नहीं है, बशर्ते इसका इतना ज्यादा इस्तेमाल नहीं किया जाए कि इंटरनेट का नेटवर्क ही काफी धीमा हो जाए।

प्रवक्ता ने कहा मैं निश्चित तौर पर मानती हूँ कि छात्र यदि ‘स्पॉटिफाई’ की सुविधा वापस पाना चाहते हैं तो वे इसे पसंद करेंगे। यदि उन्हें एक मुफ्त सेवा मुहैया कराई जा रही है तो कुछ पाबंदियाँ भी तो सहना पड़ेंगी। (भाषा)